नेशनल डिजीटल हैल्थ मिशन (एनडीएचएम), सार्वभौमिक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा की ओर एक ऐतिहासिक पहल- राजीव रंजन रॉय
चंडीगढ़ / 27 अगस्त / न्यू सुपर भारत न्यूज़
135 करोड़ की जनसंख्या वाले देश भारत को प्रत्येक परिस्थिति में सबके लिए गुणवत्तापूर्ण, सस्ती एवं नैतिक तौर पर सार्वभौमिक स्वास्थ्य-सेवा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य-सुविधायें – निजी अथवा सार्वजनिक – जनता को आपातकालीन परिस्थिति व दैनिक आवश्यकतानुसार उपलब्ध व व्यवहारिक होनी चाहिएं। केन्द्र तथा सभी राज्य स्वास्थ्य क्षेत्र को वास्तविक अर्थों में थोड़ा सस्ता बनाने हेतु निरंतर कार्यरत हैं। चाहे वर्तमान स्वास्थ्य-सुविधायों, संसाधनों व आवश्यकता पड़ने पर सही समय पर काम आने की प्रभावशीलता को सुनिश्चित करने का कार्य भी चुनौतीपूर्ण है। इसी दिशा में, ‘नेशनल डिजीटल हैल्थ मिशन’ (एनडीएचएम – NDHM), जो भारत की स्वास्थ्य-सेवा डिलीवरी प्रणालियों को सशक्त बनाने हेतु कुछ मसलों पर रुकावटों का समाधान ढूंढती है। इस में भारत के सार्वभौमिक स्वास्थ्य-सेवा के लक्ष्य की पूर्ति के मार्ग पर एक मील-पत्थर बनने की पूर्ण संभावना है।
भारत क्योंकि अपनी धरती के कोने-कोने तक सब के लिए पहुंचयोग्य उच्च-गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य-सेवा स्थापित करने हेतु वचनबद्ध है, अतः डिजीटल हैल्थ सुविधायों की बड़ी भूमिका रहेगी। यूआईडीएआई (UIDAI) के भूतपूर्व अध्यक्ष तथा नेशनल डिजीटल हैल्थ ब्लूप्रिन्ट (एनडीएचबी – NDHB) समिति के अध्यक्ष जे. सत्यानारायण के शब्दों में, डिजीटल स्वास्थ्य सेवाएं ‘डिजीटल हैल्थकेयर कम्पोनैंट’ पर बल देते हुए ‘सभी को स्वास्थ्य-सेवा की परिधि में लाने’ (यूएचसी -UHC) की लक्ष्य-प्राप्ति की ओर भारत सरकार की सब से बड़ी छलांग होंगी।’ लम्बे समय से स्वास्थ्य क्षेत्र व डाटा की वर्तमान ऐप्लीकेशन्स को संगठित करने हेतु एक साझे मंच की आवश्यकता महसूस की जाती रही है, अब तक भारत में सार्वजनिक या निजी दोनों प्रकारा की स्वास्थ्य-सेवा सुविधायों में सब अलग-अलग से चलता रहा है, परन्तु अब एनडीएचएम (NDHM) के रूप में यह एकजुट होगा।
केन्द्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन कह चुके हैं, ‘समय की आवश्यकता है कि एक ऐसा सुखद वातावरण स्थापित किया जाए ताकि स्वास्थ्य से संबंधित जानकारियां देने वाली वर्तमान विभिन्न प्रणालियां एकजुट हों तथा आने वाले कार्यमों को एक स्पष्ट मार्ग दिखायें। इन सूचना प्रौद्योगिकी प्रणालियों की अभिसारिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, ताकि स्वास्थय सेवाओं का विधिवत पर्यवेक्षण हो सके तथा स्वास्थ्य सेवाएं एक सशक्त व कार्यकुशल ढंग से मुहैया करवाई जा सकें।’ यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि जहां तक हमारे स्वास्थ्य को डिलिवर करने से संबंधित प्रणाली का संबंध है, इस में सही समय महत्त्वपूर्ण हस्तक्षेप अभी तक तो एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। वैसे चाहे गत कुछ वर्षों के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) को बड़े स्तर पर अपनाया गया है, फिर भी अभी बहुत कुछ करना शेष है, विशेषतया चिकित्सीय सेवाओं तक सब की पहुंच बनाने के क्षेत्र में; यह आवश्यकता स्पष्ट तौर पर कोरोना-वायरस की महामारी के साथ जूझते समय स्पष्ट तौर पर उजागर हुई है।
