शिमला/05 अक्तूबर /एनएसबी न्यूज़
मुख्य सचिव राजस्व डाॅ. श्रीकांत बाल्दी ने आज यहां वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) राजस्व में सुधार लाने के सम्बन्ध में आयोजित बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक छोटा पहाड़ी प्रदेश है और यहां की अर्थव्यवस्था विकासशील है। राज्य सरकार प्रदेश में जीएसटी के सही क्रियान्वयन के लिए प्रयास कर रही है तथा जीएसटी राजस्व और कर संग्रह में सुधार के लिए सभी आवश्यक प्रयास किया जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2018-19 में 3456.98 करोड़ रुपये का वार्षिक जीएसटी राजस्व तथा वर्ष 2019-20 में अभी तक 1828 करोड़ रुपये का जीएसटी राजस्व प्राप्त किया गया है। वर्ष 2017-18 में 2497 करोड़ रुपये का वार्षिक जीएसटी राजस्व प्राप्त हुआ, जीएसटी राजस्व को बढ़ाने की दिशा में उन्होंने अधिकारियों को टेक्स रिर्टन फाइलिंग को 75 प्रतिशत से 95 प्रतिशत तक बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जीएसटी राजस्व में सुधार लाने के लिए विशेष अभियान आरम्भ किया जाना चाहिए। उन्होंने क्षेत्रीय अधिकारियों को 30 नवम्बर, 2019 तक वर्तमान 75 प्रतिशत टेक्स रिर्टन सीमा में और बढ़ौतरी लाने के निर्देश दिए।
डाॅ. बाल्दी ने अधिकारियों को जीएसटी पंजीकरण की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि होटलों और होमस्टे को टैक्स के दायरे में लाने के लिए एक विशेष अभियान आरम्भ किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को उपभोक्ताओं द्वारा पैट्रोल व डीजल के इस्तेमाल के लिए सी-फार्म के प्रावधान को हटाने के निर्देश दिए। प्रदेश में वाहनों की खरीद में बढ़ौत्तरी लाने के उद्देश्य से राज्य में वाहन क्रय करने पर एसजीएसटी के अंतर्गत के कुछ हिस्से की प्रतिपूर्ति ग्राहक को वापिस करना प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि वाहनों की बिक्री के लिए एसजीएसटी टैक्स की प्रतिपूर्ति दुकानदारों द्वारा ग्राहकों को छूट उपलब्ध करवाने की शर्त पर दी जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश सेटलमेंट योजना प्री-जीएसटी रिजाइम (वीएटी-रिजाइम) विरासत के मामलों के लिए प्रस्तावित की गई है। उन्होंने अधिकारियों को जीएसटी राजस्व में सुधार लाने के उद्देश्य से वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों व विशेषज्ञों की बैठक आयोजित करने के भी निर्देश दिए। प्रधान सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुंडू व अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस बैठक में उपस्थित थे।