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जिला में 1111 आंगनवाडी केन्द्रों के माध्यम से 6 माह से 6 वर्ष तक की आयु के 19130 बच्चों तथा 5300 गर्भवती व धात्री महिलाओं को किया जा रहा लाभान्वित

बिलासपुर / 20 अगस्त / न्यू सुपर भारत न्यूज़

महिलाओं एवं बच्चों के संर्वागीण विकास के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों एवं योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है। समेकित बाल विकास योजना के अंतर्गत गर्भवती, दूध पिलाने वाली माताएं तथा 6 माह से लेकर 6 वर्ष की आयु तक के बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार लाने के लिए सेवाएं प्रदान की जाती है। इस योजना के अंतर्गत महिलाओं तथा बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए आगंनबाडी केन्द्रों के माध्यम से पोषाहार प्रदान किया जाता है। बच्चों के संर्वागीण विकास के लिए पूर्वशाला शिक्षा, स्वास्थ्य जांच तथा आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से टीकाकरण भी करवाया जाता है। कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश में आंगनबाडी
केन्द्रों के माध्यम से 6 सेवाएं जिसमें पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा, टीकाकरण, अनुपूरक पोषाहार, शालापूर्वक शिक्षा तथा सन्दर्भ सेवाएं बच्चों, गर्भवती/धात्री माताओं को प्रदान की जा रही है। विशेष पोषाहार कार्यक्रम के तहत जिला में संचालित तीन बाल विकास परियोजना के अंतर्गत में 1111 आंगनवाडी केन्द्रों के माध्यम से 6 माह से 6 वर्ष तक की आयु के 19130 बच्चों तथा 5300 गर्भवती व धात्री महिलाओं को लाभान्वित किया जा रहा है। शाला पूर्व शिक्षा के अंतर्गत इस वर्ष जिला बिलासपुर में 1 हजार 111 आंगनवाडी केन्द्रों के माध्यम से कुल 4 हजार 532 लाभार्थियों को लाभान्वित किया गया।

प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना के तहत जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य सम्बन्धी विशिष्ट शर्तों की पूर्ति पर परिवार में पहले जीवित बच्चे के लिए गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं के खाते में सीधे 5 हजार रुपये की नकद राशि प्रोत्साहन स्वरूप प्रदान की जाएगी। यह योजना 1 जनवरी, 2017 से लागू की गई है। इस योजना के अंतर्गत चालू वर्ष में अब तक 40 लाख 95 हजार
रुपये व्यय कर 764 लाभार्थियों को लाभान्वित किया जा चुका है।

मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत ऐसी बेसहारा लड़कियां जिनके पिता शारीरिक/मानसिक असमर्थता के कारण बिस्तर पर हो या परित्यक्त/तलाकशुदा महिलाओं की पुत्रियों को जिनके माता-पिता की वार्षिक आय 35 हजार से अधिक न हो, को 1 जुलाई, 2019 से पूर्व उन्हें 40 हजार रुपये अनुदान राशि प्रदान की जाती थी, 2 जुलाई, 2019 के पश्चात लड़की की शादी के लिए 51 हजार रुपये अनुदान के रूप में दिया जा रहा है। इस वर्ष अभी तक 13 लाख 4 हजार रुपये व्यय कर 26 पात्र लाभार्थियों को लाभान्वित किया गया है। मदर टैरेसा असहाय मातृ सम्बल योजना का मुख्य उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली निःसहाय महिलाओं को अपने बच्चों के पालन पोषण/पढ़ाई-लिखाई के लिए आर्थिक सहायत उपलब्ध करवाना है। इस योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा से
नीचे रह रही ऐसी निसहाय/बेसहरा महिलाएं जिनकी वार्षिक आय 35 हजार रुपये से कम है या ऐसी महिला जिसका पति पिछले दो वर्षों से लापता हों और सम्बन्धित पुलिस थाना में उसके न मिलने की रिपोर्ट हो तथा जिनके बच्चे 18 वर्ष की आयु से कम हो, के पालन पोषण के लिए 5 हजार रुपये प्रति वर्ष प्रति बच्चा सहायता राशि दी जाती है। यह सहायता केवल दो बच्चों तक ही दी जाती है। इस योजना के तहत इस वर्ष अब तक 442 माताओं और 682 बच्चों पर 19 लाख 65 हजार 354 रुपये सहायतार्थ राशि व्यय कर लाभान्वित किया जा चुका है।

