एच0आई0वी0/एडस विषय पर ट्राॅमा सैंटर बिलासपुर में कार्यशाला आयोजित
बिलासपुर / 19 फरवरी / न्यू सुपर भारत
एच0आई0वी0/एडस विषय पर ट्राॅमा सैंटर बिलासपुर में कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता जिला स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ0 परविन्दर ने की। डाॅ0 परविन्दर ने एच0आई0वी0/एडस विषय चर्चा करते हुए बताया कि 1981 के दशक से शुरू होने वाली इस बीमारी का आज भी कोई ईलाज नहीं है। केवल जागरूता/जानकारी अपनाकर ही इससे बचा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि लोगों को एच0आई0वी0/एडस के बारे में विभिन्न कार्यक्रमों और शिविरों के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जागरूक और सरकार द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं के कारण 2010 से 2017 तक नए मामलों में 27 प्रतिशत तथा एडस के कारण हुई मोतों में 56 प्रतिशत की कमी आई है।
उन्होंने बताया कि हिमाचल सरकार ने एडस उन्मूलन के लिए 2030 का लक्ष्य रखा है इसके लिए राज्य एडस नियंत्रण समिति द्ववारा 47 आईसीटीसी और एफआईसीटीसी केन्दों के माध्यम से सेवाए प्रदान की जा रही है।
उन्होंने बताया कि एच0आई0वी0/एडस के नैगिटिव बच्चों को आयु के अनुसार 3सौ से 8सौ रूपये की आर्थिक सहायता दी जाती है, इसके अतिरिक्त एच0आई0वी0/एडस के सभी रोगियों के लिए 1500रू की मासिक आर्थिक सहायता सरकार द्वारा दी जाती है।
इस मौक पर 90-90-90 ए.आर.टी. उपचार लक्ष्यों के उपर जानकारी दी और बताया कि अब 90 प्रतिशत लोगों का एच0आई0वी0 स्टेटस जानना है और 90 प्रतिशत का ही निदान व इलाज सुनिश्चित करना है तथा 90 प्रतिशत का फौलोअप भी करना है।
एच0आई0वी0/एडस मुख्यतः चार कारणों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि संक्रमण के लिए सुरक्षात्मक कदम उठा कर घातक रोग से सुरक्षित रहने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि पति पत्नी में बफादारी या निरोध का सही प्रयोग, निरोध स्वास्थ्य केन्द्रों में मुफ्त मिलते हैं, टीका लगवाने के लिए नई सूई सीरिंज का प्रयोग, टैटू गुदवाने व नाक कान छेदने के लिए सुरक्षित नई सूई का प्रयोग, शेव करती बार नई ब्लेड का इस्तेमाल, जरूरतमन्द को स्वैच्छिक रक्त दाता द्वारा दान किया हुआ एच आई वी मुक्त रक्त ही चढ़ाना और आईसीटीसी केन्द्र में गर्भवती की जांच पर एच आई वी का पता चलने पर उसे प्रथम प्रसव वेदना के समय तथा नवजात को जन्म के 72 घंटे के अन्दर नेविरापिन दवा की खुराक बच्चे मेें एच आई वी होने का खतरा 30 प्रतिशत से घट कर 4 प्रतिशत रह जाता है। उन्होंने बताया कि जांच व दवा दोनों आईसीटीसी केन्द्र में मुफ्त होता हैं।
जन शिक्षा एंव सूचना अधिकारी रोमा शर्मा ने बताया कि एडस ला-ईलाज रोग है पर अब रोगी को एंटिरिटरावाइल ट्रीटमैंट देकर उसकी उमर बढ़ जाती है, जबकि यौन संचारित रोगों का उपचार शत प्रतिशत संम्भव है, समय पर इन रोगों का उपचार न होने पर व्यक्ति को एच आई वी संक्रमण का खतरा 10 गुणा अधिक हो जाता है।
उन्होंने बताया कि पुरूषों इस रोग के लक्षण में धात चलना, रूक-रूक कर पेशाब आना, जनन अंग पर पीड़ा रहित घाव होना, पेशाब करती बार दर्द व जलन होना, अण्ड कोष में सूजन आना, कुल्हों में गिल्टयां होना तथा औरतों में जनन अंग से बदबूदार-रंगदार पानी चलना व पीड़ा रहित घाव होना, निचले पेट मे सूजन तथा पीड़ा होना, कुल्हों में गिल्टयां होना यौन संचारित रोगों के लक्षण हैं।
उन्होंने बताया कि नजदीकी चिकित्साल्य में इन रोगों का समय पर इलाज जरूरी है। अज्ञानतावश एच आई वी/एडस के साथ जीवन जी रहे व्यक्तियों से भेद भाव करना भूल है क्योंकि रोगी से हाथ मिलाने, साथ खाने-पीने, उठने बैठने, साथ पढ़ने, खेलने व गले मिलने से एडस नहीं होता, बल्कि सही सेवा व व्यवहार से रोगी का जीवन जीने में आसान व दीर्घ हो जाता है।
उन्होंने बताया कि एडस प्रभावित व्यक्ति को इन्दिरा गान्धी चिकित्सा महाविद्यालय शिमला, चिकित्साल्य हमीरपुर, चिकित्सा महाविद्यालय टांडा और लिंक ए आर टी सैंटर बिलासपुर व अन्य सभी जिलों में उपचार हेतु दवा मुफ्त उपलब्ध है तथा रोगी व्यक्ति के साथ एक व्यक्ति के आने जाने का किराया भी देय है।
इस अवसर पर स्वास्थ्य शिक्षक प्रबीण कुमार ने एच0आई0वी0/एडस भी जागरूक किया
इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी बिलासपुर नीलम टाडू, रंजना देवी सीडीपीओ घुमारवीं, जिला के आंगनवाडी सुपरवाईजर आंगनवाडी र्कायकताओं तथा स्वास्थ्य विभाग के अन्य कर्मचारियों सहित लगभग 40 ने भाग लिया।