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मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है। अज्ञान मनुश्य के जीवन में जहर के समान है : अतुल कृष्ण जी महाराज

नैहरियां (अंब) / 10 नवंबर / चब्बा 

श्रीमद्भागवत कथा अनंत परमात्मा के रहस्य को प्रकट करती है। यह शिव पार्वती, भगवाननारायण एवं परमेशषठी ब्रह्मा जी, देवर्शिनारद एवं महर्शि वेदव्यास, श्रीशुकदेवजी एवं राजा परीक्षित का दिव्य संवाद है। मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है। अज्ञान मनुश्य के जीवन में जहर के समान है। बड़े लक्ष्यका चुनाव हमारी योग्यता को चमक प्रदान करता है। ज्ञानवान के लिए हर पल में एक उत्सव एवं आनंद छिपा है।

उक्त अमृतवचन श्रीमद् भागवत कथा के तृतीयदिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण जी महाराज ने बद्रीदास आश्रम, नैहरियां में व्यक्त किए। उन्होंनेकहा कि हमेषा खिले-खिले एवं उत्साह से भरे रहिए। जीवन में बासीपन ठीक नहीं।जिनके पास शुभ  कर्मों का अभाव रहता है वे जीवन से जल्दी थक जाते हैं। मानव जीवन प्रभु प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन है। जिनके पास करने को कुछ भी नहीं है वे आत्मउन्नति नहीं कर सकते। हम सभी सतत यात्रा के पथिक हैं। ईष्वर की सृष्टि  में कहीं ठहराव नहीं है। हमारा उत्कर्ष  ही जीवन की सफलता का स्वाद चखा सकता है जबकि आलस्य,प्रमाद एवं अक्षमता हमारी योग्यता को ग्रहण लगा देते हैं।

महाराजश्री ने कहा कि हमारी दुर्बलताएं हीहमारे विकास में बाधा बनी हुई हैं। भगवान की कथा सुनने से मन को उत्साह, उमंगएवं ताजगी मिलती है। श्रीब्रह्माजी को भी भागवत जी की कथा सुननी पड़ गई तभी वेपुनः स्वरूप में प्रतिश्ठित हो सके। जीवन साधना एवं तपस्या से तीर्थ बन जाता है।जिसने अपने जन्म को को यज्ञ बना लिया उसके कर्म सारे विष्व को आनंदित करते हैं। आजकथा में जड़ भरत का प्रसंग, अजामिल का उद्धार, श्रीनृसिंह अवतार की लीला एवं वामनभगवान का चरित्र सभी ने बड़ी श्रद्धा से सुना।

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