December 27, 2024

चमाकड़ी पंचायत की मांग

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अर्की / 4 सितम्बर / अनीता गुप्ता 

अर्की तहसील के तहत चमाकड़ी पुल के निवासियों ने चमाकड़ी पंचायत न बनने की सूरत में आने वाले सभी चुनाव का बहिष्कार करने की बात कही है। 7 गांव के लोगों ने एक स्वर में कहा है कि एक ओर प्रदेश सरकार जहां पंचायतों का पुनर्गठन कर रही है, बड़ी पंचायतों को छोटा कर रही है ताकि लोगों को सरकारी विकास की योजनाओं का पूर्ण लाभ मिल सके।

ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को गति दी जा सके, वहीं दूसरी ओर कुछ पंचायतें क्षेत्रफल व आबादी  ज्यादा होने बावजूद भी इस बार जस की तस रह गई। चमाकड़ी के लगभग 7 गांव के लोगों ने उम्मीद लगा रखी थी कि उनकी धुन्धन पंचायत का भी विभाजन होगा व नई पंचायत चमाकडी बनेगी। लोग इस बारे बड़े-बड़े नेताओं को भी अपनी दिक्कते बयां कर चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि फाइल सम्बंधित विभाग, विभाग के मंत्री व मुख्यमंत्री  को भेजी गई लेकिन इसके वावजूद इस पंचायत को दो भागों में नही बांटा गया है।

ज्ञात रहे कि इस पंचायत के अंदर रहने वाले ग्रामीणों को किसी भी निजी एवं सरकारी कार्य के लिए यहां तक की केवल एक परिवार रजिस्टर नकल प्रस्ताव, चरित्र प्रमाण पत्र व स्थायी निवासी प्रमाण पत्र के लिये भी लगभग पांच किलोमीटर तक जाना पड़ता है। ग्रामीणों मे गांव रणो खालसा, गांव डूगनू, गांव डूगनीहार, गांव दांव, गांव मलेपड़,गांव चमाकडी, के नरेन्द्र हांडा, कौशल्या देवी, ओमप्रकाश, अशोक, बालकृष्ण, हेमन्त, राज पाल, राजेश, पमी, पपू, जगदीश शर्मा, लता, राकेश, कर्म चंद, इंदू, सुंदरी देवी, राजेश, जिया लाल, संजू, प्रकाश, हेमचंद, काकू, धनीराम, अमरजीत, कृष्णु, निमचंद, धर्मपाल, सिमा देवी, हेमराज, दीपराम, जीतराम रविंद्र, कमलू, मनोहर, मनोहर खजाना राम ने बताया कि इस बार उक्त पंचायत से अलग पंचायत बनाने का प्रस्ताव सम्बंधित विभाग को भेजा गया था। कुछ गांव पंचायत मुख्यालय से लगभग पांच किलोमीटर है।

उन्होंने बताया कि अलग पंचायत न बनने से लोगों मे भारी रोष है। गांव के कुछ बुद्धिजीवियों का यह भी कहना है कि यदि पंचायत के लिए जनसंख्या की बात है तो इन गांव में नई पंचायत बनाने के लिए जनसंख्या पर्याप्त है तथा यह स्थान सभी गावों का केंद्र स्थान है जहाँ पर सभी का आना जाना लगा रहता है। ग्रामीणों ने सरकार व प्रशासन से मांग है कि इस पर पुनर्विचार कर धुन्धन पंचायत को विभाजित कर चमाकड़ी पंचायत को अलग किया जाए। अन्यथा सम्बंधित सभी गांव के लोग आने वाले सभी चुनावों का बहिस्कार करेंगे।

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