किशोरियों को बताया मोटे अनाज का महत्व, दैनिक आहार में शामिल करने की अपील
सुजानपुर / 29 मार्च / न्यू सुपर भारत
बाल विकास परियोजना सुजानपुर के अंतर्गत विभिन्न ग्राम पंचायतों में बुधवार को राष्ट्रीय पोषण पखवाड़े के अंतर्गत ‘किशोरावस्था एवं पोषण जागरुकता’ शिविर आयोजित किए गए। इस अवसर पर किशोरियों का मार्गदर्शन करते हुए बाल विकास परियोजना अधिकारी कुलदीप सिंह चौहान ने बताया कि किशोरावस्था में लड़कियों की लंबाई में 25 सेंटीमीटर तक और लडक़ों की लंबाई में 30 सेंटीमीटर तक की वृद्धि होती है जो संपूर्ण जीवन काल की वृद्धि का लगभग 16 प्रतिशत है। इस अवधि के दौरान वजन में होने वाली वृद्धि संपूर्ण जीवन काल की वृद्धि का लगभग 50 प्रतिशत होती है। इन आंकड़ों से किशोरावस्था में पोषण के महत्व को सहज ही समझा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि शारीरिक वृद्धि एवं विकास की इस दर को बनाए रखने के लिए किशोरावस्था में ऊर्जा से भरपूर भोजन की अपेक्षा पोषण से भरपूर भोजन की ज्यादा आवश्यकता होती है। इस दृष्टि से किशोरावस्था में मोटे अनाज से युक्त भोजन ही सर्वाधिक उपयोगी भोजन है। ये खाद्य पदार्थ न केवल सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे-कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, मैग्नीशियम, जिंक, पोटेशियम, विटामिन बी-6 एवं विटामिन बी-3 से परिपूर्ण हैं अपितु फाइबर एवं फाइटोकेमिकल्स के श्रेष्ठ भंडार भी हैं।
उन्होंने बताया कि मोटे अनाज में विद्यमान फाइबर की प्रचुर मात्रा अनावश्यक वजन वृद्धि पर अंकुश लगाती है। उन्होंने बताया कि हाल ही में प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार चावल जैसे लोकप्रिय आहार के स्थान पर यदि जौ-बाजरा जैसे मोटे अनाज का सेवन किया जाए तो बच्चों और किशोरों का शारीरिक विकास 26 से 39 प्रतिशत तक अधिक तेज गति से होता है। उन्होंने किशोरियों से मोटे अनाज को अपने दैनिक भोजन का आवश्यक अंग बनाने का आह्वान किया।सुजानपुर 29 मार्च।
बाल विकास परियोजना सुजानपुर के अंतर्गत विभिन्न ग्राम पंचायतों में बुधवार को राष्ट्रीय पोषण पखवाड़े के अंतर्गत ‘किशोरावस्था एवं पोषण जागरुकता’ शिविर आयोजित किए गए। इस अवसर पर किशोरियों का मार्गदर्शन करते हुए बाल विकास परियोजना अधिकारी कुलदीप सिंह चौहान ने बताया कि किशोरावस्था में लड़कियों की लंबाई में 25 सेंटीमीटर तक और लडक़ों की लंबाई में 30 सेंटीमीटर तक की वृद्धि होती है जो संपूर्ण जीवन काल की वृद्धि का लगभग 16 प्रतिशत है। इस अवधि के दौरान वजन में होने वाली वृद्धि संपूर्ण जीवन काल की वृद्धि का लगभग 50 प्रतिशत होती है। इन आंकड़ों से किशोरावस्था में पोषण के महत्व को सहज ही समझा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि शारीरिक वृद्धि एवं विकास की इस दर को बनाए रखने के लिए किशोरावस्था में ऊर्जा से भरपूर भोजन की अपेक्षा पोषण से भरपूर भोजन की ज्यादा आवश्यकता होती है। इस दृष्टि से किशोरावस्था में मोटे अनाज से युक्त भोजन ही सर्वाधिक उपयोगी भोजन है। ये खाद्य पदार्थ न केवल सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे-कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, मैग्नीशियम, जिंक, पोटेशियम, विटामिन बी-6 एवं विटामिन बी-3 से परिपूर्ण हैं अपितु फाइबर एवं फाइटोकेमिकल्स के श्रेष्ठ भंडार भी हैं।
उन्होंने बताया कि मोटे अनाज में विद्यमान फाइबर की प्रचुर मात्रा अनावश्यक वजन वृद्धि पर अंकुश लगाती है। उन्होंने बताया कि हाल ही में प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार चावल जैसे लोकप्रिय आहार के स्थान पर यदि जौ-बाजरा जैसे मोटे अनाज का सेवन किया जाए तो बच्चों और किशोरों का शारीरिक विकास 26 से 39 प्रतिशत तक अधिक तेज गति से होता है। उन्होंने किशोरियों से मोटे अनाज को अपने दैनिक भोजन का आवश्यक अंग बनाने का आह्वान किया।