प्राकृतिक खेती विषय पर कृषि विज्ञान केन्द्र में जिला स्तरीय जागरूकता कार्यक्रम
फतेहाबाद / 23 फरवरी / न्यू सुपर भारत
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के अंतर्गत कार्यरत कृषि विज्ञान फतेहाबाद द्वारा केन्द्र के प्रांगण पर एक दिवसीय प्राकृतिक खेती विषय पर जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें जिले के विभिन्न गांवों से लगभग 200 से अधिक महिला एवं पुरूष किसानों ने भाग लिया। इस परियोजना के नोडल अधिकारी डॉ. औमप्रकाश कम्बोज ने किसानों को संबोधित करते हुए प्राकृतिक खेती में प्रयोग होने वाले विभिन्न फॉर्मुलेशन जैसे जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत, अग्नि अस्त्र, ब्रह्मास्त्र आदि को तैयार करना व प्रयोग करने की विधियों के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने सब्जियों एवं बागवानी फसलों में प्राकृतिक खेती करने पर भी जोर दिया।
केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. सरदूल सिंह मान ने बताया कि प्राकृतिक खेती करने से ना केवल हमारा स्वास्थ्य सुधरेगा बल्कि हमारी जमीन की सेहत में भी सुधार होगा व वातावरण भी स्वस्थ रहेगा। इसके अपनाने से खेती की लागत भी कम होगी। डॉ. मान ने बताया कि प्राकृतिक खेती करने से जितने भी हमारे मित्र कीट है, वह सुरक्षित रहते हैं जो हानिकारक कीटों का प्रबंधन में सहायक होते हैं। उन्होंने प्राकृतिक खेती में कीट व बीमारियों की रोकथाम के लिए नीम व नीम आधारित फॉर्मुलेशन प्रयोग करने के बारे में भी सलाह दी।
डॉ. विकास हुड्डा ने मिट्टी के स्वास्थ्य सुधार हेतु किसानों को गोबर खाद, केंचुआ खाद, मुर्गी खाद, हरी खाद प्रयोग करने की सलाह दी, ताकि भूमि का जीवांश बढ़ाया जा सके। उन्होंने आने वाले सीजन में उगाई जाने वाली सब्जियों के बारे में तकनीकी जानकारी दी। डॉ. निर्मल कुमार ने इस समय व आने वाले समय में मौसम संबंधित जानकारी दी। उन्होंने ग्रामीण कृषि मौसम सेवा जैसे ई-मौसम एचएयू, मेघदूत व दामिनी मोबाईल एप्लिकेशन से संबंधित विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
इस अवसर पर जिला बागवानी कार्यालय से आए डॉ. रोहित गोदारा ने बागवानी विभाग द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही विभिन्न सब्जी एवं बागवानी संबंधित स्कीमों की जानकारी दी। सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी जयपाल पिलानिया ने बैंकों द्वारा चलाई जा रही स्कीमों के बारे में बताया। उन्होंने किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के फायदे भी बताए। इस अवसर पर जिले के प्राकृतिक खेती से जुड़े हुए 3 किसानों को सम्मानित भी किया गया। प्राकृतिक खेती से जुड़े हुए किसानों ने भी अपने सुझाव व विचारों का आदान-प्रदान किया। अंत में डॉ. सुशील कुमार ने आए हुए सभी किसानों एवं अधिकारियों का धन्यवाद किया।