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सिंचाई के लिए खेतों में पानी मिलने से कृष्ण लाल ने लिखी सफलता की कहानी ***फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना के तहत 24 कृषक परिवारों को मिला लाभ

बिलासपुर / 02 नवम्बर  / न्यू सुपर भारत न्यूज़:-

मेहनत और तकनीक के प्रयोग से मिट्टी से सोना पैदा करने की यह प्ररेक कहानी है, बिलासपुर जिला की घुमारवी तहसील के छिब्बर वल्लू गांव के 67 वर्षीय कृष्ण लाल की। हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना के प्रथम चरण के तहत संचालित की गई ‘छिब्बर वल्लू’ उपयोजना का निर्माण वर्ष 2017 को पूरा किया गया। इस उपयोजना के तहत गांव की 11 हैक्टेयर कृषि भूमि के लिए स्थाई सिंचाई का प्रबंध किया गया, जिससे यहां के 24 कृषक परिवारों को लाभ हुआ।


कृष्ण लाल भी लांभावित परिवारो में से एक प्रगतिशील किसान है। कृष्ण लाल बिजली विभाग से अनुभाग अधिकारी के पद से सेवानिवृत हुए है। सेवानिवृति के बाद उन्होंने परियोजना के अधिकारियों द्वारा लगाये गए विभिन्न प्रशिक्षण शिविरों व कार्यशालाओं में हिस्सा लिया। जिससे प्रेरित होकर उन्होंने सब्जी उत्पादन के व्यवसाय को चुना और अपनी आर्थिक स्थिती को और मजबूत किया। पहले वह अन्य किसानो की तरह परम्परागत खेती करते थे। जिससे उनकी आय सब्जी उत्पादन के मुकाबले बहुत कम थी। कृष्ण लाल ने सब्जी उगाकर उपयोजना के किसानों के लिए एक नया माॅडल स्थापित किया। उनको उन्नत बीजों, फार्म मशीनरी व कृषि उपकरण उपलब्ध करवाने में परियोजना ने काफी सहयोग किया।


उन्होंने रवी फसल 2019-20 में आधुनिक तरीके से गोभी, चुकदंर, ब्रोक्ली, लहुसन, पालक, धानिया इत्यदि की खेती 2 बीघा  जमीन में की जिसके साकारात्मक परिणाम सामने आए और उन्होंने कुल 67 हजार रुपये की आय अर्जित की और खरीफ फसल 2020 में 3 बीघा क्षेत्र में खीरा, बैंगन, भिंडी, वेल वाली फसलें तथा कंद वाली फसलों का उत्पादन किया जिससे उन्हें 1 लाख 02 हजार 400 रुपये की कुल आय प्राप्त हुई। उन्होंने मशरूम का भी उत्पादन किया, जिससे उन्हें 6 हजार रुपये शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ। उन्हें सब्जियों के उत्पादन से एक वर्ष में लगभग 1 लाख 75 हजार 400 रुपये की आय प्राप्त हुई।


कृष्ण लाल ने लाॅकडाउन के दौरान लगभग 80 हजार रुपये का खीरा बेचा। जिससे उन्होंने अपने इलाके में यह मिसाल कायम की यदि कृषि में लग्न और और खेती को आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकी ढंग से करे तो बेरोजगारों के लिए कृषि आय का बेहतर साधन बन सकती है। इस बार कृष्ण लाल ने लगभग 4 बीघा में लहुसन, गोभी, प्याज, चुकदंर, पालक व धानिया इत्यादि लगाये हैं। उनसे प्रेरणा लेकर आस पास व गांव के लोग भी प्रेरित हो रहे हैं।    

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