November 16, 2024

जो आनंदरस भगवान की कथा में है वह संसार में अन्यत्र दुर्लभ है : अतुल कृष्ण जी महाराज

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ज्वार ( ऊना) / 07 नवम्बर / चब्बा

भगवान की लीला में ईश्वरत्व बाधा है फिर भी भगवान भक्तों को सुख देने के लिए प्रकट हो जाते हैं। जो आनंदरस भगवान की कथा में है वह संसार में अन्यत्र दुर्लभ है। भाग्यहीन व्यक्ति सारे संसार में भिखारी की तरह भटकता है पर प्रभु के द्वार पर आने में संकोच करता है। जो कपट छोड़ कर हरि भजन में दृढ़ हो जाते हैं उनके लिए इस जगत में कुछ भी दुर्लभ नहीं है। जो अपनी जीवन नौका की पतवार भगवान को सौंप देते हैं उनको किनारा अवष्य मिलताहै।

उक्त अमृतवचन श्रीमद् भागवत कथा के समापनसत्र में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण जी महाराज ने कम्यूनिटी सेंटर, ज्वार में व्यक्त किए। उन्होंनेकहा कि मंत्रदाता से ज्ञानदाता गुरु श्रेश्ठ है। मंत्र का उच्चारण तो कोई रिक्षेवाला भीकर देता है पर मंत्र की महिमा का सूक्ष्म ज्ञान मंत्रद्रश्टा प्रभु प्रेमी को ही होता है।भाग्यहीन व्यक्ति सारे संसार में भिखारी की तरह भटकता है पर प्रभु के द्वार पर आनेमें संकोच करता है। जो कपट छोड़ कर हरि भजन में दृढ़ हो जाते हैं उनके लिएइस जगत में कुछ भी दुर्लभ नहीं है। जो अपनी जीवन नौका की पतवार भगवान कोसौंप देते हैं उनको किनारा अवष्य मिलता है।

आज कथा में भगवान श्री कृष्ण के 16108 विवाह, युधिश्ठिर का राजसूय यज्ञ, सुदामा को ऐष्वर्य कीप्राप्ति, सुभद्रा विवाह, भगवान का स्वधाम गमन एवं परीक्षित के मोक्ष का प्रसंग सभीने अत्यंत श्रद्धा से सुना। इस अवसर पर अनेक मनमोहक झांकियां भी निकाली गईं एवं सभी ने भगवान श्री कृष्ण एवं श्री राधा जी के साथ अबीर गुलाल लगाकर ब्रज की रंग-बिरंगी होली का भी आनंद लिया। कथा के पष्चात प्रतिदिन की तरह विषाल लंगर-भंडारे का भी आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुाओं ने प्रसाद ग्रहण किया। आज भी सैकड़ों श्रोताओं के अतिरिक्त प्रमुख रूप से कथा के मुख्ययजमान ओमदत्त षर्मा, सुरेष षर्मा, रविदत्त षर्मा, रमेषचंद एडवोकेट, षिवकुमार षर्मा,प्रकाषचंद धीमान, विवेक षर्मा, हिमांषु वषिश्ठ, प्रियांषु वषिश्ठ, रछपाल सिंह, राजेष धीमान, मुकेष धीमान, मस्तान सिंह, ओमदत्त नैहरियां, नीलम षर्मा, अलका षर्मा,स्तुति षर्मा, षिवानी भारद्वाज, नीतू धीमान, आंचल धीमान सहित अनेक गणमान्य सज्जनउपस्थित रहे।

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