हमीरपुर / 25 नवंबर / रजनीश शर्मा //
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला टौणी देवी में बाल विकास विभाग के सौजन्य से आयोजित आत्मरक्षा का 10 दिवसीय शिविर जिसका सफलतापूर्वक आयोजन किया गया था । इस शिविर में विद्यालय के प्रशिक्षक सतीश राणा, जो ब्लैक बेल्ट धारक हैं, ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाए आज सभी छात्राओं को प्रमाण पत्र वितरित किए गए, जिसे पाकर उनके चेहरे पर आत्मविश्वास और खुशी साफ झलक रही थी।10 दिनों के इस शिविर ने न केवल छात्राओं को आत्मरक्षा की तकनीकों से सशक्त किया, बल्कि उनके आत्मविश्वास और साहस को भी नई ऊँचाइयाँ दीं। इस पहल ने यह साबित कर दिया कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह व्यक्तित्व के विकास और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम भी होनी चाहिए।
प्रधानाचार्य रजनीश रांगड़ा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यह शिविर लड़कियों के लिए एक अनूठा अवसर था, जिसमें उन्होंने आत्मरक्षा के महत्व को समझा और इसकी तकनीकों को सीखा। उन्होंने कहा कि आत्मरक्षा का ज्ञान केवल किसी संकट से बचाव के लिए नहीं है, बल्कि यह लड़कियों में आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास बढ़ाने का भी माध्यम उन्होंने बाल विकास अधिकारी श्री कुलदीप चौहान का इस शिविर के लिए धन्यबाद करते उए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम भविष्य में भी आयोजित किए जाएं ताकि छात्रों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित हो सके क्यूंकि हमारा उद्देश्य छात्रों को न केवल शिक्षित करना है, बल्कि उन्हें हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार करना भी है। आत्मरक्षा प्रशिक्षण इसी दिशा में एक कदम है।
शिविर के दौरान सतीश राणा ने लड़कियों को आत्मरक्षा के बुनियादी और उन्नत स्तर के कौशल सिखाए। इनमें पंचिंग, किकिंग, ग्राउंड फाइटिंग, और खतरे की स्थिति में सही निर्णय लेने की कला शामिल थी। इसके अलावा, उन्हें मानसिक रूप से तैयार रहने और संकट की स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए प्रशिक्षित किया गया। उन्होंने बताया कि आत्मरक्षा केवल एक कला नहीं है, बल्कि यह जीवन का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने कहा, “शिविर के दौरान लड़कियों ने बहुत रुचि और जोश के साथ आत्मरक्षा की तकनीकों को सीखा। उनका आत्मविश्वास देखकर मैं आश्वस्त हूँ कि वे इसे अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए उपयोग करेंगी।” एक छात्रा ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “यह शिविर हमारे लिए बहुत उपयोगी था। हमें अब किसी भी अप्रिय स्थिति में खुद की रक्षा करने का आत्मविश्वास है। प्रमाण पत्र पाकर हमें गर्व हो रहा है कि हमने 10 दिनों में इतना कुछ सीखा।”
प्रधानाचार्य ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए और उनकी मेहनत और समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहा, “यह प्रमाण पत्र केवल एक दस्तावेज़ नहीं है, बल्कि यह उन क्षमताओं का प्रतीक है जो छात्राओं ने इन 10 दिनों में अर्जित की हैं।” छात्राओं ने भी अपनी खुशी व्यक्त की और कहा कि यह प्रमाण पत्र उनके आत्मविश्वास को और बढ़ाएगा। एक अन्य छात्रा ने कहा, “हम सतीश सर के आभारी हैं जिन्होंने हमें यह महत्वपूर्ण कला सिखाई। हम चाहते हैं कि ऐसे शिविर हर साल आयोजित हों।