जय राम ठाकुर जब भी दिल्ली जाते हैं, केन्द्र हिमाचल का हक रोक देता हैं : चन्द्रशेखर और भुवनेश्वर गौड़
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शिमला / 15 फरवरी / न्यू सुपर भारत /
विधायक चन्द्रशेखर और भुवनेश्वर गौड़ ने नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर की केन्द्रीय मंत्रियांे के साथ मुलाकात पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह हमेशा हिमाचल प्रदेश को मिलने वाली मदद को रुकवाने के लिए केन्द्रीय मंत्रियों से मिलते हैं। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष केन्द्रीय मंत्रियों के साथ मिलकर कभी भी हिमाचल के लोगों के हितों की पैरवी नहीं करते बल्कि हिमाचल के हक में भी अडं़गे डालने का प्रयास करते हैं।
उन्हांेने कहा कि वह जब भी केन्द्र सरकार के मंत्रियों से मिलकर आते हैं तो हिमाचल प्रदेश को मिलने वाला हक भी रोक दिया जाता है। इसलिए उन्हें प्रदेश की जनता के सामने इस स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए। जय राम ठाकुर को बताना चाहिए कि वह हिमाचल प्रदेश के लोगों के साथ हैं या उनके खिलाफ।
चन्द्रशेखर और भुवनेश्वर गौड़ ने कहा कि जय राम ठाकुर केन्द्रीय मंत्रियों से मिलकर हिमाचल प्रदेश को यूनिफाइड पैंशन स्कीम (यूपीएस) को लागू करने का दवाब बनाने की वकालत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने हिमाचल प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पैंशन दी है, लेकिन भाजपा नेताओं को यह बात हजम नहीं हो रही इसीलिए वे सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध षड़यंत्र रच कर यूपीएस लागू करवाने के लिए केन्द्र सरकार से दवाब बनवा रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि जय राम ठाकुर को केन्द्र सरकार के पास एनपीएस के फंसे लगभग 9000 करोड़ रुपये वापिस हिमाचल प्रदेश को दिलाने की बात करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। पुरानी पैंशन स्कीम लागू करने के कारण केन्द्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबन्ध लगाए हैं। हिमाचल प्रदेश को मिलने वाली ऋण की सीमा घटाकर 6600 करोड़ रुपये तय की है। इसके अलावा बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए तीन वर्षों में कुल 2900 करोड़ रुपये की सीमा तय की गई है। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को केन्द्रीय मंत्रियों के साथ इन प्रतिबंधों को हटाने की मांग करनी चाहिए।
दोनों विधायकों ने कहा कि वर्ष 2023 में हिमाचल प्रदेश के लोगों ने इतिहास की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा का सामना किया, लेकिन आज तक राज्य को विशेष आर्थिक सहायता के रूप में एक फूटी कौड़ी नहीं मिली है। केन्द्र सरकार का दल हिमाचल प्रदेश में हुए नुकसान का जायजा लेने आया था या जिसने हिमाचल प्रदेश को लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने की सिफारिश की, परन्तु केन्द्र सरकार ने आज तक यह धनराशि जारी नहीं की।