December 22, 2024

शहीद उधम सिंह आजाद’ नाटक के माध्यम से कलाकारों ने दिया संदेश

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फतेहाबाद / 20 दिसंबर / न्यू सुपर भारत

शहीद न हिंदू होता है, न मुसलमान होता है, न सिक्ख होता है और न ईसाई होता है। शहीद तो सिर्फ शहीद ही होता है। शहीद को शहीद ही रहने दो, उसकी पहचान किसी जाति व धर्म से न करो।ये संदेश स्थानीय डीपीआरसी सभागार में नव वर्ष 2023 के आगमन व आजादी के अमृत कालखंड उपलक्ष्य में सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के तत्वावधान में थिएटर फॉर थिएटर ग्रुप के कलाकारों ने जलियांवाला बाग हत्याकांड और शहीद उधम सिंह के बलिदान पर आधारित शहीद उधम सिंह आजाद नाटक के माध्यम से दिया। कार्यक्रम में उपायुक्त जगदीश शर्मा ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। उन्होंने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

नाटक के माध्यम से कलाकारों ने बताया कि वर्ष 1919 में जलियांवाला बाग में सैकड़ों गुमनाम क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान दिया था। परंतु इतिहास के पन्नों में इन अमर शहीदों का नाम अंकित नहीं हो पाया। शहीद उधम सिंह को जलियांवाला बाग के नरसंहार का बदला लेने के लिए 21 वर्ष का इंतजार करना पड़ा और अंतत: 31 मार्च, 1940 को लंदन के कॉक्सटान हॉल में जनरल ओ-डायर को गोली से मार कर उसने आत्मसमर्पण करते हुए कहा कि ‘मैंने तो केवल दोषी को ही गोली मार कर बदला लिया है।

यदि मेरी जगह भगत सिंह होता, तो वह जलियां वाले बाग में बिछी सभी लाशों को गिन कर और लहू तोल कर बदला लेता’। शहीद उधम सिंह को फांसी देने से पहले जब ब्रिटिश जेलर ने उससे अंतिम ख्वाईश पूछी तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कि ‘यदि अंतिम इच्छा ही, मेरी पूछते हो, तो जालिमों इतना सा पक्ष लेना, मेरे मृत देह पर, नक्शा मेरे हिंदुस्तान का रख देना’। कलाकारों ने दर्शाया कि शहीदों की बदौलत ही भारत गुलामी की जंजीरों को तोड़ कर आजाद हुआ।

कलाकारों ने संदेश दिया कि हमें अपने अमर शहीदों को कभी भी भुलना नहीं है। शहीदों ने अपना वर्तमान, अपनी आने वाली पीढिय़ों के भविष्य के लिए कुर्बान कर दिया, ताकि हमारी आने वाली नस्लें अपने परिवारों के साथ आजादी की स्वतंत्र बहारों का आनंद लें तथा खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत करें। नाटक के दौरान शहीद उधम सिंह बुत में परिवर्तित होने से पहले कहता है कि ‘हम भी आराम उठा सकते थे घर पर रहकर, हमको भी पाला था मां-बाप ने दुख सहकर, वक्त ए रुखसत इतना भी ना आए कह कर, अश्क गिरे जो तुम्हारी झोली में बह बह कर,

तिफ्फल उनको ही समझना लेना दिल बहलाने को, हमने जब वादी ए गुरबत में कदम रखा था तो दूर तक याद ए वतन आई थी समझाने को’। शहीद उधम सिंह के मुख से ये भी बोल निकले कि ‘कोई मुझे हिंदू कहता है कोई मुसलमान, कोई सिख कोई ईसाई, ओए भगवान के लिए मुझे एक शहीद ही रहने दो, मैं हिंदुस्तानी हूं-हिंदुस्तानी और शहीदों का कोई मजहब नहीं होता’ जिस पर सभागार में उपस्थित दर्शकों ने जमकर तालियां बजाई। कलाकारों ने कहा कि इतिहास का एक पना शहीद भगत सिंह और सभी क्रंतिकारियों ने लिख दिया, इससे अगला पना, मेरे ये लोग लिखेंगे, मेरी ये नौजवान पीढ़ी लिखेगी।

नाटक के दौरान मां भारती की करूणा भी देखने लायक थी। मां भारती ने नाटक के माध्यम से कहा कि वो उस समय भी मौजूद थी जब द्रौपदी का चीर हरण हुआ, वो उस समय भी मौजूद थी जब श्री गुरू गोविंद सिंह के दो बेटों की शहादत हुई, वो उस समय भी मौजूद थी जब राजगुरू, सुखदेव और आजादी को फांसी दी गई और वो उस समय भी मौजूद रही जब जलियांवाला का बदला शहीद उधम सिंह ने लिया था। मां भारती ने नाटक के माध्यम से आह्वान किया कि वे हमें अपने देश व समाज को किसी भी तरह से टुकड़ों में नहीं बांटना है और राष्ट्र के प्रति हमेशा वफादार रहना है।

नाटक मंचन में महिंद्र भट्टी ने उधम सिंह, ईशु बब्बर ने भारत माता, अमृत जस्सल ने लाटी भान, रविंद्र चौहान ने अराजकता, अंकुश राणा ने हिंदू, देवेंद्र सिंह ने सिक्ख,  चरणजीत सिंह ने ईसाई, सोनू ने मुस्लिम, राहुल, खुश सिधु व गोपेश उपमनु, अमन ब्रमिना व हैरी ने जनता का किरदार निभाया। लाइट व्यवस्था अभिषेक शर्मा, गायन परम चंदेल, म्यूजिक पंडित विनोद पवार, वाद्य यंत्र की व्यवस्था हरविंद्र सिंह ने संभाली। नाटक के लेखक चरण सिंह सिंदरा व निर्देशक सुदेश शर्मा भी इस दौरान मौजूद रहे।

युवाओं को अमर शहीदों के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए : डीसी
कार्यक्रम के दौरान उपायुक्त जगदीश शर्मा ने अपने संदेश में कहा कि हमें अपने अमर शहीदों को कभी भी भूलना नहीं चाहिए। युवाओं को अमर शहीदों के जीवन व उनके बलिदान से शिक्षा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी समाज व देश की प्रगति वहां की युवा पीढ़ी की सोच पर निर्भर करती है। युवा वर्ग को चाहिए कि वे नशे आदि किसी भी तरह की बुराई से दूर रहें और समाज व देश के विकास में अपनी भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि सरकार का भी यहीं मुख्य उद्देश्य है कि युवा पीढ़ी अमर शहीदों के बलिदान को जाने। इसी के चलते नाटक मंचन के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

कार्यक्रम में एसडीएम राजेश कुमार, जिला शिक्षा अधिकारी दयानंद सिहाग, सिविल सर्जन डॉ. सपना गहलावत, उप सिविल सर्जन डॉ. कुलदीप गौरी, रेडक्रॉस सचिव सुरेंद्र श्योरण, जिला बाल कल्याण अधिकारी जगदीश कुमार, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी वेद सिंह दहिया सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी, कर्मचारी व युवा मौजूद रहे।

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