सफलता की कहानी ( SUCCESS STORY) जाइका (JICA)परियोजना अपनाई, पांच गुणा आय पाई ***विकास खंड बिझड़ी के गांव चलेली के किसान अब उगा रहे हैं नकदी फसलें
हमीरपुर / 30 नवंबर / न्यू सुपर भारत न्यूज़ :
जलवायु परिवर्तन, सिंचाई सुविधाओं की कमी और अन्य कारणों से पारंपरिक खेती में वर्षों से घाटा झेलते आ रहे हमीरपुर जिला के किसानों के लिए जाइका परियोजना बहुत बड़ी राहत लेकर आई है। जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी यानि जाइका की सहायता से चलाई जा रही हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना ने विकास खंड बिझड़ी की ग्राम पंचायत समैला के गांव चलेली के किसानों को न केवल नई राह दिखाई है, बल्कि खेती से होने वाली उनकी सालाना आय में भी पांच गुणा तक वृद्धि की है।
पीढिय़ों से गेहूं और मक्की बीजने वाले चलेली के किसानों को सिंचाई सुविधा के अभाव के कारण पिछले कई वर्षों से बहुत ही कम पैदावार हो रही थी। मौसम की बेरुखी और कम पैदावार के कारण कई किसान तो खेती से ही तौबा करने लगे थे। ऐसे किसानों के लिए जाइका की फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना बहुत बड़ी उम्मीद लेकर आई। इस परियोजना के तहत गांव में लगभग 46 लाख रुपये की लागत से उठाऊ सिंचाई योजना का निर्माण करके लगभग 9.58 हैक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा के अंतर्गत लाया गया। सिंचाई सुविधा के साथ ही गांव के लगभग 35 किसानों को जाइका के माध्यम से 3 लाख रुपये के पॉवर टिल्लर, पॉवर वीडर, लहसुन प्लांटर और अन्य आधुनिक कृषि उपकरण उपलब्ध करवाए गए तथा उन्हें कृषि विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण भी दिया। उत्तम किस्म की पनीरी तैयार करने के लिए गांव में ही पॉलीहाउस लगाया गया। जाइका से अनुदान और प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद गांववासियों ने पारंपरिक फसलों के साथ-साथ सब्जियां लगानी आरंभ की।
अब ये किसान खरीफ के मौसम में पारंपरिक फसलों के साथ-साथ खीरा, करेला, भिंडी, टमाटर और अन्य सब्जियां लगा रहे हंै, जबकि रबी के मौसम में इनके खेतों में मटर, मूली, आलू, गोभी और अन्य सब्जियां लहलहा रही हैं। गांववासी राज कुमार, सरवन कुमार, निक्काराम, संजीव कुमार और अन्य किसानों ने जाइका परियोजना की मदद से सब्जी उत्पादन में एक मिसाल पेश की है।
उधर, जाइका परियोजना के निदेशक डॉ. विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि इस परियोजना के कारण चलेली गांव में खरीफ सीजन के दौरान खाद्यान्न फसलों की पैदावार बढक़र 28 क्विंटल प्रति हैक्टेयर और सब्जी उत्पादन 190 क्विंटल प्रति हैक्टेयर हो गया है। इसी तरह रबी सीजन में खाद्यान्न फसलों की पैदावार 26 क्विंटल प्रति हैक्टेयर और सब्जी उत्पादन 160 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक पहुंच गया है। उन्होंने बताया कि चलेली गांव के किसानों की प्रति हैक्टेयर वार्षिक आय 74500 रुपये से बढक़र 3 लाख 64 हजार रुपये से अधिक हो गई है। यानि इसमें करीब पांच गुणा वृद्धि हुई है।
डॉ. विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि जाइका परियोजना के अंतर्गत बनाई गई सिंचाई योजना को अब सौर ऊर्जा से चलाया जा रहा है तथा इसका संचालन स्वयं गांववासी ही कर रहे हंै। परियोजना के तहत उपलब्ध करवाए गए आधुनिक कृषि उपकरणों को भी ये किसान सामूहिक रूप से इस्तेमाल कर रहे हंै। इस प्रकार जाइका परियोजना ने गांव चलेली के किसानों की तकदीर ही बदल दी है।
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