मनरेगा मजदूरों ने मजदूर हकों के लिए लाल झंडे लेकर की नारेबाजी
हमीरपुर / 06 फरवरी / रजनीश शर्मा
श्रमिक कल्याण बोर्ड से मनरेगा और निर्माण मजदूरों के लिए लाभ बंद करने के विरोध में हमीरपुर शहर में रोष रैली निकाली और गांधी चौक पर विशाल सभा की गई । सभा को सीटू के राष्ट्रीय सचिव डॉक्टर कश्मीर सिंह ठाकुर, हिमाचल भवन सड़क एवं अन्य निर्माण मजदूर यूनियन के राज्य महासचिव व श्रमिक कल्याण बोर्ड के सदस्य भूपेन्द्र सिंह,यूनियन के राज्य अध्यक्ष जोगिंदर कुमार, सीटू जिला कमेटी के कोषाध्यक्ष जितेंद्र धीमान, रंजन शर्मा, संतोष कुमार, सुषमा ने संबोधित किया।
नारेबाजी की यह रही वजह
उल्लेखनीय है कि सीएम सुखविंद्र सिंह सुख्खू ने सत्ता में आते ही प्रदेश के लाखों निर्माण मजदूरों व मनरेगा मजदूरों को श्रमिक कल्याण बोर्ड के माध्यम से मिलने वाले मदद को बंद कर दिया है। वर्ष 1996 में देश के करोड़ों निर्माण के मजदूरों के लिए संसद में कानून बना विल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर एक्ट 1996 उसी के तहत प्रत्येक राज्य ने निर्माण मजदूर को पंजीकृत करने और उन्हें लाभ देने के लिए श्रमिक कल्याण वार्डों का गठन हुआ।
हिमाचल प्रदेश में भी 2 मार्च 2009 को श्रमिक कल्याण बोर्ड बना और वर्ष 2012 में मजदूरों का सुचारू रूप से पंजीकरण शुरू हुआ तब से लेकर दिसंबर 2022 तक लगातार मजदूरों को बच्चों को पढ़ने के लिए वजीफा, बच्चों की शादी के लिए आर्थिक मदद, मृत्यु होने पर आर्थिक मदद, बुढ़ापे में पेंशन, परिवार का इलाज के लिए सुविधा जैसी तमाम सामाजिक सुविधाएं शुरू की गई थी। और एक गरीब मजदूर आदमी भी अपने बच्चों को एक बेहतर शिक्षा देने की स्थिति में पहुंच गया था।
हिमाचल सरकार पर लगे गंभीर आरोप
वक्ताओं ने आरोप लगाया कि सुख्खू सरकार को गरीबों का उत्थान देखा ना गया और आते ही पहले कार्य 12 दिसंबर को एक अधिसूचना जारी करके प्रदेश के लाखों मनरेगा और निर्माण मजदूर को मिलने वाली मदद को बंद कर दिया। हालांकि एक बात गौर करने लायक है जब वर्ष 2012 में सुखविंदर सिंह सुक्खू चुनाव हार गए थे और कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर श्रमिक कल्याण बोर्ड द्वारा पंजीकृत किए गए मजदूरों को जो बोर्ड द्वारा लाभ दिए जाते थे उन्हें बांटने का काम सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने विधानसभा क्षेत्र नादौन में करते थे और इन्हीं निर्माण मजदूरों के बदौलत ही वर्ष 2017 में चुनाव भी जीत पाए थे।
श्रमिक कल्याण बोर्ड के फैसले की हो रही अनदेखी
श्रमिक कल्याण बोर्ड में यह फैसला हो चुका है कि मनरेगा मजदूरों को और निर्माण मजदूरों को श्रमिक कल्याण बोर्ड से मिलने वाले लाभ कानून के दायरे में रहकर दिए जाएंगे परंतु क्योंकि श्रमिक कल्याण बोर्ड का फैसला हिमाचल प्रदेश कैबिनेट के बाद ही अमल में लाया जाएगा और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुख्खू व्यक्तिगत तौर पर इस कल्याण बोर्ड की फैसले को लागू नहीं होने देना चाह रहे हैं और उन्हीं के इशारे पर यह सारा कार्य बंद किया गया है। जिसका खम्याजा प्रदेश के लाखों निर्माण मजदूरों को जिनमें ज्यादातर गांव के गरीब निर्माण मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है।