खीण माजरा( रोपड़ )/ 27 नवम्बर / न्यू सुपर भारत न्यूज़
सच्चिदानंद परमेश्वर के प्रेम में डूब जाना ही मानव जन्म का परम पुरुषार्थ है। ईश्वर के निकट आने की सबसे बड़ी युक्ति यह है कि हम जगत के आकर्षण से बचें। जितना लोक व्यवहार में उलझते जाते हैं उतनी प्रभु से दूरी बढ़ती जाती है। भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति के लिए हम कितना दुख सहते हैं। भगवान के लिए तो थोड़ा सा भी मन को लगाम देने लगेंगे तो लक्ष्य की प्राप्ति हो जाएगी।
उक्त अमृतवचन श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण जी महाराज ने श्रीरमताराम आश्रम, खीण माजरा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत की कथा आत्मज्ञान की कुंजी है। ईश्वर को जाने बिना संसार में अनेक शरीर धारण कर भटकना पड़ता है। जिसे अपने प्रभु से सच्चा प्रेम है वह त्रिभुवन की राज्य लक्ष्मी खोकर भी विचलित नहीं होता। काल की कैद में आ जाने पर भी जिसकी बुद्धि अपने प्रियतम श्रीकृष्ण में स्थिर है, ऐसे अनन्य भक्तों का योगक्षेम भगवान स्वयं वहन करते हैं।
स्वामी नित्यानंद जी महाराज ‘रमताराम’ की अध्यक्षता में चल रही कथा में स्वामी अतुल कृष्ण जी ने कहा कि ईश्वर की प्राप्ति है तो सरल पर अज्ञानवश कठिन लगती है। आत्मसुख के समक्ष संसार का हर वैभव तुच्छ है। हमारी दुर्बलताएं ही हमारे विकास में बाधा बनी हुई हैं। भगवान की कथा सुनने से मन को उत्साह, उमंग एवं ताजगी मिलती है। श्रीब्रह्माजी को भी भागवतजी की कथा सुननी पड़ गई तभी वे पुनः स्वरूप में प्रतिश्ठित हो सके। आज कथा में गजेन्द्र मोक्ष, श्रीमत्स्यावतार का प्रसंग, भगवान श्रीराम का चरित्र एवं भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य की लीला सभी ने अत्यंत श्रद्धा से श्रवण किया। सभी ने नंद महोत्सव मनाते हुए नृत्य कर भगवान के जन्म की एक दूसरे को बधाई दी। इस अवसर पर सर्वश्री जसवंत सिंह, डा. हरमेश कुमार, डा. कुलदीप चैधरी, पवन कुमार, लाला सतीश कुमार, मोहिन्दर लाल कोहली, धर्मचंद भटिया, बलदेव राज, केसर चेची, सेठी, दर्शन लाल, जगतार किसाना, पवनजीत सरपंच, सुभाष राणा, विनोद लाला, सुखदेव ठेकेदार, कमलेश ठेकेदार, बलवंत राजा, मदन लाल किसाना सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।