धर्मशाला / 13 अक्तूबर / न्यू सुपर भारत न्यूज़
किसी कार्य को करते समय अगर हिम्मत, लगन और मेहनत के साथ सही सलाह, विधि और तकनीक का समावेश किया जाए तो सफलता अवश्यम्भावी है। ऐसी ही कहानी है कांगड़ा ज़िला की शाहपुर तहसील के गांव लदवाड़ा के मिंझग्राम में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही जायका की उप-परियोजना की, जो अब यहॉं के किसानों की ख़ुशहाली की तस्वीर बयॉं करती है। मेहनत तो मिंझग्राम के किसान पहले भी करते थे लेकिन जायका के आने के बाद उन्होंने सही जानकारी, प्रशिक्षण और तकनीक हासिल करने के बाद पारम्परिक खेती के स्थान पर नक़दी फसलों की ओर क़दम बढ़ाया। बमुश्किल हज़ारों कमाने वाले यहॉं के किसान अब लाखों कमा रहे हैं। पारम्परिक खेती में संलग्न किसानों की वार्षिक आय पहले मात्र 46,744/-रुपये थी; जो अब बढ़कर 234,171/-रुपये हो गई है।
लदवाड़ा गांव में निर्मित बहाव सिंचाई परियोजना, मिंझग्राम फसल विविधीकरण का सफल चित्रण है। परियोजना का निर्माण हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना के अन्तर्गत खंड परियोजना प्रबंधक इकाई, नूरपुर स्थित चैतडू द्वारा करवाया गया है। ग़ौरतलब है कि इस योजना से पहले यहां के किसानों को सिंचाई के स्त्रोतों के अभाव के कारण खेती के लिए तय समय में पानी उपलब्ध नहीं हो पाता था। किसान मुश्किल से अपने गुज़ारे लायक़ ही अन्न पैदा कर पाते थे। किन्तु हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण परियोजना के तहत मिंझग्राम में संचालित उप-परियोजना में लदवाड़ा के किसानों की 50.00 हैक्टेयर भूमि को सम्मिलित किए जाने के बाद अब तमाम किसान अपने आपको प्रगतिशील किसान कहलाने में गर्व महसूस करते हैं। इस परियोजना में लगभग 150 लाभार्थी किसानों की भूमि चयनित की गई है।
किसानों को सब्ज़ी उत्पादन के लिए प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से जायका परियोजना के तहत मिंझग्राम उप-परियोजना के रख-रखाव हेतु कृषक विकास संघ तथा पॉंच स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया। वैज्ञानिक दृष्टि से व्यवसायिक फसलों के उत्पादन के लिए किसानों के कौशल को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण शिविरों तथा कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। किसानों को उच्च कृषि तकनीकी एवं फार्म मशीनरी की जानकारी दी गई। फसल एवं सब्ज़ियों की पैदावार में वृद्धि के लिए केंचुआ खाद के गड्ढों का निर्माण करवाया गया। किसानों को समय-समय पर हाइब्रिड बीज तथा आर्गेनिक खाद उपलब्ध करवाने तथा उनके हितों की रक्षा के लिए शाहपुर में एकत्रीकरण केन्द्र का निर्माण करवाया गया; जिसमें उनकी उगाई फसलों एवं सब्ज़ियों को रखने के लिए कोल्ड स्टोर की सुविधा प्रदान करवाई गई। किसानों को उनकी सब्ज़ियों का उचित मूल्य प्राप्त करने में मदद करने के उद्देश्य से यहां पर साप्ताहिक सब्ज़ी बाज़ार लगाया जाता है। इन सब प्रयासों के चलते सब्ज़ी व्यापारी अब सब्ज़ियां ख़रीदने के लिए स्वयं किसानों के खेतों तक पहुंच रहे हैं।
स्वयं सहायता समूहों में सम्मिलित महिला सदस्यों की आमदन बढ़ाने के लिए उन्हें विभिन्न प्रकार के फूड प्रोसेसिंग, पोस्ट हार्वेस्ट तकनीक, मशरूम उत्पादन, डिटर्जेंट मेकिंग, नर्सरी रेज़िंग आदि का प्रशिक्षण मुहैया करवाया गया। किसानों को राज्य एवं अन्तर्राज्य भ्रमण के माध्यम से उन्नत खेती की जानकारी प्रदान की गई।
तकनीकी सहयोग परियोजना, हमीरपुर के तकनीकी विशेषज्ञ डॉ.ललित डोगरा द्वारा किसानों को प्रदत्त उन्नत पनीरी उत्पादन प्रशिक्षण के फलस्वरूप कई किसानों ने इसे बतौर मुख्य व्यवसाय अपनाकर अपनी आय में आशातीत वृद्धि की है। इस व्यवसाय को बढ़ाने के लिए किसानों को वाक-इन-पॉलीटनल भी उपलब्ध करवाई गई; जिसका मुख्य उद्देश्य उन्नत एवं स्वस्थ पनीरी पैदा करना है।
प्रगतिशील किसान अनिल सैनी नक़दी फसलों के साथ विदेशी सब्ज़ियों जैसे पकचोई, लेट्यूस, ब्रोकली, रेड कैबेज एवं चाइनीज कैबेज उगाकर कई किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनकर उभरे हैं। बरसात के मौसम में पनीरी तैयार करने के लिए किसानों को कई मुश्किलों को सामना करना पड़ता था। जायका परियोजना द्वारा मिंझग्राम उप-परियोजना में एक पॉलीहाउस निर्मित करवाने से किसानों को अच्छी क़िस्म की पनीरी तैयार करने में मदद मिली है। किसानों को विभिन्न अनुदानित कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जाने से अब उन्हें मज़दूरी पर किए जाने वाले बेवजह व्यय से राहत मिली है।
व्यवसायिक सब्ज़ी उत्पादन में संलग्न प्रगतिशील किसान बलवीर सिंह, रीता देवी, पुष्प देवी, लक्ष्मी देवी, अशोक कुमार, पवन देवी, रितू देवी और बंटु कुमार ने नक़दी फसलों जैसे टमाटर, मूली, पालक, स्प्रिंग अनियन, खीरा, गोभी, भिंडी इत्यादि सब्ज़ियों से बेहतर कमाई की मिसाल पेश की है। फसल विविधीकरण अपनाए जाने के बाद किसानों के उत्पादन, गुणवत्ता तथा आय मंे आशातीत बढ़ोतरी होने से उनके सामाजिक और आर्थिक जीवन में सशक्त एवं सकारात्मक बदलाव आया है।