-जेजे एक्ट व पोक्सो एक्ट बारे तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ
फतेहाबाद / 24 मार्च / न्यू सुपर भारत
उपायुक्त डॉ. नरहरि सिंह बांगड़ ने कहा है कि जिला के हर गांव को चाइल्ड फ्रेंडली विलेज बनाया जाएगा। इसके लिए गांवों में चाइल्ड फ्रेंडली कमेटी का गठन किया जा रहा है। ये कमेटियां बच्चों को उनके अधिकार बारे जागरूक करेंगी। उपायुक्त बुधवार को पुराना बस अड्डा के नजदीक जाट धर्मशाला में स्थित होटल 7 स्पाइसज में किशोर न्याय (बालकों का संरक्षण एवं देखभाल) अधिनियम, 2015, यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के तहत आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रथम दिन सेमिनार के प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे।
उपायुक्त डॉ. नरहरि सिंह बांगड़ ने कहा कि एक सर्वे में यह सामने आया है कि 60 प्रतिशत बच्चे शोषण का शिकार हो रहे हैं और उनमें से आधे से अधिक लडक़े हैं। उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर चेतावनी है। बच्चों पर हो रहे शोषण और बच्चों द्वारा किए जा रहे अपराधों को रोकने के लिए समाज को भी आगे आना होगा। सरकारी स्तर पर अनेक एजेंसियां उनके कल्याण के लिए काम कर रही है। जो बच्चे रास्ते से भटक चुके हैं उनको मुख्य धारा में लाना जरूरी है। देश की आबादी 60 प्रतिशत युवा है और इस युवा शक्ति में बच्चों को शामिल होना है। इसलिए एक स्वस्थ समाज निर्माण में बच्चों पर हो रहे शोषण और उन द्वारा किए जा रहे अपराधों बारे हमें गंभीरता से सोचना होगा।
उपायुक्त डॉ. बांगड़ ने सेमिनार में हिस्सा ले रहे विभिन्न थानों से आए जांच अधिकारियों को कहा कि वे जब भी पोक्सो व जुवेनाइल एक्ट के तहत कोई कार्रवाई करें तो यह जरूरी हो जाता है कि वे सभी प्रकार की कानूनी प्रक्रिया को मद्देनजर रखें। उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों की कार्यशैली पारदर्शी होनी चाहिए और यह समाज को प्रतीत भी होनी चाहिए। उपायुक्त ने सेमिनार में भाग ले रहे सभी जांच अधिकारियों, बाल कल्याण समिति सदस्यों से कहा कि वे बालकों के संरक्षण एवं देखभाल अधिनियम व यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की पूरी जानकारी लें और अपनी कार्यशैली को दक्ष करें।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार ने कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी भी बच्चे को उसके धर्म, जात व जन्म स्थान व अन्य प्रकार के भेदभाव के आधार पर उसके अधिकार को वंचित नही कर सकता है। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट व पोक्सो एक्ट बच्चों के अधिकार की रक्षा करने के लिये बनाए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस का यह कर्तव्य होता है कि उनके समक्ष पहुंचे पीडि़त बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार करें तथा कानून अंतर्गत उसे सहायता प्रदान करें। उन्होंने लैंगिक अपराध से पीडि़त बच्चों के प्रति पुलिस तथा न्यायालय के कर्तव्य के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
सेमिनार में मास्टर ट्रैनर अरविंद्र खुरानिया ने बच्चों पर हो रहे अपराध या बच्चों द्वारा हो गए अपराध में किस प्रकार की कानूनी प्रक्रियाएं लागू होगी और बच्चों के क्या-क्या अधिकार है, इस बारे विस्तार से जानकारी दी।
सेमिनार में जिला बाल कल्याण समिति के चेयरमैन नरेन्द्र मोंगा, पीओ आईसीडीएस राजबाला जांगड़ा, जिला बाल संरक्षण अधिकारी प्रदीप कुंडू, सुरजीत बाजिया, अजय बजाज, दुर्गेश अरोड़ा, लीगल प्रोबेशन ऑफिसर एडवोकेट बृजेश सेवदा सहित सीडब्ल्यूसी सदस्य व विभिन्न थानों के जांच अधिकारी मौजूद रहे।