झज्जर / 29 दिसंबर / न्यू सुपर भारत
डीएमसी जगनिवास ने कहा कि जिला में पराली के बेहतर प्रबंधन को लेकर सरकार औऱ जिला प्रशासन पूरी तरह सजग है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और संबंधित विभागों द्वारा गांव-गांव जाकर किसानों के साथ आमजन को भी पराली प्रबंधन योजनाओं के प्रति जागरूक किया जाए। जिससे पराली का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके। डीएमसी शुक्रवार को पराली प्रबंधन को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वीसी उपरांत संबंधित विभागों के अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश दे रहे थे। इस बीच प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एसडीओ अमित गुलिया ने डीएमसी को पराली प्रबंधन को लेकर विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी।
डीएमसी ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से शहर में सार्वजनिक स्थानों बैनर लगाए जाएं। पराली जलाने के नुकसान और पराली प्रबंधन से होने वाले लाभ के बारे में नागरिकों को अवगत कराया जाए। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से सांस और फेफड़ों से संबंधित बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। स्वस्थ व्यक्ति पर भी प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। आग लगने से वायु में फैले प्रदूषण के कणों से एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर बढ़ जाता है। लोगों को सर में दर्द और सांस लेने में परेशानी हो सकती है। खेतों में आगजनी से निकलने वाले धुंए के कारण सडक़ हादसे हो सकते हैं। खेतों में लगी आग कई बार रिहायशी इलाके तक पहुंच जाती है, जिससे बड़ा नुकसान हो जाता है।
उन्होंने कहा कि पराली को जलाने की बजाय इससे जैविक खाद बनाएं। पराली का इस्तेमाल बायोमास, छप्पर बनाने और मशरूम की खेती में किया जा सकता है। साथ ही उद्योगों में पराली को ईंधन के रूप में और पावर प्लांट में भी उपयोग में लाई जा सकती है।इस अवसर पर नगरपरिषद के एमई मंदीप जांगड़ा अधीक्षक धर्मवीर गुलिया सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।