इंजेक्शन के अभाव में मृत्यु व्यवस्था परिवर्तन का जघन्य उदाहरण है : जयराम ठाकुर
शिमला / 18 जनवरी / न्यू सुपर भारत /
अपने आवास पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने आईजीएमसी में इलाजरत कैंसर के मरीज देवराज की मौत को लेकर सुखविंदर सिंह सुक्खू पर हमला किया है। उन्होंने कहा कि इंजेक्शन उपलब्ध न होने की वजह से एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। मृतक की बिटिया जान्हवी शर्मा का जो वीडियो मीडिया के माध्यम से वायरल हुआ है, वह बहुत पीड़ादायक है। सिर्फ सरकार के निकम्मेपन की वजह से हिमकेयर और अनिवार्य दवाओं की सप्लाई रुकी और एक बेटी के सर से पिता का साया उठ गया। मैंने वह वीडियो मुख्यमंत्री को भी भेज दिया है कि आप भी देखिए कि व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर कितना जघन्य काम हुआ है। आगे ऐसा कुछ न हो, इलाज के अभाव में किसी भी प्रदेशवासी की मृत्यु न हो, मुख्यमंत्री को यह सुनिश्चित करना चाहिए। यह कोई पहला मामला नहीं है, ऐसे न जाने कितने लोगों के फ़ोन और मेसेज मुझे आते हैं कि उन्हें अस्पताल में दवाएँ नहीं मिली। इलाज़ नहीं मिला, जाँच नहीं हुई, निजी अस्पतालों में उन्हें इलाज करवाना पड़ा या फ्री दवा के लिए पात्र होने पर भी उन्हें महंगी दवाइयां बाज़ार से ख़रीद कर लानी पड़ी।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सिर्फ़ बोलने से व्यवस्था नहीं बदल जाती है, उसके लिए जुटकर काम करना पड़ता है। योजनाएं बनानी पड़ती हैं और उनका क्रियान्वयन करना पड़ता है। जब मैं मुख्यमंत्री था तो मैंने देखा कि प्रदेश में हर दिन लोग सचिवालय आते थे, मुख्यमंत्री राहत कोष से इलाज के लिए लोग मदद मांगते थे। लोग फाइलें लेकर भटकते थे। लोगों को इलाज मिल सके इसके लिए हमारी सरकार ने हिमकेयर की शुरुआत की। जिससे आयुष्मान जन आरोग्य योजना से बच गए लोगों को शामिल किया। हमारी सरकार का लक्ष्य था कि प्रदेश में कोई भी व्यक्ति अगर बीमार पड़े तो उसे इलाज के लिए सोचना न पड़े। इलाज के लिए किसी को न कर्ज लेना पड़े और न अपनी ज़मीन बेचनी पड़े। हमारी सरकार में लाखों लोगों को हिम केयर के तहत इलाज मिला। हज़ारों लोगों की जान बची। लेकिन सुक्खू सरकार लोगों की जान को हल्के में ले रही है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग में भी इस तरह की अराजकता फैला कर रखी है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हमारी सरकार में हमने प्रदेशवासियों के इलाज में कोई कोताही नहीं की। ब्रेस्ट कैंसर के मामले में एक साल के इलाज का खर्च नौ लाख आता था, उसे भी हमारी सरकार में नि:शुल्क उपलब्ध करवाया गया। हार्ट अटैक के समय लगने वाला जीवन रक्षक इंजेक्शन भी बहुत महंगा होता है, उसे भी हमारी सरकार निःशुल्क उपलब्ध करवाती थी। हमारी सरकार में इंजेक्शन चाहे पाँच हज़ार के हो या पचास हज़ार के हर ज़रूरतमंद को निःशुल्क लगता था और हमेशा उपलब्ध रहता था। यह हालात एक दिन में नहीं बने। सरकार ने चरणबद्ध तरीके से स्वास्थ्य व्यवस्था को बर्बाद करने का काम किया है। प्रदेश के दवा सप्लाई करने वाले नौ महीनें से दवा के पेमेंट के लिए गुहार लगा रहे हैं। दवाओं के पैसे देने की मांग कर रहे हैं। थक हारकर 31 दिसंबर के बाद दवाओं की सप्लाई करने में अपने हाथ खड़े कर दिए। दवा सप्लाई करने वाले समूहों ने बकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सरकार को आगाह भी किया था कि नौ महीनें से रुके हुए बिल का भुगतान अगर सरकार ने नहीं किया तो दवाओं की आपूर्ति बंद करने का अलावा कोई रास्ता नहीं है।
पत्रकारों को संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन वाले सुख की सरकार ने स्वास्थ्य विभाग का बेड़ा गर्क कर दिया है। बजट में भी जो घोषणाएं सरकार द्वारा की गई थी एक भी पूरी नहीं हुई। पेट-स्कैन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर हमारी सरकार ने बना दिया था लेकिन अभी तक पेट-स्कैन की मशीन नहीं लगी। आईजीएमसी में भी एमआरआई और सीटी-स्कैन के साथ ही अल्ट्रा साउंड के लिए भी तीन-तीन महीनें की डेट मिल रही है। हर विधानसभा क्षेत्र में एक आदर्श स्वास्थ्य संस्थान का बनाने का वादा भी सरकार द्वारा बजट में किया गया था, जिसमें एमआरआई, सीटी-स्कैन के साथ-साथ कैंसर डे केयर सेंटर भी बनाने थे लेकिन कुछ नहीं हुआ। सिर्फ झूठ बोलकर दो साल से सरकार चलाई जा रही है। एक से बढ़कर एक झूठ बोलकर सरकार दिन काट रही है। इस बार के बजट भाषण में कोई और बड़ी बात कहके सरकार अपना पल्ला झाड़ लेगी क्योंकि भुगतना प्रदेश के लोगों को हैं। सरकार पूरी तरह से ग़ैरजिम्मेदार हो गई है।