हमीरपुर में 480 करोड़ रुपये तक पहुंचा नुक्सान का आंकड़ा
हमीरपुर / 25 अगस्त / न्यू सुपर भारत
यह मॉनसून सीजन जिला हमीरपुर में भी भारी तबाही लेकर आया है। इस सीजन के दौरान जिला में अभी तक करीब 480 करोड़ रुपये का नुक्सान हो चुका है। शुक्रवार दोपहर को जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा जारी दैनिक रिपोर्ट के अनुसार जिला हमीरपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में सडक़ों, पेयजल योजनाओं और विद्युत लाइनों के अलावा अन्य सरकारी एवं निजी संपत्ति की भी भारी तबाही हुई है।लोक निर्माण विभाग को अभी तक लगभग 182 करोड़ रुपये, जलशक्ति विभाग को लगभग 132 करोड़ रुपये और बिजली बोर्ड को 25.67 करोड़ रुपये की क्षति के अलावा पंचायतीराज संस्थाओं एवं ग्रामीण विकास विभाग से संबंधित इनफ्रास्ट्रक्चर के नुक्सान का आंकड़ा भी 106 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
शहरी निकायों की भी लगभग 4.62 करोड़ रुपये की क्षति हुई है। जिले भर में कुल 353 मकान पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। 369 गौशालाएं भी ध्वस्त हुई हैं। विभिन्न बस्तियों के आस-पास लगभग 265 डंगे गिरने की सूचनाएं भी प्राप्त हुई हैं।उपायुक्त एवं डीडीएमए के अध्यक्ष हेमराज बैरवा ने बताया कि पिछले 4-5 दिनों के दौरान जिले भर में भारी नुक्सान हुआ है। उन्होंने बताया कि आपदा से प्रभावित लोगों की तत्काल मदद के लिए अधिकारी-कर्मचारी फील्ड में लगातार सक्रिय हैं और वे मौके से रिपोर्ट भेज रहे हैं। उपायुक्त ने बताया कि अधिकारियों-कर्मचारियों को ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले हर छोटे-बड़े नुक्सान की रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से व्यापक रिपोर्टिंग के कारण पिछले 24 घंटों के दौरान नुक्सान के आंकड़ों में काफी वृद्धि दर्ज की गई है।
जिला में सडक़ों, पेयजल योजनाओं और बिजली लाइनों की स्थिति की जानकारी देते हुए उपायुक्त ने बताया कि इन सभी आवश्यक सुविधाओं को तत्परता के साथ बहाल किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार सुबह जिले भर में 15 सडक़ों के अवरुद्ध होने की सूचना मिली थी। इनमें से अधिकांश सडक़ों को शुक्रवार शाम तक बहाल करने का लक्ष्य तय किया गया है। उपायुक्त ने बताया कि इस हफ्ते भारी बारिश के कारण जिला की कुल 174 पेयजल योजनाओं में से 163 योजनाएं प्रभावित हुई थीं। इनमें से 136 स्कीमों को पहले ही बहाल किया जा चुका है। शुक्रवार शाम तक लगभग डेढ़ दर्जन अन्य स्कीमें भी चालू हो जाएंगी। शेष पेयजल योजनाओं को भी अतिशीघ्र बहाल करने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है।