डॉट का डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी) लॉन्च
केंद्रीय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी में दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से हितधारकों के बीच समन्वय के लिए डॉट का डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी) लॉन्च किया
संदिग्ध धोखाधड़ी संचार की सूचनाएं दर्ज करने के लिए संचार साथी पोर्टल (https://www.sancharsathi.gov.in) पर ‘चक्षु’ सुविधा शुरू हुई
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ये टूल्स नागरिकों को संदिग्ध धोखाधड़ी संचार की सक्रिय रूप से सूचना देने के लिहाज से सशक्त बनाने वाली अग्रणी पहल हैं
डॉट नागरिकों को साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी के लिए दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने में मदद करने के लिए संचार साथी पर संदिग्ध धोखाधड़ी संचार की सक्रिय रूप से सूचना दर्ज करने
नई दिल्ली, 05 मार्च ( राजन चब्बा )
केंद्रीय संचार, रेल और इलेक्ट्रोनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने संचार राज्य मंत्री श्री देवुसिंह चौहान की उपस्थिति में साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी में दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से हितधारकों के बीच समन्वय के लिए दूरसंचार विभाग (डीओटी) के ‘डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी)’ लॉन्च किया और नागरिकों को संचार साथी पोर्टल (https://sancharsathi.gov.in) पर संदिग्ध धोखाधड़ी संचार की सक्रिय रूप से सूचना देने के लिहाज से सशक्त बनाने के लिए एक प्रमुख पहल ‘चक्षु’ सुविधा शुरू की।
इस अवसर पर, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार सुरक्षित भारत परियोजना के तहत राष्ट्रीय, संगठनात्मक और व्यक्तिगत तीन स्तरों पर साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि दूरसंचार विभाग ने जागरूकता फैलाने के लिए ऐसी कई पहल की हैं, जिससे नागरिक अपनी शिकायतों के समाधान के लिए ऐसे टूल्स का उपयोग कर सकें और साइबर धोखाधड़ी से खुद को बचा सकें। श्री वैष्णव ने इस संबंध में “संचार साथी” पोर्टल का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे ऐसे हमलों से सफलतापूर्वक निपटने में मदद मिली है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि आज लॉन्च हुए दो पोर्टलों- डीआईपी और चक्षु के साथ मिलकर, इन टूल्स से किसी भी प्रकार के साइबर सुरक्षा खतरे की जांच करने की क्षमता और योग्यता में इजाफा होगा।
संचार राज्य मंत्री श्री देवुसिंह चौहान ने दूरसंचार विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इसने साइबर सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए कई परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा किया है। उन्होंने कहा कि नए और उभरते हुए धोखाधड़ी के मामलों से निपटने के लिए ऐसी कई परियोजनाएं विकसित की जा रही हैं।
दूरसंचार सचिव डॉ. नीरज मित्तल ने अपनी शुरुआती टिप्पणी में कहा कि ये दो नए पोर्टल प्रत्येक नागरिक की डिजिटल संपत्ति पर साइबर सुरक्षा खतरे से निपटने के लिए एक और कदम हैं। उन्होंने बताया कि ये टूल्स किसी भी प्रकार के धोखाधड़ी वाले साधनों और संचार प्रणाली के दुरुपयोग को रोकने में मदद करेंगे।
डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी):
