इंडस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में तपेदिक (टीबी) पर जागरूकता अभियान आयोजित
ऊना / 06 फरवरी / न्यू सुपर भारत /
इंडस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में आज एक महत्वपूर्ण जागरूकता अभियान आयोजित किया गया, जिसमें
छात्रों को तपेदिक (टीबी) रोग के कारण, बचाव के उपायों और इस बीमारी को समाप्त करने में उनके
योगदान के बारे में जानकारी दी गई। यह अभियान देश को 2047 तक “विकसित भारत” बनाने के उद्देश्य
से आयोजित किया गया था, जिसमें छात्रों की भूमिका पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया।
टीबी एक संक्रामक रोग है, जो मरीज़ के खांसी, बुखार, रात को पसीना आना, और वजन में कमी जैसे
लक्षणों से पहचाना जाता है। यह रोग मुख्य रूप से वायुजनित होता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में
फैलता है। इसका मुख्य कारण बैक्टीरिया Mycobacterium tuberculosis होता है, जो फेफड़ों,
मस्तिष्क, गुर्दे और अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है।
इस बीमारी से बचने के लिए प्रमुख उपायों में समय पर उपचार, सही आहार, स्वच्छता का ध्यान रखना
और टीबी से प्रभावित व्यक्तियों से संपर्क से बचना शामिल है। इसके अलावा, टीबी का सही समय पर
निदान और इलाज बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि यह बीमारी गंभीर रूप न ले सके।
डॉ. अनीषा सिंह ने छात्रों को बताया कि टीबी को पूरी तरह समाप्त करने के लिए जागरूकता फैलाना और
लोगों को सही जानकारी देना बहुत जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों को अपने आसपास के
समुदायों में टीबी के लक्षणों के बारे में बताना चाहिए, ताकि लोग समय रहते उपचार प्राप्त कर सकें।
डॉ. विशाल ठाकुर और सत्यश कुमार ने बताया कि जिले में टीबी के मामलों में लगातार सुधार हो रहा है,
लेकिन अभी भी बहुत से लोग इसके बारे में सही जानकारी से वंचित हैं। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि
वे टीबी के बारे में बात करें, दूसरों को इसके लक्षण पहचानने के लिए प्रेरित करें और यदि किसी को टीबी
का संदेह हो तो उन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में टेस्ट करवाने के लिए प्रेरित करें।
इसी संदर्भ में, सीनियर लैब सुपरवाइजर संदीप धीर ने टीबी परीक्षण की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी
और छात्रों से आग्रह किया कि वे किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को सही समय पर टेस्ट के लिए प्रेरित करें।
गुलशन शर्मा ने छात्रों को बताया कि यदि हम सब मिलकर टीबी के खिलाफ जागरूकता बढ़ाएं और लोगों
को सही जानकारी दें, तो हम 2047 तक “विकसित भारत” का सपना सच कर सकते हैं। एक स्वस्थ राष्ट्र
के निर्माण के लिए यह जरूरी है कि हम टीबी जैसी बीमारी को पूरी तरह से समाप्त करें।
कार्यक्रम में डॉ. संजय कुमार बहल, वाइस चांसलर, और डॉ. जगदेव सिंह राणा, रजिस्ट्रार ने उपस्थित
विशेषज्ञों का स्वागत किया और उनके इस महत्वपूर्ण प्रयास के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने छात्रों से
अपील की कि वे जागरूकता फैलाने में सक्रिय रूप से भाग लें और भारत को एक स्वस्थ और टीबी मुक्त देश
बनाने में अपना योगदान दें।
अंत में, छात्रों ने प्रश्नोत्तर सत्र में भाग लिया और टीबी के बारे में अधिक जानने की इच्छा जताई। यह
अभियान छात्रों को टीबी के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए प्रेरित करने में सफल रहा और 2047 तक
“विकसित भारत” के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।