ऊना, 06अक्तूबर (एनएसबी न्यूज़):. भारत की संस्कृति ने प्राची के सूर्य की ही नहीं रात्रि के चंद्र का भी पूजन किया। नवरात्रि एवं महाशिव रात्रि जैसे पर्व हमें यही संकेतदेते हैं। हम किसी पर क्रोध न करें। यह विष के समान है।क्रोध से पराए तो दूर होते ही हैं अपने स्वजन संबंधी भी साथ छोड़ जाते हैं। उक्त अमृतवचन श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिनशनिवार को परम श्रद्धेय स्वामी अतुल कृष्ण महाराज ने सामुदायिकभवन बसोली में व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि विकार रहित जीवनहमारे सौन्दर्य को बढ़ाता है। वह लोग अक्षययश को प्राप्त करते हैंजो संयमित हैं। जिसने ज्ञान की अग्नि में अपने दुखों के बीज कोभून लिया वह सदा के लिए सुखी हो गए। उन्होंने कहा कि जीवन का अमृत उन्हें मिला जिन्होंने आत्म मंथनकिया। इन्द्रियों में बहने वाला रस अधूरा एवं अपूर्ण है। संसार केविषयासक्त प्राणी कोपल भर का सुख मिलता है फिर मन अतृप्त होकरछटपटाता है। आत्मसुख के बिना हमारी यात्रा अधूरी है। जीवन कासच हाथ लगे बिना हम परिपूर्ण नहीं हो सकते। ईश्वर कीअनुभूति के बिना हम स्वस्थ नहीं हो सकते। अहंकारी व्यक्तिपरमात्मा के द्वार पर कभी नहीं पहुंच सकता। सूई के छिद्र सेहाथी एवं ऊंट की कतारों का निकलना संभव हो भी सकता है परकोई अभिमानी प्रभु के द्वार पर पहुंच गया हो यह तो सर्वथा हीअसंभव है। महाराजश्री ने कहा कि यज्ञकरने से देव वशीकरण होता है। यदि हम अद्भुत, अलौकिक एवं निरालेसे होना चाहते हैं तो कुछ बड़ा सा करना होगा। इसके लिए ध्रुव,प्रह्लाद एवं राजा बलि सर्वश्रेष्ठ प्रमाण हैं। कथा में भगवानकपिल का प्राकट्य,श्रीशिव-पार्वती विवाह, ध्रुव जी का चरित्र एवं श्रीभरत जी काप्रसंग सभी भक्तजनों ने अत्यंत भाव विभोर होकर सुना। बसोलीनगर पंचायत द्वारा करवाई जा रही यह कथा प्रतिदिन सायं 4 से 7बजे तक 10 अक्टूबर तक जारी रहेगी। फोटो 01-बसोलीमें आयोजित भागवत कथा में प्रवचन करते अतुल कृष्ण जी महाराज। फोटो-02-भागवतकथा में आरती करते हुए भक्तजन।