मंडी के भूगोल और संस्कृतिक को जानने में होगी मददगार
मंडी, 3 नवंबर ,पुंछी
भौगोलिक सीमाएं किसी देश, प्रदेश और जिला की वास्तविक पहचान होती है। लेकिन इन सीमाओं के भीतर उस देश, प्रदेश और जिले का इतिहास व सांस्कृतिक पहचान होती है। जिसके बिना किसी भी देश, प्रदेश और जिले का कोई वजूद नहीं होता है। मंडी शहर के आईबी से सेवानिवृति हुए अधिकारी एवं यायावर लेखक स्व. महेंद्र सिंह जंवाल की तीसरी पुस्तक जियोग्राफी आफ मंडी डिस्ट्रिकट का विमोचन वरिष्ठ साहित्यकार केके नूतन ने विशाल वैंकट हाल में किया।
इस अवसर पर जिला भाषा अधिकारी रेवती सैनी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर मशहूर छायाकार पत्रकार बीरबल शर्मा एवं हेमकांत कात्यायन के अलावा महेंद्र जंवाल की धर्मपत्नी सुशीला जंवाल, बेटे ध्रुव जंवाल के अलावा परिवार के अन्य सदस्य मौजूद रहे। विमोचित पुस्तक पर टिपणी करते हुए केके नूतन ने कहा कि यह पुस्तक मंडी जिला की सीमाओं की जानकारी के अलावा यहां की सांस्कृतिक गरिमा से भी रू ब रू करवाती है। इस पुस्तक के प्रकाशन केलिए उन्होंने स्व. महेंद्र सिंह जंवाल के बेटे धु्रव जंवाल की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अपने पिता की लिखी पुस्तक को प्रकाशित कर उन्हें फिर से जिंदा कर दिया। वहीं पर जिला भाषा अधिकारी रेवती सैनी ने कहा कि यह पुस्तक मंडी की भौगोलिक परिस्थियों का जानने और समझने में मददगार साबित होगी।
क्या है जियोग्राफी ऑफ मंडी:
स्व. महेंद्र सिंह जंवाल की पुस्तक जियोग्राफी ऑफ मंडी में जिला की सीमाओं की जानकारी दी गई है। इसके अलावा यहां की चोटियों शिकारी धार, घोघरधार, सिकंदराधार रेंज के अलावा यहां की झीलों, घाटियों, यातायात के साधनों, ानीज, मौसम, ब्यास व सतलुज नदी, वन और वन्य जीवों, कृषि एवं बागवानी, उद्योग, मंदिरों और दर्शनीय स्थलों की जानकारी समेटी गई है। यह पुस्तक मंडी जिला को जानने और समझने में मददगार साबित होगी।