“पीपुल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर (PBR) पर हिम्कोस्ट में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू “
शिमला / 3 जनवरी / एन एस बी न्यूज़
हिमाचल प्रदेश एनविस हब, हिम्कोस्ट, शिमला ने आज पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा प्रायोजित ग्रीन स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम के तहत पीपुल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर (PBR) पर दो महीने की अवधि का कोर्स शुरू किया।
माननीय प्रधान मंत्री के कौशल भारत मिशन के अनुरूप, एम०ओ०ई०एफ०सी०सी० ने पर्यावरण और वन क्षेत्र में कौशल विकास के लिए हरित कौशल विकास कार्यक्रम (जीएसडीपी) के माध्यम से एक पहल की है, जिससे भारत के युवाओं को रोजगार या स्वरोजगार प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाया जा सके।
उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान (एच० एफ० आर० आई०), शिमला के निदेशक डॉ0 एस.एस. सामंत थे। कार्यक्रम के दौरान डॉ0 मोहर सिंह, प्रभारी अधिकारी, एन०बी०पी०जी०आर०, श्री सनी शर्मा, संयुक्त सदस्य सचिव, डॉ० अपर्णा शर्मा और एनविस हब के कर्मचारी भी उपस्थित थे। प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए 15 छात्रों का चयन किया गया है: चंडीगढ़ से 1, जम्मू-कश्मीर से 1, लद्दाख से 1 और हिमाचल प्रदेश से 12।
उद्घाटन समारोह में बोलते हुए, डॉ० एस०एस० सामंत ने जैव विविधता, अपशिष्ट प्रबंधन पर एक संक्षिप्त नोट दिया और जोर देकर कहा कि हमें स्थानीय लोगों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सभी स्वदेशी संसाधनों के प्रलेखन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, इससे इनके संरक्षण के प्रयासों में मदद मिलेगी। उन्होंने जोर दिया कि प्रजातियों को पंजीकृत करते समय सटीकता को बनाए रखा जाना चाहिए। डॉ० मोहर सिंह ने बताया कि NBPGR दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जीन बैंक है। उन्होंने कहा कि पीपुल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर (पीबीआर) की तैयारी आज की जरूरत है और विभिन्न स्वदेशी संसाधनों को टैग, प्रलेखित, संरक्षित और संरक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जीएसडीपी कार्यक्रमों के माध्यम से हम सक्षम युवा वैज्ञानिकों का निर्माण कर सकते हैं।
श्री सनी शर्मा ने कहा कि हम इस जीएसडीपी पाठ्यक्रम के माध्यम से पैरा टैक्सोनोमिस्ट बना सकते हैं और वे स्थानीय जैव विविधता और इसके पंजीकरण तथा संरक्षण में योगदान कर सकते हैं। गांवों में यात्राओं के जरिए छात्रों को पीबीआर बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। वे थ्योरी क्लासेज तथा फील्ड विजिट की जानकारियों के आधार पर रिपोर्ट बनायेगे। पाठ्यक्रम पूरा होने पर विशेषज्ञों द्वारा मूल्यांकन और वाईवा के आधार पर प्रमाण पत्र दिए जाएंगे।
डॉ० अपर्णा शर्मा एच०पी ० एनविस हब, समन्वयक ने बताया कि जीएसडीपी पाठ्यक्रम, एम०ओ०ई०एफ०सी०सी० द्वारा 2017-18 शुरू किए गए थे और 2018-19 में हिमाचल प्रदेश में लॉन्च किए गए थे। अब तक दो कोर्स पूरे हो चुके हैं – 2018 में पैराटैक्सोनोमी पर सर्टिफिकेट कोर्स तथा 2019 में एच०पी० वन विभाग के UNDP-GOI-GEF प्रोजेक्ट “SECURE HIMALAYA” के तहत ट्रेनिंग कोर्स करवाए गए हैं। जंगली मौनपालन एवं प्रसंस्करण और औषधीय पौधों पर मंत्रालय द्वारा दो और पाठ्यक्रम अनुमोदित किए गए हैं जो जल्द ही शुरू किये जायेंगे। उन्होंने आगे बताया कि इस पाठ्यक्रम के तहत, चयनित छात्रों को वनस्पति विज्ञान, जंतु विज्ञान, वानिकी, वन्यजीव, जैव विविधता, अपशिष्ट प्रबंधन, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस के क्षेत्र में प्रख्यात विशेषज्ञों द्वारा सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया जाएगा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य हरित कौशल प्रशिक्षण प्रदान करके युवाओं को स्वाबलंबी व रोजगार/ स्व–रोजगार के काबिल बनाना है।