हमीरपुर / 16 दिसंबर / रजनीश शर्मा /
पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने हिमाचल प्रदेश में लोक निर्माण विभाग सहित अन्य विभागों में ठेकेदारों की लंबित भुगतान और केंद्र सरकार द्वारा दी गई धनराशि के दुरुपयोग पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की वित्तीय अनियमितताओं के कारण ठेकेदारों को उनके काम का मेहनताना नहीं मिल रहा है, जिससे वे कर्ज और आर्थिक संकट में फंस गए हैं।
जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और नाबार्ड से सड़कों के निर्माण के लिए आया पैसा, जो गांवों की प्रगति का आधार था, उसे कर्मचारियों की सैलरी के लिए डायवर्ट कर दिया गया। यह दर्शाता है कि प्रदेश सरकार आर्थिक प्रबंधन में पूरी तरह विफल हो चुकी है।
राजेंद्र राणा ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री का आर्थिक स्थिति मजबूत होने का दावा सरासर झूठ है। उन्होंने सवाल किया कि किसके आदेश पर केंद्र का पैसा अन्य मदों में डायवर्ट किया गया। राणा ने इन मामलों की स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को तुरंत इस पर संज्ञान लेना चाहिए और जनता को जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा, “प्रदेश सरकार ने अपने कुशासन और कुप्रबंधन से हिमाचल को आर्थिक रूप से दिवालिया बना दिया है। ठेकेदारों और विकास कार्यों के प्रति यह उदासीनता प्रदेश के भविष्य के लिए गंभीर संकट पैदा कर सकती है।”
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपनी कार्यशैली से प्रदेश को दिवालिया बना दिया है और सरकारी खजाना मित्रों में लुटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि आज समाज का हर वर्ग कांग्रेस सरकार द्वारा उनके हितों के प्रति उदासीनता दर्शाए जाने से निराश और हताश है।