फसल अवशेष प्रबंधन परियोजना, कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को किया जागरूक
फतेहाबाद / 20 नवंबर / न्यू सुपर भारत
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के अधीनस्थ कृषि विज्ञान केन्द्र फतेहाबाद द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन परियोजना के तहत ग्राम स्तरीय, खंड स्तरीय, स्कूल एवं कॉलेज स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस परियोजना के अंर्तगत चार ग्राम स्तरीय जागरूकता कार्यक्रम गांव मोहम्मदपुर रोही, नागपुर, अलावलवास और नाढोडी में आयोजित किए गए। इसी तरह खंड स्तरीय दो जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन केन्द्र परिसर में किया गया।
स्कूल स्तरीय जागरूकता जागरूकता कार्यक्रम राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलावलवास, एमपी रोही और नागपुर में आयोजित हुए वहीं कॉलेज स्तरीय जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन रतिया एवं फतेहाबाद में किया गया।इन जागरूकता कार्यक्रमों में कृषि विज्ञान केन्द्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ. संतोष कुमार सिंह ने फसल अवशेष प्रबंधन परियोजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने यथास्थान फसल अवशेष प्रबंधन से होने वाले फायदों के बारे में बताया और कहा कि इससे मृदा में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ती है। सुक्ष्म जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है।
भूमि में जल को रोकने की क्षमता बढ़ती है। डॉ. विकास हुड्डा ने पराली प्रबंधन हेतु विभिन्न यंत्रों जैसे हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, रोटावेटर, मल्चर, पलटु हल, बेलर इत्यादि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डॉ. ओमप्रकाश कम्बोज ने पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण ेक बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से विभिन्न तरह की जहरीली गैंसें जैसे कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाइ ऑक्साइड, सल्फर डाइ ऑक्साइड इत्यादि निकलती हैं जो मनुष्य और अन्य जीवों के लिए बहुत ही नुकसानदायक है। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे पराली जलाने की बजाय इसका प्रबंधन करें ताकि खेतों की उपजाऊ शक्ति बढ़े वहीं वायु प्रदूषण को भी रोका जा सके।