फतेहाबाद / 27 अक्टूबर / न्यू सुपर भारत
उपायुक्त जगदीश शर्मा ने जिला के किसानों से अपील करते हुए कहा है कि वे किसी भी कीमत पर पराली न जलाएं। पराली जलाने से एक तरफ जहां पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ आम जन-मानस की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। विशेष तौर पर बच्चों, बुजुर्गों व सांस से संबंधित रोगियों के समक्ष भारी परेशानी बन रही है। उन्होंने आमजन से आह्वान किया है कि वे पराली नहीं जलाने के अभियान को एक जन आंदोलन का रूप दें और प्रत्येक नागरिक को पराली नहीं जलाने के बारे में जागरूक करें।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष जिला फतेहाबाद पराली जलाने के मामले में प्रदेश भर में पहले नंबर पर था, यह कोई गर्व की बात न होकर जिला पर एक अभिशाप की तरह है। जिला प्रशासन ने अबकी बार पराली जलाने के मामले को बड़ी गंभीरता से लिया है। स्वयं उपायुक्त द्वारा अनेक कार्यक्रमों में लोगों से इस अभिशाप को मिटाने की अपील की गई है। इसके साथ-साथ जिला प्रशासन द्वारा निगरानी कमेटियों का गठन किया गया है।
बावजूद इसके, जिला में पराली जलाने की घटनाएं निरंतर बढ़ रही है। हरसैक द्वारा प्रतिदिन किसी न किसी जगह पर पराली जलाए जाने की लोकेशन भेजी जा रही है। जिला में एक्यूआई का स्तर 250 से पार पहुंच गया है, जिससे की आमजन जीवन भी प्रभावित होने लगा है। विशेष तौर से बीमार व्यक्तियों के लिए और भी अधिक परेशानी बनी है।
ऐसे में जिला प्रशासन ने एक बार फिर से जिला के किसानों से पराली नहीं जलाने की अपील की है। उपायुक्त श्री शर्मा ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वे पराली जलाने की बजाय फसल अवशेष प्रबंधन को अपनाएं, जिससे की वातावरण भी प्रदूषित न हो और उनकी आमदनी में भी बढ़े। इसके साथ ही उपायुक्त ने निगरानी कमेटी के सदस्यों को और सख्ती बरतने तथा लोगों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जागरूक करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही कहा है कि जहां भी पराली जलाए जाने की जानकारी मिलती है, उसकी सूचना अतिशीघ्र जिला मुख्यालय या कृषि विभाग को दें, ताकि तुरंत प्रभाव से मौके पर पहुंचकर चालान की कार्रवाई की जा सके।
प्रचार-प्रसार से किया जा रहा है लोगों को जागरूक
वहीं दूसरी ओर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा पम्पलैट व अन्य सामग्री के माध्यम से लोगों को पराली नहीं जलाने के प्रति जागरूक किया जा रहा है। किसानों को बताया जा रहा है कि पिछले वर्ष भी खेतों में धान की कटाई उपरान्त बची हुई पराली में आग लगाई थी जिससे उनके खेत की उपजाऊ मिट्टी को भारी नुकसान हुआ था। पराली में आग लगाने से पर्यावरण भी प्रदूषित हुआ था और बुजुर्गों, बच्चों व आम जन मानस को सांस लेने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था।
जिला प्रशासन तथा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने पम्पलैट के माध्यम से अपील की है कि किसान इस साल धान की कटाई उपरान्त पराली में बिल्कुल भी आग न लगाएं और पराली का विभिन्न कृषि यंत्रों जैसे सुपर सीडर,जीरो टीलेज मशीन, स्ट्रा चोपर, हैपी सीडर, रिवर्सीबल प्लो का प्रयोग करके पराली को जमीन में मिलाकर जमीन की उर्वरक शक्ति बढ़ाएं या स्ट्राबेलर मशीन से पराली की गांठे बनाकर लाभ कमाएं।
दोनों ही तकनीकें (इन सीटू व एक्स सीटू) अपनाने पर सरकार द्वारा 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि भी किसानों को दी जाएगी। इसके लिए किसान कृषि विभाग के पोर्टल www.agriharyana.gov.in पर अपना पंजीकरण अवश्य करवा लें और योजना का लाभ उठाएं। पराली नहीं जलाना एक तरह से पुनीत व जनहित का कार्य है। इस कार्य में सरकार व प्रशासन का सहयोग करें और अपनी भूमि की उर्वरक शक्ति को बरकरार रखने का प्रयास करें।
किसानों को बताया जा रहा है कि मिट्टी किसान की सबसे कीमती संपत्ति है।
एक किसान की उत्पादक क्ष्मता का सीधा संबंध उसकी मिट्टी के स्वास्थ्य से होता है। इसलिए फसल अवशेषों को न जलाएं , उन्हें मिट्टी में मिलाएं और मिट्टी की उर्वरकता शक्ति को बढ़ाएं। जिलाधीश जगदीश शर्मा द्वारा जिता फतेहाबाद में धान की फसल की कटाई उपरान्त बचे हुए फसल अवशेषों को जलाने पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया हुआ है, जिसकी अवहेलना में यदि कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 188 संपठित वायु एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत दंड का भागी होगा।