November 16, 2024

बड़ी खबर**एशियन गेम्स की खिलाड़ी कुल्लू की खिला बनी हिमाचल हैंडबाल की कप्तान

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-हिमाचल की पहली वल्र्ड युनिवर्सिटी हैंडबाल खिलाड़ी भी बनी खिला देवी


-किसान की बेटी ने बनाई गरीब परिवार व देश की विश्वभर में पहचान


-19 बार राष्ट्र स्तर पर मनवा चुकी है अपनी प्रतिभा का लोहा

कुल्लू / 23 दिसंंबर / गौतम

19 बार राष्ट्र स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा  मनवा चुकी एवं एशियन गेम्स की खिलाड़ी खिला देवी अब हिमाचल हैंडबाल की कप्तान बन गई है। यही नहीं खिला देवी इसी के साथ हिमाचल की पहली वल्र्ड युनिवर्सिटी हैंडबाल खिलाड़ी भी बन गई है। सोमवार से दिल्ली में शुरू हुई राट्रीय महिला हैंडबाल प्रतियोगिता में कप्तान खिला देवी अपनी टीम के साथ स्र्वण पदक हासिल करने उतर गई है। खिला देवी ने प्रदेश हैंडबाल संघ के अध्यक्ष भरत साहनी व महासचिव नंद किशोर का इस जिमेदारी के लिए आभार प्रट किया है।

एक बेटी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सच में बेटी अनमोल है। दुर्गम गांव की एक बेटी जहां न तो सड़क सुविधा है और न ही पानी, ने अपने प्रदेश, जिला, अपने देश, परिवार और गांव का नाम विश्वभर में रोशन कर दिया है। जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार के तहत पडऩे वाली ग्राम पंचायत चकुरठा के जैणी गांव की बेटी  18वीं एशियन गेम्स इंडोनेशिया में अपने बुलंद हौसलों का फूल खिलाने के बाद हिमाचल हैंडबाल की कप्तान बन गई है। जैणी गांव की इस अनमोल बेटी खिला देवी का चयन पहले अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय चैंपियनशिप के लिए हुआ इसके बाद 18वीं एशियन गेम्स
इंडोनेशिया के लिए हुआ। खिला देवी 18 अगस्त 2018 से लेकर 2 सितंबर तक 18वीं एशियन गेम्स जकार्ता इंडोनेशिया में होने वाली हैंडबॉल प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुकी हैं ।

इससे पहले खिला देवी 19 बार राष्ट्र स्तरीय हैंडबॉल प्रतियोगिता में भाग ले चुकी हैं और इसमें एक गोल्ड, एक सिल्वर व तीन ब्राउंजस देश के लिए जीतकर लाई है। जबकि स्टेट लेवल हैंडबॉल प्रतियोगिता में खिला देवी पांच बार गोल्ड मेडल, 4 सिल्वर और 4 ही ब्राउंजस मेडल जीते हैं। हैंडबॉल प्रतियोगिता में खिला देवी के हौसलें इतने बुलंद हैं कि उनके हौसलों के आगे बड़े-बड़े खिलाड़ी पस्त हो जाते हैं। खिला देवी का जन्म एक गरीब परिवार किसान के घर में जैणी गांव में हुआ। एक ऐसे गांव में खिला देवी जन्मी जहां पर आजके समय में सड़क का निर्माण हो रहा  है और न ही पीने का पानी है। खिला देवी के गांव के लोगों को पीने के लिए पानी तीन किलोमीटर दूर से लाना पड़ता है। वहीं, खिला देवी ने हर दिन पांच किलोमीटर पैदल चलकर पहली से लेकर 12वीं तक की शिक्षा थाटीबीड़ स्कूल में हासिल की। थाटीबीड़ स्कूल से ही खिला देवी ने हैंडबॉल प्रतियोगिता में महारथ हासिल की और अपने हौसलों को डगमगाने नहीं दिया तथा
जिला से लेकर स्टेट और स्टेट से लेकर राष्ट्र स्तर तक खिला का चयन इस
प्रतियोगिता के लिए होता रहा। अब खिला देवी हिमाचल हैंडबाल की कप्तान एवं
हिमाचल की पहली वल्र्ड युनिवर्सिटी हैंडबाल खिलाड़ी भी बन गई है और खिला
देवी का खुशी का ठिकाना नहीं रहा है। खिला देवी के गांव व परिवार में भी
खुशी का माहौल पनपा हुआ है। खिला देवी के पिता खेमराज ने बताया कि उनकी
बेटी ने जो काम कर दिखाया है उससे आज पूरे गांव का नाम विश्वभर में रोशन हुआ है। खेमराज ने बताया कि जब उसने अपनी बेटी में यह प्रतिभा देखी तो वह भी पीछे नहीं हटे और आज तक कर्जा लेकर बेटी की पढ़ाई व खेल का शौक को पूरा करने में जुटे हुए हैं ताकि उसके घर में जन्मी अनमोल बेटी देश का नाम विश्वभर में रोशन कर सके। उन्होंने बताया कि उसने कभी भी ऐसा नहीं सोचा था कि उनके गरीब परिवार में जन्मी
बेटी अपनी प्रतिभा के बलबुते पूरे गांव व क्षेत्र का नाम देश व विश्व में रोशन करेगी। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी बेटी खिला देवी पर गर्व है और वे उनकी मेहनत व लग्र को सलाम करते हैं। खिला देवी ने अपनी सारी उपलब्धियों का श्रेय अपने माता-पिता, जिला स्तर के कोच मोहित मेहता, हिमाचल राज्य स्तर कोच स्नेह लता, पंजाब कोच नरेंद्र सिंह व रविंद्र सिंह तथा एसएसबी कोच अवतार सिंह को दिया है।        बहरहाल, गांव की माटी में पनपी एक बेटी ने अपने देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकाया है।
                         

 
खिला देवी वर्ष 2010 से जिला स्तर, राज्य स्तर, राष्ट्रीय स्तर व अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर हैंडबाल खेलती आ रही है। आजतक खिला देवी ने 8 सिनियर नेशनल, 4 जूनियर नेशनल, 5 आल इंटर यूनिवर्सिटी खेल चुकी है जिसमें 1 गोल्ड मेडल, 2 ब्रोंज मेडल 2 सिल्वर मेडल जीत चुकी है। इसके पश्चात अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर वल्र्ड युनिवर्सिटी चैंपिीयनशिप 2016, मालगा स्पेन में भारतीय महिला हैंडबाल टीम से खेल चुकी है। वर्ष 2018 में हैंडबाल फेडरेशन कप में तीसरा स्थान ग्रहण किया है। खिला देवी को अपनी
जमा दो की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद चंडीगढ़ जाना पड़ा, जहां पर उसकी पढ़ाई व खेल का पूरा खर्चा पंजाब सरकार द्वारा किया गया।

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