छठे वित्तायोग के अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने कृषि सुधार बिल-2020 को कृषि प्राथमिकता और किसान के हितों के लिए दिया सर्वोपरि करार
ऊना / 14 दिसम्बर / राजन चब्बा छठे वित्तायोग के अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने कृषि सुधार बिल-2020 को कृषि प्राथमिकता और किसान के हितों के लिए सर्वोपरि करार दिया है जो कि किसान की आय और मुनाफे को बढ़ाने में भी कारगर सिद्ध होगा। सत्ती ने बताया कि कृषि के क्षेत्र में जहां आधुनिक टेक्नोलॉजी का विस्तार होगा वहीं पर अन्नदाता मोदी सरकार की अन्य योजनाओं से ओर अधिक सशक्त बनेगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार एमएसपी की व्यवस्था यथावत बनाये रखेगी और निजी मंडियों सहित एपीएमसी व्यवस्था को भी पूर्व की भांति बनाये रखने के लिए संकल्पित है। सत्ती ने बताया कि देश के भोले वाले व मेहनती किसानों को कांग्रेस, मार्क्सवादी और अन्य गैर भाजपाई राजनीतिक दल सिर्फ अपनी खोई हुई राजनीतिक ज़मीन को पुनः पाने के लिए भ्रमित कर आंदोलन की राह पर ले गए हैं। उन्होंने बताया कि स्वामीनाथन की रिपोर्ट जो किकृषक हितकर थी जिसे मनमोहन सरकार लागू नहीं कर पाई यही नहीं आज इस कृषि सुधार बिल का विरोध कर रहें हैं शरद पवार ने भी संविदा खेती, विपणन सुधार, एपीएमसी व्यवस्था को समाप्त एवम बैरियर मुक्त राष्ट्रीय मार्किट की व्यवस्था को बनाने की बात कही थी।सत्ती ने बताया कि सत्ता से बाहर जाते ही कांग्रेस, व अन्य गैर भाजपाई दल यहां तक कि अपने घोषणा पत्रों में कही बात से भी मुकर कर अब किसान के साथ होने का ढोंग कर रहें हैं।जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है।उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, सॉयल हेल्थ कार्ड और प्रधानमंत्री किसान सम्मान,नीम कोटेड यूरिया, लागत मूल्य में 50 फीसदी जोड़कर एमएसपी का निर्धारण करना,ई-नैम, प्राकृतिक खेती, जीरो बजट खेती, प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना और प्रधानमंत्री किसान सम्पदा जैसी योजनाएं किसानों के हित में लागू कर किसान को आर्थिक रूप से सम्बल करने का काम किया है।
सत्ती ने बताया कि सिर्फ मोदी सरकार ही किसान हितैषी है 95000 करोड़ रुपये 10.59करोड़ किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजन के माध्यम से सीधा किसान के खाते में भेज गया है।जिसने इन नए कृषि विधेयकों में किसानों को अपनी आमदनी को दुगना करने का सकारात्मक स्थान दिया है।उन्होंने बताया कि कॉन्ट्रैक्ट खेती में सिर्फ किसान की उपज का कॉन्ट्रैक्ट खरीददार से किया जाएगा न कि किसान की ज़मीन का और यही नहीं किसान मनचाहे समय पर कॉन्ट्रैक्ट से पीछे हट सके ऐसी व्यवस्था भी इस कानून में कई गयी है।
यूपीए सरकार की तुलना में मोदी सरकार ने गेंहू व धान की खरीद पर एमएसपी के आधार से 8 लाख करोड़ की राशि खर्च कर 2.25 गुणा अधिक खरीद की है।यही नहीं मोदी सरकार ने दलहन( 112.58 लाख मीट्रिक टन) व तिलहन(56.36लाख मीट्रिक टन) के भंडारण में भी क्रमशः 74 गुणा व 15 गुणा की अधिक खरीद कर सही मायने में किसान को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की पहल की है।उन्होंने बताया कि इस कोविड-19 के दौरान भी कृषि व कृषि सम्बंधित आधारभूत ढांचे की मजबूती के लिए किसान को खेती के इलावा दुग्ध,मत्स्य,भेड़ पालन और पशुपालन उत्पादन के लिए मोदी सरकार ने एक लाख करोड़ की व्यवस्था की है।सत्ती ने बताया कि किसान अपनी पैदावार को उचित मूल्य पर बेचने तक अपने भंडारण में रख पाएंगे और प्रभावी सौदेबाजी व मोलभाव करने में भी सक्षम होगा।उन्होंने बताया कि जिस तरह कांग्रेस और अन्य गैर राजनीतिक दल किसानों के कंधे का प्रयोग कर नकारात्मक व विघटनकारी राजनीति कर रहें है देश की जनता सही समय पर इन राजनीतिक दलों को माकूल जवाब देगी।