दूरसंचार विभाग द्वारा विकसित डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी) रियल टाइम में खुफिया जानकारी साझा करने, सूचना के आदान-प्रदान और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी), कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए), बैंकों और वित्तीय संस्थानों (एफआई), सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, पहचान दस्तावेज जारी करने वाले प्राधिकरण जैसे हितधारकों के बीच समन्वय के लिए एक सुरक्षित और एकीकृत मंच है। पोर्टल में दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग के रूप में पाए गए मामलों के बारे में भी जानकारी शामिल है। इस तरह, साझा की गई जानकारी हितधारकों के लिए उनके संबंधित डोमेन में उपयोगी हो सकती है।
यह हितधारकों द्वारा कदम उठाने के उद्देश्य से संचार साथी पोर्टल पर नागरिकों द्वारा शुरू किए गए अनुरोधों के लिए बैकएंड रिपॉजिटरी के रूप में भी काम करता है।
डीआईपी सुरक्षित कनेक्टिविटी के साथ हितधारकों के लिए सुलभ है और यहां उनकी संबंधित भूमिकाओं के आधार पर प्रासंगिक जानकारी साझा की जाती है। उक्त प्लेटफॉर्म नागरिकों के लिए सुलभ नहीं है।
संचार साथी पोर्टलल पर चक्षु सुविधा:
‘चक्षु’ दूरसंचार विभाग के संचार साथी पोर्टल पर पहले से उपलब्ध नागरिक केंद्रित सुविधाओं के अलावा एक नई सुविधा है। ‘चक्षु’ नागरिकों को केवाईसी एक्सपायरी या बैंक खाते / भुगतान वॉलेट / सिम / गैस कनेक्शन / बिजली कनेक्शन, सेक्सटॉर्शन, सरकारी अधिकारी / रिश्तेदार के रूप में पैसे भेजने के लिए प्रतिरूपण जैसी धोखाधड़ी के इरादे से की गई कॉल, एसएमएस या व्हाट्सएप पर प्राप्त संदिग्ध धोखाधड़ी संचार की सूचना दर्ज कराने, दूरसंचार विभाग द्वारा सभी मोबाइल नंबरों को बंद करने आदि की सुविधा देता है।
यदि कोई नागरिक पहले से ही साइबर अपराध या वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार है, तो उसे भारत सरकार के साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930 या वेबसाइट https://www.cybercrime.gov.in पर सूचना दर्ज कराने की सलाह दी जाती है।
सुविधाएं जो पहले से ही संचार साथी पोर्टल (https://sancharsathi.gov.in) पर उपलब्ध हैं
- अपने नाम पर जारी किए गए मोबाइल कनेक्शनों को जानना और कनेक्शन कटवाने के लिए उन मोबाइल कनेक्शनों की सूचना देना जिनकी या तो आवश्यकता नहीं है या उनके द्वारा नहीं लिया गया है।
- चोरी/खोए हुए मोबाइल हैंडसेट को ब्लॉक करना और उसका पता लगाने के लिए सूचना दर्ज करना,
- नई/पुरानी डिवाइस खरीदते समय मोबाइल हैंडसेट की वास्तविकता की जांच करना,
- कॉलिंग लाइन पहचान के रूप में भारतीय टेलीफोन नंबर के साथ आने वाली अंतर्राष्ट्रीय कॉलों की सूचना दर्ज करना,
- लाइसेंस प्राप्त वायरलाइन इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के विवरण की जांच करना।:
डॉट की विभिन्न पहलों का निष्कर्ष:
कुल विजिटर | 4 करोड़ से ज्यादा |
काटे गए कुल फर्जी कनेक्शन | 59 लाख |
उपयोगकर्ताओं की प्रतिक्रिया के आधार पर काटे गए मोबाइल कनेक्शन | 23 लाख |
एक सीमा से अधिक होने पर काटे गए मोबाइल कनेक्शन | 17 लाख |
एलईए, बैंकों, आईआरसीटीसी आदि से मिले इनपुट के आधार पर काटे गए मोबाइल कनेक्शन | 4 लाख |
काटे गए कुल कनेक्शन | 1 करोड़ से ज्यादा |
साइबर अपराधों में शामिल होने के कारण ब्लॉक किए गए कुल हैंडसेट | 1.5 लाख |
ब्लॉकलिस्ट किए गए पीओएस | 71 हजार |
दर्ज की गईं एफआईआर | 365 से ज्यादा |
उपयोगकर्ता के अनुरोधों के आधार पर कुल हैंडसेट ब्लॉक किए गए | 14 लाख |
कुल हैंडसेट का पता लगाया गया और राज्य सरकारों को जानकारी दी गई | 7 लाख |
व्हाट्सएप के साथ पीओसी – कुल खाते बंद किए गए | 3 लाख |
बैंकों/ भुगतान वॉलेट द्वारा की गई कार्रवाई – फ्रीज किए गए खाते | 10 लाख |
भारतीय नागरिकों का कुल पैसा बचाया गया | 1 हजार करोड़ |