एनडीएचएम के अंतर्गत, प्रत्येक भारतीय को एक ‘स्वास्थ्य पहचान’ (आईडी) दी जाएगी, जिस में प्रत्येक टैसट, रोग, जिन डॉक्टरों ने चैक किया, जो औषधियां लीं तथा रोग के निदान (डायग्नौस्टिक) से संबंधित प्रत्येक प्रकार की जानकारी विद्यमान होगी। एनडीएचएम आईडी में निर्दिष्ट सारी जानकारी न केवल पूर्णतया सही होगी, अपितु उसे कहीं भी ले जाया जा सकेगा तथा वह सुगमता से पहुंचयोग्य होगी, चाहे रोगी किसी नए स्थान पर जा कर किसी नए चिकित्सक से उपचार करवाना प्रारंभ कर दे। यह एक समग्र, स्वैच्छिक स्वास्थ्य-सेवा कार्यम है, जो चिकित्सकों, अस्पतालों, फ़ार्मेसियों, बीमा कंपनियों को संगठित करेगा तथा एक डिजीटल स्वास्थ्य आधारभूत संरचना का निर्माण भी करेगा। ई-संजीवनी, जन-औषधि, प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई – PMJAY), शायद यह विश्व की सब से विशाल स्वास्थ्य आश्वासन योजना है जो द्वितीय व तृतीय स्तर की अस्पताल-सुविधा हेतु प्रत्येक वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपए तक का हैल्थ कवर मुहैया करवा रही है, डिजीटल स्वास्थ्य कार्ड डॉक्टरों को रोगियों का उपचार करने व उनके गत मैडिकल इतिहास संबंधी जानकारी लेने में सहायक होंगे।
यह सुनिश्चित करने हेतु कि स्वास्थ्य सेवाओं के डिजीटलकरण की ओर भारत की छलांग निर्विघन व पारदर्शी ढंग से किसी तर्कपूर्ण परिणाम पर पहुंचे, इस एअी-पीएमजेएवाई को क्रियान्वित करने हेतु ज़िम्मेदार सर्वोच्च एजेन्सी ‘नेशनल हैल्थ अथॉरिटी’ (एनएचए) को देश में एनडीएचएम को तैयार करने, निर्माण करने, प्रारंभ करके उसे पूर्णतया लागू करने की ज़िम्मेदारी दी गई है। इस यमय, यह योजना एक पायलट परियोजना के तौर पर छः केन्द्र शासित प्रदेशों – चण्डीगढ़, लद्दाख, दादरा व नगर हवेली तथा दमन एवं दीव, पुद्दुचेरी, अण्डेमान व निकोबार द्वीपों तथा लक्षद्वीप में चलाई गई है।
एनएचए (NHA) के अनुसार, एनडीएचएम का उद्देश्य आम नागरिकों को चिकित्सक ढूंढने, उन से मिलने का समय लेने, परामर्श की फ़ीस का भुगतान करने, औषधियों के नुस्खे की पर्चियां/शीटें लेने हेतु अस्पताल के कई चक्कर लगाने की चुनौनियों से मुक्त करना तथा समूह भारतियों को सही जानकारी व स्रोतों को सशक्त बनाना है, ताकि वे हर संभव हद तक सर्वोच्च स्वास्थ्य-सेवा का लाभ लेने का निर्णय बहुत सोच-समझ कर ले सकें। इस नई पहल के छः प्रमुख अंग या डिजीटल प्रणालियां – हैल्थ-आईडी, डिपी-डॉक्टर, स्वास्थ्य सुविधा पंजीयन, निजी स्वास्थ्य रेकार्ड, ई-फ़ार्मेसी तथा टैली-मैडीसन हैं। हैल्थ आईडी, डिजी-डॉक्टर तथा स्वास्थ्य सुविधा रजिस्ट्री (एचएफआर – HFR) जैसे प्राथमिक अंग केन्द्र सरकार की निगरानी में रहेंगे तथा उसी की ओर से इन का संचालन व रख-रखाव किया जाएगा। जहां तक निजी क्षेत्र के संबंधित पक्षों का संबंध है, उन्हें भी इन अंगे से जुड़ने का एकसमान सुअवसर प्राप्त होगा तथा वे बाज़ार के लिए अपने उत्पाद बना सकेंगे। परन्तु हैल्थ आईडी बनाने, किसी डॉक्टर अथवा सुविधा की अनुमति जैसी आधारभूत गतिविधियों व पुष्टियों के मुख्य कार्य सरकार के पास रहेंगे।
