February 13, 2025

स्वदेशी ज्ञान प्रणाली सतत भविष्य के लिए रोड मैप विकसित भारत-2047 पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का बागवानी और वानिकी महाविद्यालय थुनाग में शुभारंभ

0

मण्डी / 13 फरवरी / न्यू सुपर भारत /

 स्वदेशी ज्ञान प्रणाली सतत भविष्य के लिए रोड मैप विकसित भारत-2047 पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ बागवानी और वानिकी महाविद्यालय थुनाग में हुआ। सम्मेलन में धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक चन्द्रशेखर बतौर मुख्य अतिथि शिरकत हुए । 

विधायक चंद्रशेखर ने कहा कि आज का दौर औद्योगिकी, तकनीकी व डाटा का युग है। 

औद्योगिक युग शुरू होने के बाद औद्योगिक स्तर पर दुनिया का विकास हुआ है। विभिन्न कारकों ने हमारे वातावरण को काफी प्रभावित किया है। जलवायु परिवर्तन का असर इस कदर हो चुका है कि पिछले 19 महीने दुनिया में सबसे अधिक गर्म महीने बताए गए हैं। इससे ज्यादा चिंताजनक स्थिति हमारे लिए नहीं हो सकती।

ऐसे में औद्योगिकीकरण के साथ-साथ अपने वातावरण को संजोए रखते हुए स्वदेशी ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देते हुए आगामी भविष्य के लिए एक रोड मैप तैयार करना आवश्यक है।  

वैज्ञानिक शोधकर्ताओं के अनुसार हिमाचल में जलवायु तापमान में सामान्य से डेढ़ डिग्री ज्यादा जा चुका है। जलवायु परिवर्तन को देखते हुए हमारे आसपास पाए जाने वाले जीव जंतु, वनस्पति अन्य जीवों को बचाने व बढ़ावा देने की जरूरत है जिससे हम श आने वाले पीढ़ियों को बेहतर वातावरण और जलवायु दें सकें।

विधायक ने कहा की प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में जैविक विविधता का संरक्षण करने व फसल विविधीकरण कार्यों में कार्य कर रही है। बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के दृष्टिगत प्रदेश सरकार हरित क्रांति के तहत बंजर पड़ी भूमि में सोलर ऊर्जा प्लांट लगाने में कार्यरत है। जिससे किसानों को रोजगार प्राप्त होगा तथा सौर ऊर्जा को भी बढ़ावा मिलेगा।

इसी तरह प्रदेश सरकार फसल विविधीकरण में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देते हुए प्राकृतिक विधि से पैदा मक्की 30 रूपए प्रति किलो खरीद रही है तथा 40 रुपए प्रति किलो गेहूं को खरीद कर जैविक विविधता व किसानों की आय को बढ़ाने में प्रयासरत है। 

कार्यक्रम में बागवानी और विश्वविद्यालय नौणी सोलन के उप- कुलपति राजेश्वर सिंह चंदेल के द्वारा दो दिवसीय स्वदेशी ज्ञान प्रणाली सतत भविष्य के लिए रोड मैप विकसित भारत 2047 के राष्ट्रीय सम्मेलन की रूपरेखा व इसके उद्देश्यों को माननीय मुख्य अतिथि व उपस्थित स्थानीय जनता के समक्ष रखा।

इस अवसर पर अति विशिष्ट अतिथि के तौर पर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के एमडी डॉ. आचार्य बालकृष्ण भी वर्चुअल माध्यम से सम्मेलन से जुड़े। उन्होंने समस्त छात्रों और उपस्थित लोगों को आयुर्वेद तथा प्राकृतिक संसाधनों को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए!

यह सम्मेलन पांच विषयों पर केंद्रित है जिसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वदेशी ज्ञान प्रणाली, बागवानी और वानिकी, प्राकृतिक खेती एवं आयुर्वेद, शिल्प कौशल व आयुर्वेदिक अभ्यास प्रमुख हैं।

इसके अतिरिक्त सम्मेलन में छह तकनीकी सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिसमें विभिन्न संस्थानों के प्रतिष्ठित शिक्षाविद अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।

इसके अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना वर्चुअल, वन कॉलेज एवं अनुसंधान संस्थान, मेट्टुपालयम तमिलनाडु और एचपी वानिकी परियोजना, शिमला जैसे संस्थानों से आए विशेषज्ञ भी अपने विचार सांझा करेंगे। इस सम्मेलन में 8 राज्यों के 132 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं, जो 17 विश्वविद्यालयों, अनुसंधान केन्द्रों तथा 4 राष्ट्रीय संस्थानों का प्रतिनिधित्व करेंगे।

यह कार्यक्रम इंडियन इकोलॉजिकल सोसाइटी, लुधियाना के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है तथा इसे जाइका के साथ-साथ इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च विजन विकसित भारत 2047 द्वारा प्रायोजित किया गया है।

इनसे साथ ही सम्मेलन में करसोग से पद्मश्री नेक राम शर्मा, नौणी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर चंदेल, सराज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जगदीश रेड्डी,

 डीन थुनाग प्रो० पीएल शर्मा, प्रो० प्रदीप कुमार प्रोफेसर संजीव चौहान वह अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *