चंडीगढ़ / 20 सितम्बर / न्यू सुपर भारत न्यूज़
राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) एक समावेशी भारत के निर्माण के मार्ग में एक बड़ा मील का पत्थर है, जो शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले सभी लोगों के मध्य, अवसरों के समान वितरण को सुनिश्चित करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा। यह नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों को सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षाओं की बहुलता की कठोरता से मुक्ति प्रदान करता है, जिसमें लंबी यात्राएं, नौकरी के इच्छुक लोगों के लिए अतिरिक्त वित्तीय बोझ और कुछ अन्य अंतर्निहित जोखिम शामिल हैं। सामान्यतः उनमें से सबसे अधिक पीड़ित, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्र और विशेष रूप से भारत के 117 आकांक्षात्मक जिलों से थे। एनआरए को एक अत्याधुनिक संस्था के अनुरूप नियुक्त किया गया है, जो अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और सर्वोत्तम प्रथाओं को केंद्र सरकार की भर्ती के क्षेत्र में लाती है।
वास्तव में, सरकारी नौकरियों के लिए भारत की भर्ती प्रक्रिया में अमूल-चूल सुधार बहुत समय से लंबित था, लेकिन पूर्व में सरकार का इस ओर ध्यान नहीं गया। इसलिए, एनआरए को वास्तविकता बनाने के लिए भारत के दूरदर्शी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सलाम। यह केंद्र सरकार की नौकरियों में भर्ती के लिए कई परीक्षाओं की जगह लेगा, इस प्रकार यह एक उल्लेखनीय प्रतिमान है। यह सरकारी नौकरी चाहने वालों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आता है, जिन्हें विभिन्न पदों के लिए कई भर्ती एजेंसियों द्वारा आयोजित अलग-अलग परीक्षाओं के लिए उपस्थित होना था। एक आधिकारिक अनुमान के अनुसार, हर साल लगभग 1.25 लाख सरकारी नौकरियों का विज्ञापन किया जाता है, जिसके लिए कई परीक्षाओं में 2.5 करोड़ उम्मीदवार उपस्थित होते हैं।
इस बड़े सुधार के पीछे का विचार किसी भी तरह से पराजित न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए एनआरए कई विशेषताओं से लैस है। सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी) उम्मीदवारों को एक बार परीक्षा में बैठने और इनमें से किसी एक या सभी भर्ती एजेंसियों में उच्च स्तर की परीक्षा के लिए आवेदन करने में सक्षम बनाएगी। गैर-राजपत्रित सरकारी पदों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में भर्ती के लिए सीईटी पास करने वालों पर विचार किया जाएगा। सीईटी, एकल ऑनलाइन परीक्षा, अंग्रेजी और हिंदी में ही नहीं जैसाकि अभी तक हो रहा था, बल्कि 12 प्रमुख भाषाओं में साल में दो बार आयोजित की जाएगी। विभिन्न स्तरों पर रिक्तियों के लिए भर्ती की सुविधा के लिए स्नातक स्तर, 12 वीं पास स्तर और 10 वीं पास स्तर के लिए अलग-अलग सीईटी होंगे।
शुरुआत में, सीईटी तीन एजेंसियों – कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) और इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग कार्मिक चयन (आईबीपीएस) द्वारा की गई भर्तियों को कवर करेगा, और चरणबद्ध तरीके से विस्तारित किया जाएगा। आशा है कि, केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों के शिक्षकों और केंद्र सरकार द्वारा संचालित संस्थानों के लिए लेक्चररों या सहायक प्राध्यापकों की भर्ती जल्द ही सीईटी के दायरे में लाई जाएगी, जो देशभर के 1,000 केंद्रों पर होने जा रही है। यह वर्तमान में प्रचलित शहरी पक्षपात को हटा देगा। देश के हर जिले में एक परीक्षा केंद्र होगा जिसमें 117 आकांक्षात्मक जिलों में परीक्षा के बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाएगा।
एक समान परिवर्तनकारी भर्ती प्रक्रिया के रूप में, सीईटी उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए प्रथम स्तर की परीक्षा होगी और इसमें प्राप्त अंक (स्कोर) तीन साल के लिए मान्य होगा। ऊपरी आयु सीमा के अधीन सीईटी में उपस्थित होने के लिए उम्मीदवार द्वारा किए जाने वाले प्रयासों की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आयु में छूट मौजूदा नियमों के अनुसार लागू होगी। यह परेशानी मुक्त होगा क्योंकि आवेदकों को एक ही क्षेत्रीय पोर्टल पर पंजीकरण करना आवश्यक होगा, परीक्षा की तारीखों के टकराव के बारे में कोई चिंता नहीं होगी और एकल परीक्षा शुल्क से वित्तीय बोझ कम होगा। अपने जिले में परीक्षा की सुविधाएं भी अधिक से अधिक महिला उम्मीदवारों को सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