यहां गौरतलब है कि एनडीएचएम पूर्णतया ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति – 2017 ’ के अनुसार है, जो कि परिवर्तित हो रहे सामाजिक-आर्थिक, तकनीकी व महामारी के भू-दृश्य की आवश्यकतानुसार वर्तमान एवं उभर रहीं स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान ढूंढने पर केन्द्रित है। ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति – 2017’ स्वास्थ्य-सेवा प्रणाली की कार्यकुशलता व परिणाम में सुधार लाने हेतु डिजीटल टूल्स के व्यापक उपयोग करने की वकालत करती है तथा उसका उद्देश्य एक ऐसी संगठित स्वास्थ्य सूचना प्रणाली स्थापित करना है जो सभी संबंधित पक्षों की सेवा करे तथा कार्यकुशलता, पारदर्शिता व नागरिकों के अनुभव में और सुधार लाए। रोकथाम एवं प्रोत्साहन आधारित स्वास्थ्य-सेवा पर फ़ोक्स के साथ प्रगतिशाील आश्वासन-आधार पहुंच की वकालत करते हुए, ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति – 2017’ सुनिश्चित तौर पर व्यापक आधारभूत स्वास्थ्य-सेवा का बड़ा पैकेज मुहैया करवाने तथा प्रत्येक आयु के सभी लोगों के स्वास्थ्य व सलामती के उच्चतम संभावी स्तर पर ग़ौर करती है, जहां रोकथाम व प्रोत्साहन आधारित गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच कायम हो सके तथा इन सेवाओं के कारण किसी को वित्तीय कठिनाईयों का सामना न करना पड़े।
‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति – 2017’ की रूप-रेखा के अंतर्गत, प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के संपूर्ण नेतृत्त्व ने वर्तमान व्यवस्था के द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र को उचित फ़ण्ड जारी करने सुनिश्चित किए हैं। केन्द्रीय बजट 2017-18 में केन्द्र सरकार ने स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय हेतु 47,352.51 करोड़ रुपए की व्यवस्था रखी थी। यह बजट-राशि में गत वर्ष के मुकाबले 27.77 प्रतिशत बढ़ोतरी थी। ऐसे ही वर्ष 2018-18 में, स्वास्थ्य ख़र्चों में 2017-18 के मुकाबले 11.5 प्रतिशत बढ़ोतरी की गई तथा 52,800 करोड़ रुपए की बजट-राशि रखी गई। वर्ष 2018-19 में नेशनल हैल्थ मिशन (एनएचएम) हेतु 24,908 करोड़ रुपए की व्यवस्था रखी गई थी, जो गत वर्ष की बजट-राशि से 2,967.91 करोड़ रुपए अधिक थी। वित्तीय वर्ष 2019-2020 के केन्द्रीय बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र हेतु 62,659.12 करोड़ रुपए का ख़र्च तय किया गया था, जो विगत दो वित्तीय वर्षों के मुकाबले अधिक था। केन्द्र सरकार जिस सौहार्दपूर्ण ढंग से स्वास्थ्य क्षेत्र की गुणवत्ता के साथ कोई समझौता किए बिना इसकी पारर्शिता व इसे सस्ता बनाने हेतु कार्यरत है, उसी के कारण एक सशक्त भारत की नींव रखी जानी तय है।