ठंडे पर्वतीय क्षेत्रों के अलावा अब बिलासपुर जिला में भी किसान केसर की खेती करके अपनी आर्थिकी को सबल बनाने में तलासने लगे हैं संभावनाएं
बरठीं / 13 अप्रैल / राजेन्द्र गौतम
ठंडे पर्वतीय क्षेत्रों के अलावा अब बिलासपुर जिला में भी किसान केसर की खेतीकरके अपनी आर्थिकी को सबल बनाने में संभावनाएं तलासने लगे हैं।जिसके चलते किसानों ने जिला के विभिन्न स्थानों पर केसर की खेती करके बंपर फसलभी तैयार की है। जिला के अर्न्तगत बरठीं के साथ लगते हीरानगर, छत, अंदरोली, कच्यूट, तथा दधोल व घुमारवीं मतवाणा में लोगों ने केसर की खेती करके नए आयाम स्थापित किए हैं।हीरानगर के वरिष्ठ किसान सेवानिवृत प्रधानाचार्य हरवंश लाल सोनी ने जानकारी देतेहुए बताया कि उन्होंने घर के पास जमीन में केसर की बुआई कर रखी थी ।
उन्होंने बतायाकि केसर के पौधे तो पैदा हो गए थे लेकिन उन्हें विश्वास नहीं था कि यहां की जलवायुमें केसर पैदा होकर फसल देगा भी या नहीं। उन्होंने बताया कि पौधे बडे होते गए उनमें फूल भीलगे और अब जब ये फसल भी देने लग गए तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा है। जिसे वे फूलों से रोजाना इक्टठा कर रहे हैं।
उन्होंने बताया सिर्फ वह ही नहीं जिला के कई अन्य क्षेत्रों में भी लोग आजकल गेहूं के साथकेसर की खेती में भी हाथ आजमाने लगे हैं। सिर्फ जरूरत है सरकार व संबधित विभाग के मार्ग दर्शन की। उन्होंने बताया जिला में इस फसल की अपार संभावनाएं देखी जा रही हैं। जबकि इससे पहले उन्होंने जम्मू व कशमीर में ही केसर की खेती के बारे में सुना था।जहां भारी मांग के साथ एक किलो केसर डेढ लाख से सवा दो लाख रूपयों तक के अच्छे खासे दामों पर बिकता है।
उन्होंने मांग करते हुए कहा कि सरकार व कृषि विभाग को चाहिए कि जिला में जहां जहांभी किसान इस खेती को कर रहे हैं वहां वास्तविकता की परख करके किसानों को जिला भर में अनय किसानों को भी इस बेस कीमती खेती के लिए प्रेरित करें। तथा इस खेती को जिला में करने वन करने के लिए किसानों को जागरूक करें। ताकि लोग इस खेती से अपनी आर्थिकी कोसुदृढ व सवल बना सकें।
उल्लेखनीय है कि केसर हमारे भोजन के स्वाद और रंगत बदलता है। इसके साथ हीकेसर का प्रयोग दवाईयों को बनाने में किया जाता है। यह हमारे पाचन तंत्र, आंख, सिरऔर स्किन की देखभाल के साथ शारिरिक शक्ति को बढाने एवं अच्छी नींद के लिएभी उतम औषधी है। फोटो – बरठीं क्षेत्र में लहलहा रही अपनी केसर की खेती को दिखाता प्रगतिशील किसान हरवशं लाल सोनी।