क्या -क्या रंग दिखाने पड़े इस अभागे बोर्ड को ।
फतेहपुर / रीता ठाकुर
मुख्य मार्ग जसूर -तलवाड़ा पर स्थित ननहुँ बस ठहराब के समीप स्थानीय पंचायत दबारा लगाया गया हजारों रु तैयार यह अभागा बोर्ड जो कभी धरती पर लेटा ,तो कभी बिना चित्रकारी के किया गया खड़ा कई रंग दिखाता रहा ।जो अब स्थानीय रामलीला क्लब की पब्लिसिटी का केंद्र बनकर उभरा है ।बता यह पंचायत लरहूँ के क्षेत्र में लगा यह बोर्ड कभी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सुंदर चित्र के साथ उन्हें श्रदांजली दे रहा था ।जो कुछ ही समय बाद हबा के हल्के झोंके से नीचे गिर पड़ा ।तो काफी दिन नीचे ही पड़ा रहा ।आख़िरकारी मीडिया की सुर्खियां बनने के पंचायत की नींद खुली और आधी -अधूरी चित्रकारी के साथ को दोबारा लगा दिया गया ।जो कुछ ही दिनों बाद पूरी तरह चित्रबिहीन हो गया ।अब उस पर रामलीला क्लब दबारा पब्लिसिटी ली जाने लगी ।जिस कारण पंचायत की कार्यप्रणाली पर भी उंगलियां उतनी शुरू हो गई हैं ।सनद रहे गत 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 150 बीं पुण्यतिथि पर सरकार के निर्देशों पर करीब 38 -40 हजार रु खर्च कर हर पंचायत में बोर्ड लगाए गए थे ।अब इतने कम अंतराल में कुछ एक जगहों पर बोर्डों की दशा इतनी दयनीय हो चुकी है कि हर कोई सरकार से यही प्रश्न पूछ रहा है कि क्या लोगों के खून -पसीने की कमाई ज्यूँ ही बर्बाद होती रहेगी या सबंधित बिभाग या पंचायत के खिलाफ कारबाई भी होगी ।
फोटो कैप्शन -बिना चित्रकारी के बोर्ड पर पब्लिसिटी के लिये लगाया गया बैनर ।