विधवा पुनर्विवाह योजना का मुख्य उद्देश्य विधवाओं का पुनर्विवाह कर उनका पुनर्वास करना है। इस योजना के तहत 50 हजार रुपये प्रति विधवा की शादी के लिए अनुदान के रूप में दिए जाते है। इस योजना के अंतर्गत चालू वित्त वर्ष में 1 लाभार्थी को लाभान्वित किया गया है।

बेटी है अनमोल योजना के अंतर्गत बी.पी.एल. परिवार में पैदा होने वाली दो बेटियों के जन्म के उपरांत 12 हजार रुपये की राशि बेटी के जन्म होने पर 18 वर्ष तक की आयु तक फिक्सड डिपोजिट के तौर पर बेटी का नाम डाकघर में जमा करवाए जाते हैं, तथा पात्र बेटी की शिक्षा के दौरान पहली कक्षा से 12वीं कक्षा तक छात्रवृत्ति 450/ से 2250/ रुपये तथा स्नातक कक्षा के लिए
5 हजार रुपये तक प्रदान की जाती है। इस योजना के अंतर्गत चालू वित्त वर्ष में अब तक 9 लाख 10 हजार 100 रुपये व्यय करके 245 लाभार्थियों को लाभान्वित किया जा चुका है।

जिला अपराधिक क्षति राहत एवं पुर्नवास योजना-
बलात्कार, महिलाओं पर होने वाला एक जधन्य अपराध है, जो कि केवल शारीरिक अवस्था पर ही नहीं अपितु दीर्घ काल में उसके व्यक्तिगत, सार्थक विकास एवं क्षमताओं को समाज उकेरने और उभरने पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। जिसका निराकरण किया जाना अत्यन्त आवश्यक है, ताकि वह सम्मान जनक एवं सार्थक जीवन जी सके। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा दुराचार पीड़ित महिलाओं तथा बच्चियों को 75 हजार रुपये तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है जो कि
विशेष परिस्थितियों में एक लाख रुपये तक प्रदान की जाती है। जिला अपराधिक क्षति राहत एवं पुर्नवास योजना के अंतर्गत चालू वित्त वर्ष में अभी तक में 2 पात्र महिलाओं को लाभान्वित किया गया है।

बाल-बालिका सुरक्षा योजना के अंतर्गत जिला बिलासपुर में बाल संरक्षण ईकाई का गठन सितम्बर, 2016 में हुआ है। इस योजना के अंतर्गत ऐसे बच्चे जिन्हें देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता हैं उन्हें बाल बालिका सुरक्षा योजना के अंतर्गत पारिवारिक वातावरण में पालने हेतु रखा जाता है ताकि उन्हें बाल-बालिका आश्रमों में प्रवेश हेतु बाध्य न होना पडे। इसके लिए विभाग
द्वारा पात्र परिवारों को प्रति बच्चा 2 हजार 300 रुपये प्रतिमाह प्रदान किए जाते है। इस योजना के अंतर्गत प्रदान की जाने वाली सहायता का स्वरूप 2 हजार 300 रुपये (1800 रुपये केन्द्रीय हिस्सा व 500 रुपये राज्य हिस्सा) प्रतिमाह प्रदान की जाती है। योजना के अंतर्गत इस वर्ष अब तक 10
लाख 60 हजार 588 रुपये से 81 लाभार्थियों को लाभान्वित किया जा चुका है। जिला कार्यक्रम अधिकारी अंजू बाला ने बताया कि जिला में तीन बाल विकास परियोनाओं के अंतर्गत 1 हजार 111 आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से 6 माह से 6 वर्ष तक की आयु के बच्चों तथा गर्भवती तथा धात्री महिलाओं को लाभान्वित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि महिलाओं को स्वयं का रोजगार स्थापित करने के लिए स्वयं रोजगार सहायता योजना के अंतर्गत ऐसी महिलाएं जिनकी वार्षिक आय 35 हजार रुपये से अधिक न हों तथा वे अपना कोई छोटा कार्य करना चाहती हो उन्हें 5 हजार रुपये तक की अनुदान राशि प्रदान की जाती है।

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