भूकंप की मॉक ड्रिल में रस्सी के सहारे स्कूल की ईमारत से बच्चों को निकाला बाहर
फतेहाबाद / 24 दिसंबर / न्यू सुपर भारत
एनडीआरएफ-7 बठिंडा टीम द्वारा शनिवार को स्थानीय क्रिसेंट पब्लिक स्कूल में भूकंप की मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। मॉक ड्रिल के दौरान भूकंप की स्थिति बनने से स्कूल की इमारत में फंसे बच्चों को रस्सी के सहारे एनडीआरएफ की टीम द्वारा सुरक्षित बाहर निकाला गया। भूकंप का पैमाना 6.6 रियेक्टर मापा गया। इंसीडेंट कमांडर की भूमिका के रूप में जिला राजस्व अधिकारी हर्ष खनगवाल मौजूद रहे।
उल्लेखनीय है कि एनडीआरएफ की टीम द्वारा जिला में लोगों को प्राकृतिक आपदा के बचाव के बारे में जागरूक किया जा रहा है। इसी के चलते क्रिसेंट पब्लिक स्कूल में भूकंप की मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। सुबह साढ़े 11 बजे भूकंप के आने का सायरन बजा। सायरन के बजते ही स्कूली बच्चे अपने आप को बचाने के लिए क्लास रूम में स्टूल/मेज के नीचे छिपाते नजर आए। भूकंप की सूचना जिला प्रशासन व एनडीआरएफ की टीम को दी गई। एनडीआरएफ की टीम व जिला प्रशासन के अधिकारी तुरंत स्कूल में पहुंचे और बचाव कार्य में लगे।
एनडीआरएफ के टीम लीडर निरीक्षक अशोक शर्मा ने बचाव कार्य के दौरान कहा कि बच्चे स्कूल की बिल्डिंग से बाहर आते वक्त किसी तरह की भगदड़ न बचाएं और सीढिय़ों से ही बाहर आएं। इसके बार एनडीआरएफ टीम के अलावा होमगार्ड व एसडीआएएफ के जवान स्कूल के अंदर पहुंचे और बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला। कुछ घायल बच्चों को स्ट्रेचर पर बाहर लाया गया और कुछ को एनडीआरएफ के जवानों द्वारा हाथों पर बैठाकर लाया गया। घायल बच्चों का उपचार वहीं पर स्थापित की गई मेडिकल पोस्ट में करवाया गया, जिसमें रेडक्रॉस के वॉलिटियरस ने भी अह्म भूमिका निभाई।
भूकंप के चलते आगजनी की आशंका होने पर अग्रिशमन विभाग की गाड़ी भी तुरंत मौके पर पहुंची। बचाव कार्य के दौरान एनडीआरएफ के जवानों ने स्कूल की दूसरी मंजिल पर फंसे बच्चों को रस्सी के सहारे सुरक्षित बाहर निकाला। कक्षा चौथी का एक बच्चा अपने आप रस्सी के सहारे बाहर आया, जिसकी सभी ने सराहना की। इस दौरान स्कूली बच्चों को किसी भी आपदा से बचाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इसके अलावा बचाव कार्य के दौरान प्रयोग होने वाले उपकरणों की भी स्कूल प्रांगण में प्रदर्शनी लगाई गई।
भूकंप से बचाव कार्य के बारे में बताते हुए एनडीआरएफ के निरीक्षक अशोक शर्मा ने विद्यार्थियों को बताया कि भूकंप की स्थिति होने पर भयभीत नहीं होना चाहिए और शांति बनाए रखना चाहिए। जब भी कभी भूकंप आने का पता चले तो अपने आप को मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे छिपाना चाहिए। अगर घर में कोई फर्नीचन ऐसा नहीं हो तो घुटनों के बल चलकर मजबूत दीवार के साथ फर्श पर बैठ जाए। दरवाजे के पास खड़ा नहीं होना चाहिए, क्योंकि झटके से दरवाजा टूट सकता है और चोट लग सकती है। इसी प्रकार से कांच की खिड़कियों व दरवाजे से दूर रहना चाहिए। बचाव के लिए एलीवेटर या लिफ्ट का प्रयोग बिल्कुल ना करें। भूकंप आने पर यदि आप पहले से ही बाहर है तो खुले मैदान में जाएं। ईमारतों, लाइटों व बिजली के खंबों से दूर रहे। किसी बड़े पेड़ के नीचे न जाएं
उन्होंने कहा कि स्वयं को बचाने के साथ-साथ नवजात बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों व दिव्यांग लोगों की मदद करें। मोमबती या अन्य किसी भी तरह से आग न जलाएं, केवल टॉर्च लाइट का ही प्रयोग करें। जो ईमारत भूकंप से क्षतिग्रस्त हुई है उसके पास किसी को न जाने दें। उन्होंने कहा कि कोई भी आपदा आती है तो अफवाहों से बचें और रेडियो या टेलीविजन पर सरकार द्वारा दी जाने वाली सूचनाओं को गौर से सुनें। बचाव कार्य के लिए सामाजिक संगठनों व युवा क्लबों की मदद लें।
इस दौरान नायब तहसीलदार राजेश गर्ग, उप सिविल सर्जन डॉ. कुलदीप गौरी, खंड शिक्षा अधिकारी विजय कुमार, जिला आपदा प्रबंधक अंजू राणा, स्कूल की प्राचार्या पूनम खुसरीजा सहित एनडीआरएफ, होमगार्ड व जिला रेडक्रॉस सोसायटी के वॉलिंटियर मौजूद रहे।