मुख्य सचिव ने आपदा प्रबन्धन के लिए निरन्तर निगरानी पर दिया बल।
शिमला / 05 अगस्त / राजन चब्बा
मुख्य सचिव अनिल खाची की अध्यक्षता में आज यहां आपदा प्रबन्धन अधिनियम के अन्तर्गत राज्य कार्यकारी समिति (एसईसी) की 14वीं बैठक आयोजित हुई।
श्री खाची ने आपदा प्रणबन्धन के लिए निरन्तर निगरानी और तैयारी की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि लोगों को जोखिम की स्थिति में तैयारियों के बारे में जानकारी प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान कोविड-19 का खतरा कम होने के बाद माॅक ड्रिल और अभ्यास किए जाने चाहिए तथा राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण को इसको लेकर आॅनलाइन प्रशिक्षण का संचालन की संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश भूकम्प, भूस्खलन, बाढ़, बर्फ के ग्लेशियर खिसकने, सूखा, घरेलू व वन की आगजनी, सड़क दुर्घटनाएं, भगदड़ आदि प्राकृतिक तथा मानव निर्मित आपदाओं के लिए अधिक उन्मुख है। हालांकि राज्य को सर्वाधिक खतरा भूकम्प से है। हाल ही में राज्य में रिक्टर पैमाने पर 4.0 और इससे अधिक क्षमता वाले 80 बार भूकम्प के झटकों का सामना करना पड़ा।
मुख्य सचिव ने कहा कि इस तरह की आपदा के दौरान आधारभूत ढांचे और जरूरी सुविधाओं के अलावा सबसे पहले संचार सुविधाओं को नुकसान होता है। प्रदेश की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के मद्देनजर आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए स्वतंत्र संचार व्यवस्था स्थापित की जाने की आवश्यकता है। दूसरी संचार व्यवस्थाओं के असफल होने की स्थिति में अव्यवसायी रेडियो (एचएएम) एक प्रभावी व वैकल्पिक माध्यम है जिसका उपयोग किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस वर्ष जनवरी माह में हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल के गठन कि अधिसूचना की है। प्रदेश मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है कि इस बल के गठन होने तक प्रदेश पुलिस की एक कंपनी शिमला, मंडी और धर्मशाला में स्थापित की जाएगी। पुलिस विभाग ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल के लिए पांच करोड़ रूपये स्वीकृत किए है।
अनिल खाची ने कहा कि स्कूल और काॅलेज भवनों को सुदृढ़ किया जाना चाहिए क्योंकि आपदा के समय में इनका उपयोेग किया जाता है। उन्होंने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकारण, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकारण और 39 विभागों को अपनी आपदा प्रबंधन योजना को अपडेट करने के निर्देश दिए। उन्होंने बहुद्देशिय परियोजना और ऊर्जा विभाग को प्रदेश के बाध प्राधिकरण की पूर्व सूचना एवं चेतावनी प्रणाली के बारे में एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने उपायुक्तों, आईआईटी रूढ़की और मंडी के प्रोफेसरों के साथ भी वीडियों काॅन्फ्रेेसिंग के माध्यम से बातचीत की।
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव ओंकार चंद शर्मा ने जानकारी दी कि पुलिस विभाग को दूरदराज क्षेत्रों और पुलिए बल के लिए वी-सेट खरीदने के लिए धन राशि प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त पुलिस विभाग को 75 स्थलों पर 37 आई-सेट और वी-सेट खरीदने के लिए भी धनराशि प्रदान की गई है। उपायुक्त किन्नौर ने जनजातीय विकास निधी के अन्तर्गत आईआई-एसएटी खरीदें है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों और जनजातीय उपमंडलों के उपमंडल अधिकारियों को 22 आई- सेट प्रदान किए गए है। गैर सरकारी संस्थान प्रज्ञा ने लाहौल स्पिती के लिए 8 आई-सेट प्रदान किए है।
ओंकार चंद शर्मा ने कहा कि आईआईटी रूढ़की के भू-विभाग के सहायक प्रोफेसर ने प्रदेश सरकार को भूकंप की पूर्व सूचना प्रणाली स्थापित करने के संदर्भ में एक प्रस्ताव भेजा है।
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के निदेशक एवं विशेष सचिव डीसी राणा ने बैठक की कार्यवाही का संचालन किया और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान, प्रदान सचिव जेसी शर्मा, सचिव रजनीश, उपायुक्त शिमला अमित कश्यप, हिमऊर्जा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रूपाली ठाकुर, विशेष सचिव ऊर्जा नीरज शर्मा, राज्य विद्युत बोर्ड लि. के महाप्रबंधक आरके शर्मा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।
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