खीण माजरा, रोपड़ / 25 नवम्बर / न्यू सुपर भारत न्यूज़
जो भगवान की शरण में आते हैं वे मृत्यु के महासागर से तर जाते हैं। बहुत जन्मों के बाद श्रद्धा भक्ति सहित मानव जीवन पाकर परमात्मा की ओर जाने का सुअवसर प्राप्त होता है। हम संसार की झूठी वाहवाही में लुट जाते हैं। मनुश्य संसार को अपना एवं ईश्वर को पराया समझता है जबकि सच्चाई इसके ठीक उलट है। मौत भी कथा के पुण्य को नष्ट नहीं कर सकती। हम जब-जब प्रभु को भूले तब-तब मुसीबतों ने घेरा डाला।
उक्त अमृतवचन श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृश्ण जी महाराज ने श्रीरमताराम आश्रम, खीण माजरा में व्यक्तकिए। उन्होंने कहा कि अपने को जान लेना सबसे बड़ा भजनहै। हम सारी दुनिया को जानकर यदि अपने को ही न जान सके तो सारा जानना व्यर्थ हीहै। साधना से अंतःकरण की षुद्धि होती है। चित्त की समता उन्नति का खजाना खोलदेती है। जगत में आकर अपने सारे काम पूरे करके आजतक कोई नहीं मरा। सब अधूरीकामनाएं लेकर संसार से विदा हुए। हम जो चाहते हैं वह होता नहीं, जो होता है वहभाता नहीं, जो भाता है वह ठहरता नहीं, सबका यही तो रोना है। व्यवहार के साधनका सदुपयोग कर नष्वर संसार से षाष्वत आत्म तत्व को अपलब्ध हुआ जा सकता है।
स्वामी अतुल कृश्ण जी महाराज ने कहा कि जिसकीब्रह्माकार वृत्ति हो गई है वह सारे संसार का प्रिय हो जाता है। हम अपनी क्षुद्रमान्यताओं का त्याग करते ही विराट हो जाते हैं। हमें आसक्ति का त्याग करना हैसंसार का नहीं। आज कथा में भगवान कपिल का प्राकट्य, षिव-पार्वती प्रसंग,ध्रुव जी को भगवान की प्राप्ति एवं जड़ भरत जी का चरित्र सभी ने बड़ी श्रद्धा से सुना।कथा के उपरान्त सभी ने आरती कर लंगर प्रसाद प्राप्त किया। कथा से पूर्व श्रीमद्भागवत जी की षोभायात्रा भी निकाली गई। इस अवसर पर सर्वश्री दासानंद जी महाराज,डा. हरमेष कुमार, डा. कुलदीप चैधरी, पवन कुमार, जसवंत सिंह, लाला सतीष कुमार,मोहिन्दर लाल कोहली, धर्मचंद भटिया, बलदेव राज, गुरमेल सिंह, केसर चेची, सेठी,दर्षन लाल, जगतार किसाना, पवनजीत सरपंच, सुभाश राणा, विनोद लाला, सुखदेवठेकेदार, कमलेष ठेकेदार, बलवंत राजा, मदन लाल किसाना, सोमनाथ भूंबला, राजेषभूंबला सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।