प्रभु की भक्ति में वह चमत्कार है जो अन्यत्र दुर्लभ है : अतुल कृष्ण जी महाराज
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नैहरियां, अम्ब / 01 जनवरी / एन एस बी न्यूज़
प्रभु की भक्ति में वह चमत्कार है जो अन्यत्र दुर्लभ है। इन्द्रियगत विशयों के रस में अरुचि एवं तीव्र वैराग्य साधना की प्रथम सीढ़ी है। माता-पिता का आषीर्वाद समस्त सुखों की जननी है। हमारी दुर्बलताएं ही हमें आगे नहीं बढ़ने देतीं। जो ब्रह्म का आश्रय लेते हैं वे काम के अधम कीचड़ में नहीं गिरते। मन की धारा में बह जाने वाले प्राणी अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। हमें संसार को नहीं भगवान को पकड़ना है। क्योंकि संसार में जिसे भी पकड़ा है अंत में उसे छोड़ना ही पड़ेगा।
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उक्त अमृतवचन श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृश्ण जी महाराज ने नैहरियां में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हम ज्ञानपूर्वक अपने को पहचानें। मोक्ष की कामना रखने वाला पापी भी मुक्त हो जाता है। भगवान की कथा जीवन की सारी चिंता एवं थकान मिटा देती है। मन की वासना एवं आग्रह से दुख रूपी परेषानियां हमें घेर लेती हैं। प्रभु की भक्ति हमें अधर्म से बचा लेती है। भगवान के समक्ष जिनके षीष श्रद्धा से झुकते हैं वे उत्कर्श को प्राप्त होते हैं। बिना धर्म के जो अर्थ प्राप्त होता है उससे अनर्थ निष्चित है। धर्म का षीतल जल ही मनुश्य के आसपास धधकती तृश्णा की ज्वाला को षांति प्रदान करता है।
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महाराजश्री ने कहा कि मानव जन्म हीरा है। इसे संसार के जैसे तैसे व्यवहार में हम खो न दें। सच्ची भक्ति प्रतिकूलता को अनुकूलता में बदल देती है। हम आदतों की गुलामी से मुक्त हों तभी प्रभु की भक्ति में सफल हो सकेंगे। आज कथा में गजेन्द्र मोक्ष, मत्स्यावतार, राजा सगर, हरिष्चंद्र, भक्त अंबरीष का प्रसंग, श्रीराम जी का चरित्र एवं भगवान श्रीकृश्ण की अवतार लीला लोगों अत्यंत श्रद्धा से सुनी। इस अवसर पर कस्तूरी लाल षर्मा, षषीपाल षर्मा, सतीष कुमार षर्मा (महंतू ), आदित्य षर्मा, अषोक षर्मा, ओम दत्त षर्मा, नन्दकिषोर वर्मा, यषपाल वर्मा, नानक चंद दत्ता, चैन सिंह, अष्विनी षर्मा कौडिन्य, निहाल गर्ग, अभिशेक, गंगेष बस्सी, इंदू षर्मा, रीना षर्मा, प्रवीण षर्मा, तृप्ता बस्सी, चंचला बस्सी, सरोज षर्मा, मनु बस्सी, तृप्ता वर्मा इत्यादि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।