सरलता और पारदर्शिता के मिश्रण के साथ, एनआरए एक सुधारक उपाय के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विश्वास और सबका विकास’ के भव्य दृष्टिकोण को पूर्ण करता है। यह संस्थानों के लिए भी एक जीत की स्थिति है, क्योंकि एनआरए उम्मीदवारों की प्रारंभिक और स्क्रीनिंग परीक्षाओं के संचालन की बाधा को खत्म करता है और परीक्षा पैटर्न में एकरूपता लाता है। एक आधिकारिक अनुमान के अनुसार, एनआरए विभिन्न भर्ती एजेंसियों को लगभग 600 करोड़ रुपये बचाने में मदद करेगा।
चूंकि सीईटी कंप्यूटर आधारित ऑनलाइन परीक्षा है, इसलिए केंद्र सरकार ने ऑनलाइन परीक्षा प्रणाली से परिचित कराने के लिए ग्रामीण और अन्य दूरदराज के क्षेत्रों में उम्मीदवारों की सहायता करने के लिए आउटरीच और जागरूकता सुविधा प्रदान करने की योजना बनाई है। प्रश्नों का जवाब देने और शिकायतों के समाधान के लिए एक चैबीसों घंटे की हेल्पलाइन भी स्थापित की जाएगी। प्रशासनिक प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए, एनआरए की अध्यक्षता, भारत सरकार के सचिव के रैंक के समकक्ष, एक अध्यक्ष द्वारा की जाएगी और इसमें रेल मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, वित्तीय सेवा विभाग, एसएससी, आरआरबी और आईबीपीएस के प्रतिनिधि होंगे। केंद्र सरकार ने एनआरए के लिए 1517.57 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। व्यय तीन वर्षों की अवधि में किया जाएगा।
समावेशिता बरकरार है, जोकि एनआरए की एक बड़ी विशेषता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सही कहा है कि “एनआरए समाज के सभी वर्गों को समान अवसर प्रदान करेगा क्योंकि प्रत्येक जिले में एक परीक्षा केंद्र होगा… ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और सरलता सुनिश्चित करने के साथ देश के युवाओं को नौकरी देने का उचित अधिकार दिया है।” यह ओबीसी, एससी, एसटी और ईडब्ल्यूएस श्रेणी के आवेदकों के लिए सकारात्मक नीति के कार्यान्वयन में पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा। यदि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के सुदृढ़ उपयोग से देश के हर जिले में परीक्षा केंद्रों में व्याप्त कुरीति दूर हो जाती है, तो न केवल दूर-दराज के क्षेत्रों में स्थित उम्मीदवारों तक पहुंच बढ़ेगी, बल्कि लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। यह कदम एक मील का पत्थर साबित होगा, जो युवाओं के जीवन को सरल बनाने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।
एनआरए से महिलाओं को भी बहुत सारी विशेष उम्मीदें है। यह एक सर्वविदित तथ्य है कि विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों से, महिला उम्मीदवारों को, कई परीक्षाओं में उपस्थित होने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है क्योंकि उन्हें परिवहन और आवास की व्यवस्था करनी होती है, जो बहुत दूर होता है। उन्हें कभी-कभी दूरी पर स्थित इन केंद्रों पर, उनके साथ जाने के लिए उपयुक्त व्यक्तियों की तलाश करनी पड़ती है। वित्तीय और अन्य बाधाओं को देखते हुए, सामान्य रूप से ग्रामीण पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों और विशेष रूप से महिलाओं को यह चुनाव करना होगा कि वे किस परीक्षा में शामिल होना चाहते हैं। एनआरए के तहत, एक परीक्षा में उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों को कई पदों के लिए प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिलेगा।
केवल इतना ही नहीं, पूर्वोत्तर क्षेत्र के छात्रों को एनआरए से लाभान्वित किया जाएगा। भौगोलिक बाधाओं को देखते हुए, यह पहल उन्हें एक करियर को सुरक्षित करने में मदद करेगी, जिसके लिए वे वास्तव में योग्य हैं। यहां तक कि राज्य और केंद्रशासित प्रदेश व सार्वजनिक उपक्रम, संबंधित श्रेणियों में उम्मीदवारों की भर्ती में सीईटी स्कोर का उपयोग कर सकते हैं। कहने की आवश्यकता नहीं, कि एनआरए एक ऐतिहासिक पहल है, जो देश की भर्ती प्रक्रिया को एक नया अर्थ और आयाम देती है।