*पराली प्रबंधन के लिए व्यक्तिगत श्रेणी में सभी किसानों को दिया जाएगा लाभ, खर्च होंगे 155 करोड़ रुपये
फतेहाबाद / 27 सितंबर / न्यू सुपर भारत न्यूज़
उपायुक्त डॉ. नरहरि सिंह बांगड़ ने बताया कि हरियाणा सरकार ने फसल अवशेष प्रबंधन पर बड़ा ऐलान करते हुए पराली प्रबंधन के लिए व्यक्तिगत श्रेणी में सभी किसानों को लाभ देने का फैसला लिया है। व्यक्तिगत श्रेणी में विभागीय पोर्टल पर कुल 16647 आवेदन प्राप्त हुए है, जिन पर अनुमानित 155 करोड़ रुपये का खर्चा होगा।
उपायुक्त डॉ. बांगड़ ने बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा द्वारा तय लक्ष्य 820 की अपेक्षा अब 1500 मशीनरी बैंकों को 80 प्रतिशत अनुदान पर स्थापित किया जाएगा, जिसके तहत लघु व सीमांत किसानों तक फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी की पहुंच सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष मशीनरी पर अनुदान हेतू 335 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च होगा। डॉ. बांगड़ ने बताया कि इस वर्ष किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान पर लगभग 454 बेलर यूनिट, 5820 सुपर सीडर, 5418 जीरो टिल सीड ड्रील, 2918 चौपर/मल्चर, 260 हैप्पी सीडर, 389 एसएमएस, 646 रोटरी स्लैशर/श्रब मास्टर, 454 रिवर्सिबल बोर्ड प्लो तथा 288 क्रॉप रीपर उपलब्ध करवाए जाएंगे। उपायुक्त ने बताया कि जिला के इच्छुक किसान अधिक जानकारी के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा के टोल फ्री नंबर 1800-180-2117 अथवा जिला स्तर पर कृषि उप निदेशक कार्यालय या खंड स्तर पर सहायक कृषि अधिकारी कार्यालय से किसी भी कार्य दिवस में संपर्क कर सकते हैं।
उपायुक्त ने नागरिकों से पराली प्रबंधन की अपील करते हुए कहा कि वे पराली को आग न लगाएं और इस बारे में दूसरे किसानों को भी जागरूक करें। उपायुक्त ने यह भी बताया कि एनजीटी के नियमों व सरकार के आदेशों की पालना न करने पर पराली जलाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उन्होंने बताया कि गत वर्ष भी जिन किसानों ने पराली जलाई थी, उनके लगभग चालान पेश हो चुके हैं। उपायुक्त ने बताया कि इस बार खेतों में पराली में आग लगने के मामलों में पट्टेदारों के खिलाफ कार्रवाई न करके सीधी भूमि मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि पराली में आग लगाने से वायु प्रदूषण से सांस, फेफडों से संबंधित बीमारियां तो होती ही हैं, सामान्य स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उपायुक्त ने बताया कि खेतों में आग लगाने से हवा में प्रदूषण के छोटे-छोटे कणों से पीएम 2.5 का स्तर अत्याधिक बढ़ जाता है। इससे सिरदर्द और सांस लेने में तकलीफ होती है। अस्थमा और कैंसरी जैसी बीमारियां भी हो रही है।