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उपायुक्त ने गांव ढांड-बनावाली की गौशाला में किया गौ रत्न स्वदेशी उद्योग का उद्घाटन **गौशाला प्रांगण में पौधारोपण कर गायों को खिलाया हरा-चारा व गुड़

गांव ढांड-बनगांव की गौशाला में गौ रत्न स्वेदशी उद्योग का उद्घाटन करते उपायुक्त डॉ. नरहरि सिंह बांगड़।

फतेहाबाद/भट्टू / 2 सितंबर / न्यू सुपर भारत न्यूज़

उपायुक्त डॉ. नरहरि सिंह बांगड़ ने बुधवार को जिला के गांव ढांड-बनावाली की गौशाला का दौरा किया तथा गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 10 लाख रुपये की लागत से बने गौ रत्न स्वेदशी उद्योग का उद्घाटन किया। इस दौरान उपायुक्त ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए गौशाला के प्रांगण में पौधारोपण कर गायों को हरा-चारा, गुड़ खिलाया। गौ रत्न स्वेदशी उद्योग से लोगों को विभिन्न प्रकार के घरेलू उत्पाद जैसे नीम फिनाइल, त्रिफला अर्क, गौ मूत्र अर्क, केश निखार शैम्पू, दर्द निवारक तेल, केश रक्षक तेल, लाल दंत मंजन, काला दंत मंजन, हरड़े चूर्ण, त्रिफला चूर्ण, साबुन, कर्णशुदा, अमृत धारा आदि उत्पाद मुहैया करवाए जाएंगे।

गांव ढांड-बनगांव की गौशाला में पौधारोपण कर गायों को गुड़ खिलाते उपायुक्त डॉ. नरहरि सिंह बांगड़।

इस मौके पर उपायुक्त डॉ. बांगड़ ने कहा कि प्रदेश सरकार ने हरियाणा गौसेवा आयोग का गठन किया है। गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री गौशाला जगमग योजना के तहत सोलर पॉवर यंत्र व बायो सीएनजी प्लांट लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार गौशालाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में भी कदम उठा रही है। गौशालाओं में 90 प्रतिशत सब्सिडी की दर से ऐसी मशीन दी गई है, जो गोबर के डंडे, धूप, अगरबत्ती, गौअर्क बनाने में काम आ रही है। उन्होंने कहा कि बेसहारा पशुओं की समस्या के समाधान के लिए राज्य में विभिन्न स्थानों पर गौ अभ्यारण्यों की स्थापना की जा रही है। डॉ. बांगड़ ने कहा कि जिला में सभी निराश्रय पशुओं, विशेषकर गायों और नंदियों को जिले की गौशालाओं में आश्रय प्रदान करने के उद्देश्य से पशुधन सर्वेक्षण समितियों का गठन किया है। इसके अलावा सरकार द्वारा प्रदेश के सभी खंडों में 225 पशुधन सर्वेक्षण समितियों का गठन किया जा रहा है। ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में निराश्रय पशुओं की संख्या, विशेषकर गाय और नंदी काफी संख्या में है, जो सडक़ों पर घूमते हैं और चारे के आभाव में पॉलीथिन व अन्य अपशिष्ट पदार्थ खाकर बीमार हो जाते हैं जो चिंता का विषय है। निराश्रय पशुओं के सडक़ों पर घूमने से दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। गौशालाओं में निराश्रय पशुओं को आश्रय मिलने पर दुर्घटनाओं से निजात मिलेगी और यातायात भी सुगम होगा।

उपायुक्त डॉ बांगड़ ने कहा कि प्राय: यह देखने में आया है कि सभी गौशालाएं गायों को रखने के लिए तैयार हो जाती हैं, लेकिन नंदियों को रखने के लिए कोई तैयार नहीं होता। उन्होंने गौशाला संचालकों से आग्रह किया कि वे नंदियों को आश्रय प्रदान करने के लिए अलग से नंदी शालाएं बनाएं। उन्होंने बताया कि इन पशुधन सर्वेक्षण समितियों का पहला कार्य अपने-अपने क्षेत्रों में गौशालाओं, गौशालाओं से बाहर निजी तौर पर अपने-अपने घरों में रखे जाने वाले गौधन, विशेषकर गायों और नंदियों की संख्या की गणना व उपयोगी व अनुपयोगी मापदंडों को तय करना, गौशालाओं के लिए जमीन की आवश्कता की संभावनाएं तलाशनी होगा। चारे के लिए गौशालाएं पट्टे पर ग्राम पंचायतों की गौ-चरण भूमि का उपयोग कर सकती हैं, यदि गौशाला उसी ग्राम पंचायत की है तो 5000 रुपए प्रति एकड़ प्रति वर्ष और दूसरी ग्राम पंचायत की है तो 7000 रुपए प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से देनी होगी जरूरत पडऩे पर शहरी क्षेत्रों में शहरी स्थानीय निकाय विभाग शहर के बाहरी क्षेत्र में तथा पंचायत विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में गौशालाओं के लिए जमीन उपलब्ध करवाएगा। सभी उपयोगी व अनुपयोगी गौधन की अलग-अलग रंग से टैगिंग की जाएगी। यह उपयोगी व अनुपयोगी की श्रेणी समय के साथ परिवर्तित की जा सकती है। सभी वैटरनरी सर्जन सांझा सेवा केंद्रों के माध्यम से गोधन का डाटा जुटाकर ऑनलाइन अपडेट करेंगे। चाहे कोई गौशाला सरकारी अनुदान ले अथवा न ले, सभी को पशुपालन विभाग के माध्यम से रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा।

गांव ढांड-बनगांव की गौशाला का निरीक्षण कर विभिन्न गविविधियों की जानकारी लेते उपायुक्त डॉ. नरहरि सिंह बांगड़।

उपायुक्त डॉ बांगड़ ने बताया कि 33 प्रतिशत से कम अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को कोई सरकारी अनुदान प्रदान नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 33 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तथा इससे अधिक अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को प्रति वर्ष पशुधन की सुरक्षा व देखभाल के लिए धनराशि उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि 76 प्रतिशत से 99 प्रतिशत तक अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को प्रति वर्ष 300 रुपए प्रति पशुधन दिया जाएगा। उन्होंने कहा शत-प्रतिशत यानि 100 प्रतिशत अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को प्रति वर्ष 400 रुपए प्रति पशुधन दिया जाएगा। केवल नंदियों को ही रखने वाली गौशालाओं, नंदी शालाओं को प्रति वर्ष 500 रुपए प्रति पशुधन दिया जाएगा। इस मौके पर जिला प्रधान राम कुमार भुक्कर, विनोद तायल, अशोक भुक्कर, गौशाला प्रधान मांगे राम, राममूर्ति वर्मा, रोहतास खिचड़, बीरबल सिंह, बलवंत वर्मा, देवीलाल, सरजीत बैनीवाल, ओमप्रकाश, प्यारे लाल, सुरेंद्र बिश्नोई आदि मौजूद रहे।

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