मलेरिया और स्क्रब टायफस से बचाव में ही सुरक्षा है- डाॅ. प्रकाश दरोच
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*मच्छरों पर नियंत्रण पाना जरूरी
बिलासपुर / 06 अगस्त / न्यू सुपर भारत न्यूज़
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. प्रकाश दरोच ने बताया कि बरसात से मौसम में जल जनित रोगों मलेरिया और स्क्रब टायफस के होने की अधिक सम्भावनाएं रहती है। उन्होंने बताया कि इन रोगों से बचने के लिए आम जन में जागरूकता आवश्यक है। उन्होंने बताया कि मलेरिया एक तेज बुखार वाली संक्रामक बीमारी है जो एक सूक्ष्म जीव मलेरिया पैरासाईट द्वारा होती है जिसे एनाफ्लीज मादा मच्छर एक मलेरिया रोगी से ग्रहण करके अन्य स्वस्थ व्यक्तियों तक पहुंचाती है। मलेरिया का संक्रमण किसी भी आयु एंव लिंग के व्यक्ति को हो सकता है। उन्होंने मलेरिया के लक्षणों की जानकारी देते हुए बताया कि मलेरिया की तीन अवस्थाएं होती है, पहली अवस्था में तेज सर्दी,
शरीर में कंपकंपी, सिर मे दर्द, खूब कपड़े ओढ़ना तथा दूसरी अवस्था में तेज बुखार, ओढ़े व पहने हुए कपड़े उतार फैंकना और तीसरी अवस्था में अधिक पसीने के साथ बुखार उतरना व कमजोरी महसूस होना इत्यादि महसूस होता है।
उन्होंने बताया कि कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है। किसी भी सरकारी अस्पताल, स्वास्थ्य उपकेन्द्र या स्वास्थ्य कार्यकर्ता के दौरे पर जांच के लिए रक्त पटिका की सूक्ष्म दर्शी द्वारा जांच पर मलेरिया की पुष्टि होने पर मूल उपचार निःशुल्क किया जाता है। सभी प्रभावित लोगों को शीघ्र
अति शीघ्र इन सेवाओं का लाभ उठा कर निरोग हो जाना चाहिए। इस से मलेरिया फैलने पर रोक लग सकती है। उन्होंने बताया कि मच्छरों पर नियन्त्रण डेंगू व मलेरिया फैलाने के लिए मच्छर उतरदाई है अतः इन पर नियन्त्रण पाना जरुरी है। उन्होंने बताया कि जल जनित रोगों से बचाव के लिए मच्छर हमेशा खडे पानी में अण्डे देता है इस लिए खुले तौर पर कभी भी पानी खडा न होने दिया जाए, जहां कहीं पानी स्टोर किया जाए उसे भली प्रकार ढक कर रखें ताकि मच्छर प्रवेश न कर सके, घरों के आस-पास गढढों को भर दें और नालियों की सफाई बनाए रखें ताकि पानी का ठहराव सम्भव न हो, सप्ताह में एक बार सूखा दिवस मनाएं, कूलरों, गमलों, और डिब्बों का पानी निकाल कर इन्हें सूखा दे, गमलों, मनी प्लांट आदि के पौधों का पानी सप्ताह में एक बार अवश्य
बदलें, खुले में पडे पुराने बर्तनों, टायरों, टयूवों आदि में पानी न भरनें दें उनको सही जगह रखें, कुलरों को सप्ताह में दोबारा पानी भरने से पहले इन्हें अच्छी तरह पोंछ व सूखा कर ही पानी डालें, सोते समय कीटनाशक से उपचारित मच्छरदानी का प्रयोग करें, घर के दरवाजों और खिडकियों में
जालीदार पल्ले लगवाएं, शरीर के नंगे भागों जैसे हाथ, पैर, मुंह पर मच्छर भगाने वाली क्रीम का प्रयोग करें, पूरे शरीर को ढकने वाले कपडे पहने।
उन्होंने बताया कि स्क्रब टायफस भी एक किस्म का बुखार है यह रोग भी एक जीवाणु विशेष (रिकेटशिया) सेसक्रमित माइट के दल काटने से फैलता है जो खेतों में झाड़ियों में वह घास में रहने वाले चूहों में पन पता है। यह जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और स्क्रब टायफस बुखार पैदा करता है। इसके लक्षण जैसे तेज बुखार जो 104 से 105 डिग्री तक जा सकता है। जोड़ों में दर्द कंप कंपी के साथ बुखार शरीर में ऐंठन अकड़न आदि। अधिक संक्रमण में गर्दन बाजुओं के नीचे, कुल्हो के ऊपर गिल्टियां होना। इसकी रोकथाम के लिए हमें अपने शरीर की सफाई का ध्यान रखना चाहिए। घर के आसपास के वातावरण को साफ रखना चाहिए। घर के चारों ओर खरपतवार या घास नहीं उगने देना चाहिए। घर के अंदर व आस-पास कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए। इस बुखार को लोग जोड़ तोड़ बुखार भी कहते हैं। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता स्क्रब टायफस का इलाज बहुत आसान है तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। बुखार कैसा भी हो नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में जाकर डॉक्टर का परामर्श अति आवश्यक है खेतों या झाड़ियों में काम करते समय शरीर को पूरा ढक कर रखें। बचाव में ही सुरक्षा है।