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भागवत कथा श्रवण से धुल जाते है मनुष्य के सभी पाप धुल जाते है : आचार्य हेमानंद

ऊना , 29 जनवरी (राजन चब्बा)

भागवत कथा श्रवण से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते है। यह बात सोमवार को शीतला माता मंदिर में चल रही श्रीमद भागवत कथा के उपलक्ष्य में आयोजित धार्मिक समागम में उपस्थित श्रदालुओं को संबोधित करते हुए डेरा बाबा रूद्रानंद जी आश्रम के अधिष्ठाता श्रीश्री 1008 विद्यालंकार वेदाचार्य स्वामी सुग्रीवानंद जी महाराज के परम शिष्य आचार्य हेमानंद जी महाराज ने कही।

श्रीमद् भागवत कथा अमृत है, इसके सुनने मात्र से ही मनुष्य के जन्म जन्म के पाप कट जाते हैं। जीवन में अमृतरूपी इस महापुराण का हर किसी को श्रवण करना चाहिए। श्रीमद भागवत कथा का आयोजन सबसे बड़ा धार्मिक अनुष्ठान है,वहीं भाग्यशाली लोगों को ही इसे बैठकर सुनने का अवसर मिलता है। कथा सुनने का लाभ तभी है,जब हम इसमें कही बातों का अपने दैनिक जीवन में भी अनुसरण करें।

कथा सुनने के लिए कोई आयु सीमा नही है, बचपन से ही कथा सुनने की आदत हमें अपने बच्चों में डालनी चाहिए। हर घर में श्रीमद भागवत कथा पुराण व धार्मिक ग्रंथ गीता होनी चाहिए। श्रीमद भागवत पुराण स्वयं में परमात्मा है,वहीं श्रीमद भगवत गीता स्वयं भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन जी के माध्यम से हम सबको दिया गया जीवन के अनमोल उपदेश है। इन दोनो ग्रंथों के घर में रखने से स्वयं भगवान आपने घर में विराजमान रहते है।

गीता हमें जीवन को जीने का ढंग सिखाती है। उन्होंने कहा कि हमें अपने जीवन में शुचिता लानी चाहिए। किसी की निंदा से बचना चाहिए। हमें अपने समय का सदुपयोग करना चाहिए तथा भगवान का सिमरन करना चाहिए। मनुष्य को अपने समय को किसी की निंदा करने,बेकार की चर्चा में व्यय न करके धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए। वहीं, नित्य प्रभु भजन करने चाहिए। भगवान का सिमरन करने से मनुष्य के दोष,विकार स्वयं नष्ट हो जाते है,वहीं हर प्रकार के कष्ट से भी मुक्ति मिलती है।

इससे पहले शीतला माता मंदिर में पहुंचने पर आचार्य हेमानंद जी महाराज का भव्य स्वागत किया गया। मंदिर के पुजारी पंडित जयदेव तिवारी के नेतृत्व में श्रदालुओं ने आचार्य हेमानंद जी का फूलों से स्वागत किया। आचार्य हेमानंद जी महाराज ने शीतला माता मंदिर में माथा टेका,वहीं श्रीमद भागवत कथा ब्यास पर ठाकुर जी को भी माथा टेका।

इस अवसर पर कथा ब्यास भागवत शरण जी महाराज वृदंावन वाले,पंडित जयदेव तिवारी,युवा सेवा क्लब के अध्यक्ष मोहन लाल मोहनी,सोमनाथ कपिला,सुरेश कुमार,अश्वनी दत्ता सहित भारी संख्या में श्रदालु उपस्थित थे।

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श्रीमद भागवत कथा के विराम दिवस पर प्रवचन करते हुए कथा ब्यास भागवत शरण जी महाराज ने कहा कि कृष्ण-सुदामा जैसी मित्रता होनी चाहिए। सुदामा जी त्यागी, तपस्वी, ओजस्वी, मनस्वी एवं स्वामिनी उत्तम ब्राह्म थे। कृष्ण नाम जय ही उनका सर्वोतम धन था। भागवत शरण जी ने भगवान के सोलह हजार एक सौ सात विवाहों का वर्णन किया। पद्युमन कथा, नृग कथा, पांडवों द्वारा राजसूय यज्ञ, दुर्योधन का अपनमान, जरासंघ वध एवं द्वारिका लीलाओं, त्रिदेवों की परीक्षा, सुभद्रा हरण, भस्मासुर की कथा आदि प्रसंगों का श्रवण करवाया। इसके बाद यदुवंश को श्राप, चौबीस गुरुओं की कथा, नव योगेश्वर संवाद तथा भगवान का स्वधाम गमन, शुक देव विदायी, परीक्षित मोक्ष एवं संपूर्ण भागवत का सार वर्णन के साथ कथा विश्राम दिया गया।

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