आराधना ने दिखाई दिव्यांगों को आत्मनिर्भरता की राह ***स्वयं सहायता समूह दे रहा धूप, रुई की बाती बनाने का प्रशिक्षण।
ऊना , 25 अक्तूबर / राजन चब्बा-
प्रकृति से चुनौती प्राप्त व्यक्ति (दिव्यांगजन) सामान्य लोगों की तरह अवसर प्राप्त होने पर न केवल किसी भी कार्य में दक्षता हासिल कर सकते हैं, बल्कि अपने पैरों पर खड़े होकर, राष्ट्र की प्रगति में बराबर के शरीक बन सकते हैं। ऐसे ही दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बना कर, आत्मसम्मान के साथ जीने के लिए प्रेरित कर रहा है, जि़ला ऊना का आराधना स्वयं सहायता समूह।
जि़ला प्रशासन, ऊना तथा माता श्री चिंतपूर्णी ट्रस्ट की पहल पर ग्राम पंचायत, देहलां लोअर में दिव्यांगजनों को स्वरोज़गार प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक प्रशिक्षण केद्र की स्थापना की गई है, जहाँ उन्हें धूप तथा रुई की बाती बनाने का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। केंद्र में 18 दिव्यांग धूप तथा ज्योति बनाने का प्रशिक्षण ले रहे हैं तथा तैयार उत्पादों को बाज़ार में बेच भी रहे हैं।
देहलां के रहने वाले एक प्रशिक्षणार्थी सतीश कुमार बताते हैं कि वह यहाँ पर धूप तथा रुई की बाती बनाने का प्रशिक्षण ले रहे हैं। उन्हें अपने हाथों से सामग्री तैयार करना अच्छा लगता है। इससे उनके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी हुई है। रुई की बाती तथा धूप के एक पैकेट की कीमत 10-10 रुपए रखी गई है। एक अन्य प्रशिक्षणार्थी परमजीत कौर कहती हैं, ‘‘नेशनल सर्विस सेंटर, ऊना दिव्यांगजनों को धूप और रुई की बाती आदि बनाने का प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। कुछ दिव्यांग सामग्री बनाते हैं जबकि कुछ उन्हें बाज़ार में बेचने का कार्य करते हैं।’’
आश्रय संस्था इस केंद्र के लिए नोडल एजेंसी का कार्य कर रही है। प्रशिक्षित अध्यापक दिव्यांगजनों को प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। 03 अगस्त, 2020 को केंद्र का शुभारंभ होने के उपरांत आराधना स्वयं सहायता समूह के ये प्रशिक्षाणार्थी अब तक एक क्विंटल धूप तथा रूई की बाती के 1,000 पैकेट तैयार कर चुके हैं। बाज़ार के अलावा इन्हें धार्मिक संस्थानों में बेचा जा रहा है।
दिव्यांगों को समर्पित नेशनल सर्विस सेंटर, ऊना के प्रभारी डॉ. बी. के. पांडेय बताते हैं कि आराधना स्वयं सहायता समूह के सभी सदस्य दिव्यांग हैं तथा स्वरोज़गारोन्मुखी गतिविधियों से जुड़ कर उनमें आत्मविश्वास की भावना जागृत हो रही है। अपने घर के पास उन्हें हुनरमंद तथा आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में यह इकाई प्रभावशाली भूमिका निभा रही है।
ध्यात्व है कि आरम्भ में रुई से बाती बनाने की एक मशीन खरीदने के बाद अहमदाबाद से 100 किलो ग्राम रुई मंगाई गई। देहलां लोअर की पंचायत ने केंद्र के संचालन के लिए एक भवन नि:शुल्क उपलब्ध करवाया। यहाँ दिव्यांगजन धूप तथा बाती बनाने के अलावा उसकी पैकिंग का कार्य भी खुद करते हैं। इस केंद्र में दिव्यांगों के अलावा विधवाओं को जोडऩे के प्रयास भी किए जा रहे हैं।
ऊना विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक एवं छठे राज्य वित्तायोग के अध्यक्ष सतपाल सत्ती देहलां के इस केंद्र की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि केंद्र से प्रशिक्षण लेकर दिव्यांगजन आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर हैं, जिससे उनके आत्मविश्वास में वृद्धि हो रही है। इनके उत्पादों को बेचने के लिए माँ चिंतपूर्णी मंदिर परिसर में एक दुकान प्रदान की जाएगी। मुझे पूर्ण विश्वास है कि माँ चिंतपूर्णी मंदिर में दुकान मिलने के बाद आराधना स्वयं सहायता समूह का काम बढ़ेगा। इनकी आय में बढ़ोतरी होगी और ये दिव्यांगजन सम्मानपूर्वक जीवन-यापन कर सकेंगे।-000-