जनता ने कांग्रेस के बागी विधायकों को बिठाया घर, एक की जमानत जब्त..
शिमला / 5 जून / न्यू सुपर भारत ////
हिमाचल प्रदेश में चार सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के बागी विधायकों की बगावत का जनता ने करारा जवाब दिया. बागियों के खिलाफ मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के आक्रामक तेवरों और रैलियों की वजह से छह में से चार सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई. इस प्रकार कांग्रेस सरकार पर आया राजनीतिक संकट टल गया। कांग्रेस का अब अगला लक्ष्य तीन निर्दलीय पूर्व विधायकों की सीटों पर होने वाले उपचुनाव में जीत हासिल करना है।
हिमाचल प्रदेश की जनता ने साल 2022 के विधानसभा चुनाव में कुटलैहड़ से देवेंद्र कुमार भुट्टो, गगरेट से चैतन्य शर्मा, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर, बड़सर से इंद्रदत्त लखनपाल, धर्मशाला से सुधीर शर्मा और सुजानपुर से राजेंद्र राणा को पांच साल के लिए विधानसभा में भेजा। परन्तु 15 महीने बाद ही उन्होंने पार्टी से बगावत की. राज्यसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ वोट करके विपक्ष का समर्थन किया। पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने के कारण इन 6 बागी पूर्व विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया।
हिमाचल में हुए विधानसभा उपचुनाव में तो राजेंद्र राणा जैसे दिग्गज भी चुनाव हार गए हैं. इतना ही नहीं, लाहौल स्पीति में बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस के पूर्व बागी विधायक रवि ठाकुर की जमानत तक जब्त हो गई. गगरेट में पिछला चुनाव 15 हजार से ज्यादा वोटों से जीतने वाले चैतन्य शर्मा इस बार 7 हजार से ज्यादा वोटों से हार गये. धर्मशाला के सुधीर शर्मा और बड़सर के इंद्रदत्त लखनपाल को दोबारा जनता ने विधानसभा जाने का मौका जरूर दिया है।
बेशक, लोकसभा चुनाव में हिमाचल में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। लेकिन चार विधानसभा सीटें जीतने के बाद यह तय है कि हिमाचल प्रदेश में ऑपरेशन लोटस सफल नहीं होगा। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी चुनाव प्रचार के दौरान दावा किया था कि 4 जून को हिमाचल प्रदेश में सरकार बनेगी. विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर लंबे समय से यह बात कहते आ रहे हैं, लेकिन उपचुनाव में मिली जीत से कांग्रेस सरकार को ताकत मिली है, जो आने वाले दिनों में और मजबूती से उपचुनाव लड़ेगी।