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कपास के सफेद मक्खी, उखाड़ा प्रभावित क्षेत्र व नुकसान का जल्द करें सर्वे: उपायुक्त

फतेहाबाद / 11 सितंबर / न्यू सुपर भारत न्यूज़

उपायुक्त डॉ. नरहरि सिंह बांगड़ ने बताया कि सफेद मक्खी जुलाई से सितंबर महीने में अधिकत्तम नुकसान करती है। इससे कपास की पतियों का रंग काला हो जाता है। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक विधि से सफेद मक्खी से प्रकोप से उपाय संभव है। किसानों को कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर ही दवाई का प्रयोग करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि जुलाई से अगस्त के दौरान कम लागत वाले पीले चिपचिपे जाल का प्रयोग किया जाता है, जिससे सफेद मक्खी उससे चिपक जाती है। उन्होंने किसानों से भी कृषि विशेषज्ञों की सलाह के अनुरूप ही दवाई का प्रयोग करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि किसान महज दवा विक्रेता की बात मानकर दवाई का छिड़ाकाव न करें।

उपायुक्त ने किसानों से यह भी आग्रह किया है कि वे कपास की फसल में सफेद मक्खी की निगरानी हेतू 20 पौधों का निरीक्षण दिन में दो बार करें। आवश्यकतानुसार कीटनाशक का प्रयोग करें एवं कीटनाशकों के मिश्रित घोल के उपयोग से बचें। खासकर मिट्टी से उगाई गई कपास में खाद्य प्रबंधन विशेष ध्यान दें। उन्होंने बताया कि पर्णीय छिडक़ाव के रूप में 2.5 किलोग्राम यूरिया प्रति 100 लीटर पानी या पोटाशियम नाइट्रेट की 2.0 किलोग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी की दर से प्रति एकड़ में 2 या तीन बार उपयोग करें। इसके लिए आवश्यकतानुसार नीम आधारित कीटनाशक 1.0 लीटर मात्रा या स्पाइरोमेसिफेन 22.9 एसी की 240 मिलीलीटर मात्रा या पाईसीप्रोक्सीफेन 10 ई.सी की 400 मिलीलीटर मात्रा को 200 से 250 लीटर पानी की दर से एक एकड़ पौधों पर निचली पतियों पर छिडक़ाव करें।

कपास के पत्ते ज्यादा काले दिखाई दें तो कॉपर ऑक्सीक्लोरो की मात्रा 600 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी की दर से छिडक़ाव करें। पैराविल्ट संभावित इलाकों में कोबाल्ट क्लोराइड की मात्रा 2.0 को 200 लीटर पानी की दर से एक एकड़ में 24-48 घंटों में छिडक़ाव करें।

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