अर्की / 4 सितम्बर / अनीता गुप्ता
भविष्य में हर क्षेत्र में नैनो तकनीक का प्रयोग होगा। विज्ञान में भौतिकी, रसायन, बायो टेक्नोलॉजी के छात्रों को भविष्य सँवारने के लिए इस विषय में कार्य करना उचित है। यह कहना है डॉक्टर गगन कुमार भार्गव का जो कि अर्की तहसील की छोटी काशी के नाम से मशहूर बातल गांव के निवासी है। वे वर्तमान में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के फिजिक्स डिपार्टमेंट में बतौर एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत है तथा नैनो पदार्थ पर सक्रिय रूप से शोधरत है। इन्होंने एचपी यूनिवर्सिटी शिमला से फिजिक्स में पीएचडी उपाधि प्राप्त की है व अपनी पीएचडी का अधिकांश शोध कार्य नेशनल फिजिकल लेबोरेट्री नई दिल्ली में किया है। डॉक्टर भार्गव ने अंतरास्ट्रीय पत्रिकाओं में 50 से ज्यादा शोध पत्र प्रकाशित किये है व राष्ट्रीय अन्तराष्ट्रीय सम्मेलनो में 25 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किये है। ये 15 से अधिक अंतराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में रिवीव्यूवर भी है तथा अब तक वे पीएचडी, एमफिल, एमएससी के 12 से अधिक छात्रों को शोध कार्य करवा चुके है।
डॉ भार्गव अमेरिकन जर्नल ऑफ नैनो साइंस व अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स कांफ्रेंस प्रोसिडिंग के एडिटर भी है व इनटरनेशनल एसोशिएशन ऑफ एडवांस मेटीरियल स्वीडन के सदस्य भी है। डॉक्टर गगन ने बताया कि उन्होंने एक पेटेंट भी दायर किया है साथ ही उन्हें फ्रांसऔर जापान आदि देशों से आगे के शोध हेतु निमंत्रण प्राप्त हुए है।
डॉक्टर भार्गव का कहना है कि आजकल नैनो टेक्नोलॉजी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गई है तथा विश्व मे हर वस्तु को छोटा और मजबूत करने की होड़ मची है। विभिन्न क्षेत्रों में जैसे इलेक्ट्रॉनिक, मेडिसिन, ऑटो मोबाईल, बायोसाइंस, पेट्रोलियम, फॉरेंसिक और डिफेंस में नैनो टेक्नोलॉजी की असीम सम्भावनाये बन रही है। उन्होंने बताया कि एक मीटर का एक अरब वां हिस्सा नैनो मीटर कहलाता है। जैसे मनुष्य के बाल से करीब 90,000 गुना पतली कोई वस्तु एक नैनो मिटर के बराबर होगी। उन्होंने विज्ञान के छात्रों को नैनो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अपना कैरियर चुनने की सलाह दी है क्योंकि भविष्य में हर तकनीक का आधार नैनो होगा तथा छात्र भौतिक, रसायन विज्ञान या जैव प्रोधोगिकी में से किसी मे एसएमसी कर इस क्षेत्र में अपना भविष्य बना सकता है।