नैहरियां (अंब )/13 नवंबर/ राजन चब्बा
भगवान की कथा का फल प्रत्यक्ष है। यह धर्ममय, अविनाशी एवं सुखप्रद जीवन का रस प्राप्त कराती है। होम-हवन, यज्ञ,जप-तप में परिश्रम होता है एवं धुएं का भी कष्ट सहना पड़ता है। पर प्रभु की कथाएं माधुर्य, प्रीति एवं भक्ति के महासागर में स्नान करा कर चित्त को पवित्र बना देती हैं। श्रीमद् भागवत कथा मस्तक के कठिन कुअंक को मिटा देने का सर्वोत्तम साधन है।
उक्त अमृतवचन श्रीमद् भागवत कथा के छठें दिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण जी महाराज ने बद्रीदास आश्रम, नैहरियां में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण करुणावतार लीला पुरुशोत्तम हैं। हम प्रभु से प्रतिदिन प्रार्थना करें कि हे परमात्मा हम जैसे भी हैं तेरे ही हैं। तू दीनबन्धु दीनानाथहै। तेरे द्वार पर आया हुआ आज तक कोई भी ठुकराया नहीं गया। हे विराट प्रभुमेरे मन को भी तू अपने जैसा विराट बना दे। हमें अपने पर भरोसा नहीं है पर तेरी अपार कृपा से बेड़ा पार हो सकता है। महाराजश्री ने कहा कि शरीर अनित्य है इसलिए सदैव धर्म का संग्रह करते रहें। हमारी आयु प्रतिदिन क्षीण होती जा रही है। इस संसार मेंवे महान हैं परमेष्वर का आश्रय लेते हैं। आज कथा में भगवान श्रीकृश्ण के 16108विवाह, युधिश्ठिर का राजसूय यज्ञ, सुदामा को ऐष्वर्य की प्राप्ति, सुभद्रा विवाह,भगवान का स्वधाम गमन एवं परीक्षित के मोक्ष का प्रसंग सभी ने अत्यंत श्रद्धा से सुना।कथा के पशचात प्रतिदिन की तरह विशाल लंगर-भंडारे का भी आयोजन किया गयाजिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुाओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
आज भी सैकड़ोंश्रोताओं के अतिरिक्त प्रमुख रूप से सर्वश्री यषपाल वर्मा, रामजी दास, नानकचंद दत्ता,चैन सिंह, नंदकिषोर वर्मा, अषोक वर्मा, अष्विनी षर्मा, जोगराज षर्मा, जगदेव चंद,षुकदेव षर्मा, रमेष षर्मा, अभिशेक, पंकज बस्सी, निहाल गर्ग, व्योम षर्मा,आराधना गर्ग, ज्योति ठाकुर, प्रेमलता षर्मा, भावना षर्मा, पूजा षर्मा, तृप्ता बस्सी,लता षर्मा चकसराय, तृप्ता वर्मा, सुनीता वर्मा, नेहा वर्मा, चंचला बस्सी, मनु बस्सी,मीनू बस्सी, ब्रह्मी देवी इत्यादि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।