केंद्र के किसान, आढ़ती व मजदूर विरोधी काले बिल कारपोरेट घरानों के हितों की पूर्ति: सुंदर शाम अरोड़ा
*जरुरी वस्तुओं की सूचि में दालें, अनाज, आलू-प्याज आदि को बाहर करने से शिखर छूएगी काला बाजारी **मंडियां खत्म होने से पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में हुआ विकास होगा तहस-नहस
होशियारपुर / 26 सितंबर / न्यू सुपर भारत न्यूज़
केंद्र सरकार की ओर से पारित किए गए किसान, आढ़तियों व मजदूर विरोधी काले बिलों की सख्त निंदा करते हुए उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पंजाब सुंदर शाम अरोड़ा ने आज कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार का यह निर्णय सिर्फ कारपोरेट सैक्टरों के हितों की पूर्ति है।
पंजाब सरकार की वचनबद्धता को दोहराते हुए सुंदर शाम अरोड़ा ने कहा कि किसानों के हितों की हर कीमत पर रक्षा की जाएगी व केंद्र की ओर से किसानी व इससे जुड़े क्षेत्रों को तबाह करने की कोशिशों को कभी सफल नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार देश वासियों के लिए अन्न पैदा करने वाले किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है व भविष्य में भी खड़ी रहेगी।
उद्योग मंत्री ने बिलों को रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि केंद्र के ऐसे कारपोरेट सैक्टर पक्षीय फैसले से जहां किसान, मजदूर व आढ़ती बुरी तरह से लूट जाएगा वहीं इसके विपरित कारपोरेट सैक्टर को मिलने वाली छूट के चलते देश के अंदर काला बाजारी शिखर छूएगी। उन्होंने कहा कि ऐसा होने से पहले से ही भारी परेशानियों का सामना कर रहे हर वर्ग के लिए नए संकट खड़े हो जाएंगे जो कि सीधे तौर पर लोकतंत्र के लिए घातक होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र की ओर से अनाज, दालों, तेल बीजों, खाने वाले तेल व आलू-प्याज को जरुरी वस्तुओं की सूचि से हटाना भी कारपोरेट घरानों को काला बाजारी का लाइसेंस देना ही है।
मौजूदा खरीद प्रणाली को लेकर पैदा हुई शंकाओं संबंधी उद्योग मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से पास बिल सीधे तौर पर कम से कम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म करने वाला कदम है, जो कि किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र की ओर से पास बिल मौजूदा मंडी बोर्ड के ढांचे को तहस नहस करने वाले हैं व निजी क्षेत्र की कंपनियों व कारपोरेट घरानों के आने के साथ मंडियों, आढ़ती वर्ग व मजदूर वर्ग को चोट पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि यह कानून पंजाब में मंडी बोर्ड की ओर से वसूले जाते वार्षिक 4000 करोड़ रुपए के फंड को भी तहस-नहस करते हुए पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में हुए विकास को बर्बाद करके रख देगा।
उन्होंने मांग की कि देश के किसानों व किसानी के मद्देनजर केंद्र को अपने यह घातक निर्णय तुरंत वापिस लेने चाहिए।