नई दिल्ली / 01 अगस्त / न्यू सुपर भारत /
पूर्व केंद्रीय मंत्री व हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने कांग्रेस पार्टी व इनके के पूर्वजों द्वारा पिछड़ो, दलितों के आरक्षण के ख़िलाफ़ साज़िश रचने की बात कही है।
अनुराग ठाकुर ने कहा “ कुछ लोगों के मेरे भाषण से उनके ‘सेंस ऑफ इनटाइटिलमेंट’ को गहरी चोट लगी, जिसका असर हुआ कि कांग्रेस के पूरे इको सिस्टम ने चीखपुकार मचाना शुरू कर दिया है। इन्हें लगता है कि सवाल पूछने का हक सिर्फ इन्हें है क्योंकि ये privileged हैं। यह वही लोग हैं जिनके पूर्वज देश के पिछड़ों , दलितों और वंचितों को बुद्धू कहा करते थे।जो दूसरों को बुद्धू कहा करते थे आज उनके ही घरों में बुद्धओं की भरमार है।
यह वही लोग हैं जिनके पूर्वज दलितों और आदिवासियों को समानता का अधिकार न देने के लिए बहाने बनाते थे। यह वही लोग हैं जिन्हें लगता था कि कैसे उनके सामने कैसे कोई दलित व्यक्ति कोट पैंट पहन कर कैसे खड़ा हो सकता है और संविधान लिख सकता है”
आगे बोलते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा “पिछड़ों को बुद्धू काँग्रेस के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व श्री राजीव गाँधी जी ने सार्वजनिक रूप से कहा। श्रीमान राहुल गाँधी जी और पूरी काँग्रेस जमात पढ़ ले कि स्व श्री राजीव गाँधी ने कहा था कि वह आरक्षण के नाम पर बुद्धओं को बढ़ावा नहीं देंगें । 3 मार्च 1985 को “नवभारत भारत टाइम्स’ के लखनऊ एडीशन में श्री आलोक मेहता जी की बाईलाइन थी जिसके इंटरव्यू का शीर्षक थाः “आरक्षण के नाम पर बुद्धओं को बढ़ावा नहीं” के पहले पैराग्राफ़ को मैं उल्लेखित करना चाहूँगा…
“प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की मान्यता है कि संविधान बनाते समय पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण की जो व्यवस्था की गई, पिछले वर्षों के दौरान उसका बहुत राजनीतिकरण हो गया है। इसलिए अब समय आ गया है कि इन सारे प्रावधानों पर नए सिरे से विचार किया जाए।
वास्तव में दबे और पिछड़े लोगों को यह सुविधा और सहायता दी जाए, लेकिन इसका विस्तार कर विभिन्न क्षेत्रों में ‘बुद्धओं’ को बढ़ाने से पूरे देश को नुकसान होगा” पूर्व प्रधानमंत्री के “अति बुद्धिमान पुत्र” इस देश को बताएंगें कि क्यों उनके पिता के नजर में पिछड़ा वर्ग बुद्धू था? क्या काँग्रेस राजीव गाँधी द्वारा दिए गए एक अति घृणित जातिवादी बयान की सार्वजनिक निंदा करेगी ? क्या उस बयान के खिलाफ कोई रेसोल्यूशन पास किया जाएगा ? जो लोग आज तक लेगेसी की मलाई खाते आ रहे रहे हैं आज उनके मुँह में सवाल की खटाई पड़ गई तो झूठ बोलकर जग हंसाई करवा रहे हैं”
अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा “1947 से लेकर आजतक काँग्रेस ने अपने वैचारिक दरबारियों के साथ मिलकर दलित और वंचित समाज को समाज की मुख्यधारा से बाहर रखने के लिए तमाम तरह के हथकंडे अपनाए । जब जवाहरलाल नेहरू जी से पूछा गया कि दलितों और आदिवासियों को आरक्षण क्यों नहीं दिया जा रहा तो उन्होंने बहाना बनाया कि उन्हें आरक्षण देने से उनके मन में हीन भावना घर कर जाएगी इसलिए उन्हें आरक्षण नहीं दे रहे हैं।नेहरू जी ने तो अपने सारे मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर बता दिया था कि वह किसी भी प्रकार के आरक्षण के खिलाफ हैं”
अनुराग ठाकुर ने कहा “इंदिरा गाँधीजी की भी यही नीति रही। बाबू बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल जिन्होंने मण्डल आयोग की रिपोर्ट तैयार की थी वह इस इस रिपोर्ट के इम्प्लीमेंटेशन की राह ताकते रह गए और स्वर्गवासी हो गए मगर इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी ने इसे लागू नहीं होने दिया। राजीव गाँधी जी तो खुलेआम मण्डल आयोग के लागू होने का विरोध किया था। जब काका कालेकर की रिपोर्ट आयी थी तो ऐसे ही कॉग्रेस ने इस रिपोर्ट दबा दी।
अगर सामंती सोच वाले काँग्रेस पार्टी ने उस समय मण्डल रिपोर्ट और काका कालेकर रिपोर्ट की राह में रोड़ा नहीं अटकाया होता तो आज स्थिति कुछ और होती” अनुराग ठाकुर में कहा “पूरे देश के पिछड़ा, दलित, आदिवासी समाज को राहुल गाँधी के इरादों पर शंका है, क्योंकि वह उसी परिवार से हैं, उसी पार्टी से सर्वेसर्वा हैं जिसने आज तक सारी मर्यादायों को तोड़कर आरक्षण का विरोध किया।सामंती जब समाजवादी बनने का ढोंग करते हैं तो बड़े खतरनाक होते हैं।
काँग्रेस ने मोदी के बहाने पिछड़ा वर्ग को गालियां दीएक पिछड़े की इतनी हिम्मत की वह देश का प्रधानमंत्री बन जाए । राहुल गाँधी ने लश्कर-ए-कॉग्रेस को मोदीजी के खिलाफ खुला छोड़ दिया था। भरे चौराहे पर खड़े होकर, चिल्ला-चिल्ला कर जाति पूछा करते थे। इज्जत तो सिर्फ इनकी है, बाकी तो इनसे अपमान झेलने के लिए बने हैं”